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राजस्थान सरकार ने क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 8 नए जिलों की घोषणा की थी। इन जिलों का उद्देश्य था कि स्थानीय विकास को बढ़ावा मिले और नागरिकों को जिला मुख्यालय के लिए लंबी दूरी तय करने की जरूरत न पड़े।
अब तक इन जिलों में जमीनी स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। इन जिलों में जिला मुख्यालयों के लिए स्थायी भवन तक नहीं बन पाए हैं।
आठ जिलों पर ही लगाई थी मुहर
उल्लेखनीय है कि दो साल पहले 7 अगस्त को पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने क्षेत्रीय विकास के वादे के साथ नए जिलों की नींव रखी थी। सात माह पूर्व इनमें से 8 जिलों पर ही भजन लाल सरकार ने मुहर लगाई। किसी भी जगह जिला मुख्यालय का भवन तक नहीं बन पाया है।
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विकास का वादा हुआ हवा
राजस्थान के नए जिलों में नहीं बदले हालात। क्षेत्रीय विकास के लिए बनाए थे नए जिले। नए जिलों में जिला मुख्यालय का स्थाई भवन तक नहीं। राजस्थान में नए जिले तो बन गए, लेकिन विकास का वादा हुआ हवा हवाई हो गया।
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1. डीडवाना-कुचामन
वादा था कि नया जिला बनने के कारण नागौर से दूरी कम होगी, स्थानीय विकास को गति मिलेगी और लोगों का समय बचेगा। वास्तविकता यह है कि लोग अब भी कई विभागीय कामों के लिए नागौर जाने को मजबूर हैं। अधिकांश कार्यालय किराए के भवनों में चल रहे हैं।
2. बालोतरा
नया जिला बनने से वस्त्र नगरी के विकास में तेजी आने की आशा की कई थी, लोगों को लगा था कि अब लंबी दूरी तय नहीं करनी पडे़गी। वास्तविकता यह है कि शहर में टूटी सड़कें, खुले नाले और जलभराव की समस्याएं हैं। मिनी सचिवालय और रिंग रोड की योजनाएं अब तक कागजों पर ही हैं।
3. कोटपूतली-बहरोड़
लोगों को लगा था कि नया जिला बनने से विकास में तेजी आएगी और जिला कार्यालयों को हाइवे के नजदीक खोला जाएगा। हकीकत यह है कि अधिकांश कार्यालय कोटपूतली में हैं और यहां कर्मचारियों की कमी है।
4. खैरथल-तिजारा
वादा किया गया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पास होने के कारण विकास में तेजी आएगी और खैरथल को गुरुग्राम की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। हकीकत यह है कि यहां कहीं भी विकास नहीं दिखाई दे रहा। हालत है कि कई कार्यालय तो धर्मशाला में चल रहे हैं। अब नए जिले खैरथल - तिजारा का नाम भर्तृहरि नगर होगा।
5. डीग
नया जिला बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलने और औद्योगिक विकास में तेजी की उम्मीद थी, लेकिन अधिकांश कार्यालयों के लिए न तो जमीन आवंटित हुई है और न ही बजट जारी हुआ है।
6. ब्यावर
वादा किया गया था कि क्षेत्रीय विकास में तेजी आएगी और ब्यावर अपनी अलग पहचान बना सकेगा। हकीकत यह है कि अधिकारी आ गए हैं, लेकिन स्टाफ और भवन की कमी बनी हुई है।
7. सलूम्बर
नया जिला बनने से विकास की उम्मीद बनी थी। आशा थी कि आदिवासी क्षेत्र होने के कारण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और आधारभूत ढांचा विकसित होगा। हकीकत यह है कि मिनी सचिवालय के लिए जमीन के चयन में देरी हो रही है।
8. फलोदी
जोधपुर से दूरी के कारण क्षेत्र का विकास नहीं हो रहा था। नया जिला बनने से विकास में तेजी की आशा थी। वास्तविकता यह है कि कलक्टर और पुलिस अधीक्षक के कार्यालय इंदिरा गांधी नहर परियोजना भवन में चल रहे हैं और नगर परिषद्, शिक्षा विभाग आदि से उधारी पर स्टाफ लिया गया है।
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