नागौर में मिला लिथियम का भंडार : आयात पर निर्भरता होगी कम

राजस्थान के नागौर में लिथियम के बड़े खजाने का खुलासा हुआ है। खनन प्रक्रिया शुरू होने से रोजगार और राजस्व में वृद्धि होगी, और चीन से आयात पर निर्भरता कम होगी।

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Gyan Chand Patni
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राजस्थान के नागौर जिले में लिथियम के बड़े भंडार मिलने से देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। खनन प्रक्रिया शुरू होने से चीन से लिथियम आयात पर निर्भरता कम होगी और रोजगार में वृद्धि होगी।

लिथियम के खजाने का खुलासा

राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना क्षेत्र की रेंवत पहाड़ियों में लिथियम के भंडार का पता चला है। इसके बाद, केंद्र सरकार के खान मंत्रालय ने इस खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस क्षेत्र में लिथियम खनन शुरू होने से न केवल राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

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चीन पर निर्भरता कम होगी

भारत में लिथियम का आयात ज्यादातर चीन से होता है, लगभग 70 से 80 प्रतिशत लिथियम चीन से आयात किया जाता है। अब राजस्थान में लिथियम के खजाने के खुलासे से इस निर्भरता में कमी आ सकती है। लिथियम की घरेलू आपूर्ति बढ़ने से भारत को ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) कार, मोबाइल बैटरी, लैपटॉप बैटरी और परमाणु रिएक्टरों के निर्माण में बड़ी राहत मिल सकती है।

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लिथियम की खपत और रणनीतिक महत्व

नागौर में लिथियम भंडार मिलना महत्वपूर्ण है। लिथियम, जो कि एक महत्वपूर्ण क्रिटिकल मिनरल (Critical Mineral) है, अब भारत के लिए रणनीतिक महत्व का हो गया है। यह न केवल इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस के लिए जरूरी है, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा में भी इसका योगदान बढ़ सकता है। इससे भारत के सामने आने वाली ऊर्जा संकटों का समाधान हो सकता है और आयात निर्भरता कम हो सकती है।

डेगाना की रेंवत पहाड़ियों का महत्व

डेगाना क्षेत्र की रेंवत पहाड़ियों में दशकों से टंगस्टन का खनन किया जा रहा था, लेकिन अब लिथियम के भंडार की पुष्टि भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआई) के सर्वे में हुई है। इस खनन क्षेत्र में पहले टंगस्टन की खनन प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन अब यह इलाका लिथियम के भंडार के लिए जाना जाएगा।

 जीएसआई सर्वे

जीएसआई ने नागौर, पाली और अजमेर जिलों में लिथियम और अन्य खनिजों के लिए सर्वे किया। सर्वे में 14 मिलियन टन लिथियम खनिज भंडार का आकलन किया गया है, जो कि भारत का सबसे बड़ा लिथियम भंडार माना जा रहा है। यह खोज भारतीय खनन उद्योग के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।   | 

नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत

खनन मंत्रालय द्वारा लिथियम और अन्य सामरिक महत्व के मिनरल्स (Rare Earth, Tungsten, Phosphate) के लिए नीलामी प्रक्रिया 23 सितंबर से शुरू हो रही है। इस नीलामी में चार प्रमुख खनिजों के लिए निविदा दस्तावेज बेचे जाएंगे, और आवेदन की अंतिम तिथि 1 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। 

भारत में लिथियम के खजाने का विस्तार

राजस्थान में लिथियम भंडार मिले हैं। भारत में अन्य राज्यों में भी लिथियम के भंडार मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और अन्य राज्यों में संभावित लिथियम भंडारों का पता चला है।

  • छत्तीसगढ़ का कोरबा: देश की पहली लिथियम खान की नीलामी प्रक्रिया में है।
  • जम्मू-कश्मीर का रियासी, सलाल-हैमाना क्षेत्र: 5.9 मिलियन टन का लिथियम स्टॉक।
  • कर्नाटक का मांड्या जिला: लगभग 14,100 टन लिथियम भंडार।
  • अन्य संभावित राज्य: बिहार, ओडिशा, झारखंड, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और गुजरात।

FAQs (सवाल-जवाब)

FAQ

1. लिथियम खनन के लिए राजस्थान में कौन से क्षेत्र प्रमुख हैं?
राजस्थान के नागौर जिले का डेगाना क्षेत्र लिथियम खनन के लिए प्रमुख है। इस क्षेत्र में लिथियम के बड़े भंडार की पुष्टि हुई है, जिससे देश में आत्मनिर्भरता बढ़ने की संभावना है।
2. भारत में लिथियम का आयात कहां से होता है?
भारत में लिथियम का लगभग 70 से 80 प्रतिशत आयात चीन से होता है। राजस्थान में लिथियम के खजाने का खुलासा होने के बाद, भारत को इस आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है।
3. लिथियम खनन से राजस्थान को क्या लाभ होगा?
लिथियम खनन से राजस्थान के राजस्व में बढ़ोतरी होगी और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। इसके अलावा, भारत की लिथियम आपूर्ति में वृद्धि होने से देश की इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को भी लाभ होगा।

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