पहले करियर बाद में शादी, लड़कियों को चाहिए आजादी, वक्त की दौड़ में छत्तीसगढ़-राजस्थान से पीछे एमपी

बदलते समय में लड़कियों की प्राथमिकताओं में बदलाव आ रहा है। अब शादी से पहले करियर को प्राथमिकता दी जा रही है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान की लड़कियां इस बदलाव में आगे हैं, जबकि एमपी में स्थिति थोड़ी पीछे है। इस लेख में हम इन बदलावों और प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

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Arun Tiwari
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SRS REPORT

Photograph: (the sootr)

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बदलते वक्त के साथ लड़कियों की सोच में भी तेजी से बदलाव आ रहा है। एसआरएस 2023 की रिपोर्ट बताती है कि लड़कियां अब शादी से पहले पढ़ाई और करियर पर फोकस कर रही है। यानी उनकी प्राथमिकताओं की सूची में पहले कॅरियर है और बाद में शादी। लड़कियों को अब आत्मनिर्भरता और आजादी चाहिए। वे अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीना चाहती हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ने लगी है। अब 70 फीसदी से ज्यादा लड़कियां 21 साल के बाद शादी कर रही हैं। वक्त की इस दौड़ में सबसे आगे छत्तीसगढ़ और राजस्थान की लड़कियां आगे हैं जबकि मध्यप्रदेश की लड़कियां इन दोनों राज्यों से पीछे हैं। आइए आपको बताते हैं कि बदलते वक्त के साथ किस तरह बदल रही हैं एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की लड़कियां। 

कॅरियर का ख्याल,शादी पर सवाल : 

सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) 2023 के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश की युवतियों की सोच में बड़ा बदलाव आ रहा है। शादी अब उनके जीवन का पहला लक्ष्य नहीं रह गई, पहले पढ़ाई और करियर को तरजीह दी जा रही है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान की लड़कियां इस बदलाव में आगे हैं जबकि मध्यप्रदेश इनसे पीछे दिखता है। इसका आधार लड़कियों की शादी के लिए बढ़ती उम्र है।

लड़कियां अब 21 साल या उससे ज्यादा उम्र में शादी कर रही हैं। छत्तीसगढ़ में 77.3 फीसदी लड़कियां 21 साल के बाद शादी कर रही हैं। इनमें गांव की 75.6 और शहरों की 85.8 फीसदी महिलाएं हैं।

राजस्थान में 75.9 फीसदी लड़कियां 21 साल के बाद शादी कर रही हैं। इनमें गांव की 73.8 और शहरों की 82.1 फीसदी महिलाएं हैं। इनसे पीछे मध्यप्रदेश में 62.5 फीसदी लड़कियां 21 साल के बाद शादी कर रही हैं। इनमें गांव की 57.5 और शहरों की 80.2 फीसदी महिलाएं हैं। इसका राष्ट्रीय औसत 72.2 फीसदी है। यानी छत्तीसगढ़ और राजस्थान राष्ट्रीय औसत से बेहतर स्थिति में हैं जबकि मध्यप्रदेश इससे पीछे है। 

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विवाह आयु में  सुधार : 

रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में छत्तीसगढ़ की महिलाओं की विवाह (Effective Marriage) की औसत आयु 22.1 वर्ष है। मध्यप्रदेश में यह 22.4 वर्ष और राजस्थान में 22 वर्ष दर्ज हुई। ग्रामीण क्षेत्रों में शादी की औसत उम्र 21–22 साल के बीच है, जबकि शहरी इलाकों में यह 23 साल से ऊपर पहुँच चुकी है।

यह रुझान दिखाता है कि शिक्षा और रोज़गार की संभावनाओं ने विवाह की आयु को ऊपर खींचा है। तीनों राज्यों में बाल विवाह का अनुपात 3–4 फीसदी तक सिमट गया है, जो सामाजिक जागरूकता का संकेत है।

सामाजिक वैज्ञानिकों का कहना है कि लड़कियों के जीवन में शिक्षा और करियर की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा मज़बूत हुई है। स्कूलों और कॉलेजों में बढ़ती नामांकन दर, प्रतियोगी परीक्षाओं में महिलाओं की उपस्थिति और निजी-सरकारी नौकरियों में नए अवसरों ने विवाह को पीछे धकेल दिया है।

SRS Report: युवतियों की सोच में आ रहे बदलाव को ऐसे समझिएं

सांख्यिकीय रिपोर्ट 2023 - GK VIDYA

कॅरियर प्राथमिकता:SRS रिपोर्ट के अनुसार, लड़कियाँ अब शादी से पहले शिक्षा और करियर पर ज्यादा ध्यान देती हैं। छत्तीसगढ़ और राजस्थान की लड़कियाँ इस बदलाव में सबसे आगे हैं, जबकि मध्यप्रदेश में यह बदलाव धीमा है।

शादी की औसत आयु: लड़कियों की शादी की औसत आयु बढ़ी है, अब 21 साल के बाद शादी करने वाली लड़कियों की संख्या ज्यादा है। छत्तीसगढ़ में 77.3%, राजस्थान में 75.9% और मध्यप्रदेश में 62.5% लड़कियाँ 21 साल के बाद शादी करती हैं।

लिंग अनुपात में सुधार: छत्तीसगढ़ में 1000 लड़कों पर 974 लड़कियाँ हैं, जो राष्ट्रीय औसत 917 से बेहतर है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में लिंग अनुपात में सुधार की आवश्यकता है।

शहरी बनाम ग्रामीण क्षेत्र: शहरी क्षेत्रों में शादी की औसत आयु 23 साल से ऊपर पहुँच चुकी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 21-22 साल के बीच है, जो शिक्षा और रोजगार के अवसरों के बढ़ने को दर्शाता है।

महिला स्वास्थ्य और सुरक्षा: विशेषज्ञों का कहना है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में महिला स्वास्थ्य कार्यक्रम, शिक्षा, और सुरक्षा उपायों को और मजबूत करना चाहिए, ताकि लिंग अनुपात में सुधार हो सके।

लिंग अनुपात में छत्तीसगढ़ टॉप पर : 

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिंग अनुपात (Sex Ratio) की नई तस्वीर पेश की है। आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ अब भी लिंग अनुपात के मामले में पूरे देश में टॉप पर है। जबकि मध्यप्रदेश और राजस्थान में सुधार की गुंजाइश बनी हुई है। छत्तीसगढ़ लिंग अनुपात में राष्ट्रीय औसत से बहुत ज्यादा है। यानी छत्तीसगढ़ में अब बेटियों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। 

  1. राष्ट्रीय स्तर पर 1000 लड़कों पर 917 लड़कियां हैं। 
  2. छत्तीसगढ़ में 1000 लड़कों पर 974 लड़कियां हैं। गांवों में स्थिति बेहतर है यहां अनुपात 987 है जबकि शहरों में यह आंकड़ा 921 है। 
  3. मध्यप्रदेश में 1000 लड़कों पर 917 लड़कियां हैं। गांवों में यह अनुपात 911 तो शहरों में 941 है। 
  4. राजस्थान में 1000 लड़कों पर 919 लड़कियां हैं। यहां गांवों में 919 तो शहरों में लिंग अनुपात 921 है।  

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि छत्तीसगढ़ ने लिंग अनुपात को बनाए रखने में अच्छा काम किया है, जबकि मध्यप्रदेश और राजस्थान को और प्रयास करने होंगे।

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट : 

जनसंख्या विशेषज्ञों का कहना है कि लिंग अनुपात केवल जन्म के समय की स्थिति नहीं बताता, बल्कि यह महिलाओं की जीवन प्रत्याशा, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और सामाजिक सुरक्षा से भी जुड़ा है। वे सुझाव देते हैं कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में शहरी क्षेत्रों में महिला स्वास्थ्य कार्यक्रम, शिक्षा और सुरक्षा उपायों को और मजबूत करना चाहिए।

SRS 2023 के आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ ने सकारात्मक लिंग अनुपात बनाए रखने में अच्छा काम किया है, जबकि मध्यप्रदेश और राजस्थान को महिलाओं के पक्ष में संतुलन लाने के लिए अभी और प्रयास करने होंगे। सरकारों के लिए यह एक संकेत है कि लड़कियों के जन्म, स्वास्थ्य और शिक्षा पर निवेश बढ़ाकर ही लिंग अनुपात को दीर्घकालिक रूप से सुधारा जा सकता है।

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