Nikay Chunav Rajasthan टल सकते हैं इस साल, कहां फंसा है पेंच, जानिए पूरा मामला

राजस्थान में निकाय चुनाव (Nikay Chunav Rajasthan) होने में अभी और समय लग सकता है, क्योंकि परिसीमन में ही पेंच फंस गया है। चुनाव आयोग तक नहीं जा पाई है लिस्ट और डिटेल, इसलिए हो सकती है देरी।

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Santosh Kumar pandey
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राजस्थान में स्थानीय निकायों के चुनाव (nikay chunav rajasthan) नवंबर या दिसंबर में होना मुश्किल दिख रहा है। ये चुनाव अगले साल के लिए टल सकते हैं। इन चुनावों को लेकर सरकार के स्तर पर जो तैयारी चल रही हैं, उसे देखते हुए चुनाव इस साल होना कठिन है।

चुनाव के लिए जयपुर, जोधपुर और कोटा में नगर निगमों को एक करने के लिए वार्डों के परिसीमन में पेंच फंसा हुआ है। यह पेंच जयपुर में अधिक फंसा है, जहां 250 वार्डों को घटाकर 150 तक सीमित करना है। इसके कारण परिसीमन की सूची राज्य चुनाव आयोग तक नहीं पहुंच पाई है।

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राज्य चुनाव आयोग तक नहीं पहुंची अधिसूचना

सूत्रों ने बताया कि अभी तक राज्य चुनाव आयोग तक चुनाव कराए जाने के बारे में सरकार से कोई अधिसूचना नहीं पहुंची है। इसकी आयोग ने पुष्टि की है। नवंबर या दिसंबर में चुनाव कराए जाने के लिए यह अधिसूचना अब तक आयोग के पास पहुंच जानी थी।   

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यहां परिसीमन में फंसा है पेंच 

नगर निकायों के परिसीमन पर राजनीतिक दलों के बीच बड़ा बवाल मचा हुआ है। इसके कारण सत्तारुढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस आमने-सामने हैं। कांग्रेस परिसीमन पर सवाल उठा रही है और पूछ रही कि इस परिसीमन की जरूरत क्या आन पड़ी। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा (Jhabar Singh Kharra) का कहना है कि हम ‘एक प्रदेश-एक चुनाव’ की अवधारणा को आगे बढ़ा रहे हैं। हालांकि उन्होंने संकेत दिए कि नवंबर तक प्रदेश में नगर निकायों के चुनाव एक साथ कराने के लिए आवश्यक तैयारी समय पर पूरी कर ली जाएगी। 

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सबकी नजरें जयपुर पर

जयपुर पहले एक नगर निगम था। अशोक गहलोत की पूर्ववर्ती सरकार ने 2019 में दो नगर निगम बना दिए। इसके बाद हुए चुनाव में एक नगर निगम में भाजपा और एक नगर निगम में कांग्रेस के मेयर काबिज हुए। मगर जयपुर ग्रेटर नगर निगम की मेयर को कई बार पद से हटना पड़ा। वहीं जब कांग्रेस की सरकार गई, तब जयपुर हेरिटेज की मेयर को भी हटना पड़ा। अब जयपुर की दोनों मेयर भाजपा की हैं, इसलिए यहां पर 250 वार्ड से 150 वार्डों के परिसीमन पर माथापच्ची चल रही है।  

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राजस्थान में कम हो गए नगर निगम 

राजस्थान में अब 10 नगर निगम हो गए हैं। पिछली अशोक गहलोत सरकार में 13 नगर निगम थे। भजनलाल सरकार ने जयपुर, कोटा और जोधपुर में दो-दो नगर निगमों को एक-एक कर दिया है। इसके कारण प्रदेश में नगर निगमों की संख्या घट गई है। जयपुर में अभी ग्रेटर और हेरिटेज नाम से दो नगर निगम हैं। दोनों नगर निगमों में अलग-अलग महापौर और 250 वार्ड हैं। अगले दिनों में जयपुर में दो नगर निगम के बजाय एक ही नगर निगम होगा और 250 के स्थान पर 150 वार्ड ही होंगे।

दोनों दलों की सियासी तैयारी पूरी

राजस्थान में नगर निकायों के संभावित चुनावों को देखते हुए दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस की तैयारी पूरी है। दोनों दल अपने हिसाब से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस ने चुनाव में देरी को मुद्दा बनाकर मैदान में उतरने का प्लान तैयार कर लिया है। परिसीमन को लेकर दोनों पार्टियां अलर्ट हैं। वे इस परिसीमन के जरिए अपना वोट समीकरण बैठाने के पक्ष में हैं। आवश्यक होने पर दोनों ही दल परिसीमन करने वाले अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं। इसके कारण परिसीमन में देरी हो रही है।

FAQ

1. राजस्थान में नगर निकाय चुनाव क्यों टल सकते हैं?
राजस्थान में नगर निकाय चुनाव परिसीमन प्रक्रिया में देरी के कारण टल सकते हैं। चुनाव आयोग तक अधिसूचना नहीं पहुँच पाई है, जिसके कारण चुनावों में देरी हो रही है।
2. जयपुर में परिसीमन क्यों हो रहा है?
जयपुर में नगर निगमों का परिसीमन इसलिए हो रहा है क्योंकि पहले जयपुर के दो नगर निगम थे, जिन्हें एक साथ जोड़कर वार्डों की संख्या को घटाकर 150 किया जा रहा है।
3. चुनाव आयोग के पास अब तक चुनाव की अधिसूचना क्यों नहीं पहुंची?
चुनाव आयोग तक अब तक चुनाव की अधिसूचना नहीं पहुंची है क्योंकि परिसीमन प्रक्रिया में राजनीति के कारण देरी हो रही है और इस वजह से अधिसूचना जारी नहीं हो पाई।

 

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