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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में पर्यटन की आन-बान-शान बनी शाही रेल पैलेस ऑन व्हील्स बेपटरी होने लगी है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) ने जब से इस शाही रेल का संचालन और प्रबंधन प्राइवेट कंपनी को दिया है, तब से शाही रेल के प्रति देसी-विदेशी सैलानियों का लगाव घटता जा रहा है।
दो साल के पर्यटन सीजन में शाही रेल की बुकिंग में काफी कमी आई है। सूत्रों के अनुसार, करीब 50 फीसदी टूरिस्ट बुकिंग कम हो गई है। इससे आरटीडीसी को आर्थिक नुकसान तो झेलना पड़ रहा है, वहीं देश-विदेश में पैलेस ऑन व्हील्स की शाही साख पर भी प्रभाव पड़ रहा है। पैलेस ऑन व्हील्स की बजाय सैलानी दूसरे राज्यों की शाही रेल में सफर कर रहे हैं। टूरिस्टों में कमी को लेकर प्राइवेट कंपनी के साथ आरटीडीसी प्रबंधन की लापरवाही भी सामने आ रही है।
शाही रेल के प्रमोशन कार्यक्रम बाधित
बताया जाता है कि जब से प्राइवेट कंपनी को ठेके पर दिया है, तब से देश-विदेश में शाही रेल के प्रमोशन कार्यक्रम बाधित हुए हैं। मार्केटिंग पर भी प्रभाव पड़ा। ट्रेवल कंपनियों को विश्वास में नहीं लेने के कारण बुकिंग प्रभावित हुई। दो साल से लगातार टूरिस्टों की संख्या में कमी आ रही है। इसे देखते हुए आरटीडीसी प्रबंधन सावचेत हो गया है।
आरटीडीसी प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि कोरोना काल के बाद से पर्यटन सीजन अच्छा चल रहा है। राजस्थान में खूब पर्यटक आ रहे हैं, लेकिन शाही रेल में पर्यटकों का रुझान लगातार घट रहा है। आने वाले पर्यटन सीजन में भी ऐसे ही टूरिस्ट की संख्या गिरती रही तो पैलेस ऑन व्हील्स के संचालन में संकट आ जाएगा। टूरिस्ट नहीं मिलने पर शाही रेल घाटे में आ जाएगी। हर साल करोड़ों रुपए का रेल किराया व दूसरे खर्चों को चुकाना मुश्किल हो जाएगा।
किराया देने में विलंब, जीएसटी-ब्याज देने में फेल कंपनी
पैलेस ऑन व्हील्स को लेने वाली कंपनी क्यूब कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग लिमिटेड और ईजी टोज सॉल्यूशंस लिमिटेड के कंसोर्टिसम के संचालक भगत सिंह लोहागढ़ बड़े होटेलियर्स हैं। उनके पास कई रिसॉर्ट व होटल हैं। पिछली कांग्रेस सरकार में आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ के कार्यकाल में शाही रेल पैलेस ऑन व्हील्स के संचालन व प्रबंधन को निजी हाथों में देने का निर्णय किया गया, तब आरटीडीसी में तैनात एक आईएएस अधिकारी शाही रेल को निजी हाथों में देने में हुए खेल को लेकर काफी चर्चा में रहे। अनुबंध शर्तों के तहत कंपनी को हर साल पांच करोड़ रुपए देना तय हुआ। साथ ही टिकट बिक्री, खरीदारी व अन्य से होने वाली आय में से भी 18 फीसदी रेवेन्यू आरटीडीसी को दिया जाना था। राशि तय समय पर नहीं देने पर ब्याज देने के प्रावधान भी जोड़े गए।
भुगतान को लेकर हो रही खींचतान
बताया जाता है कि कंपनी ने तय समय में कभी भी वार्षिक शुल्क व 18 फीसदी रेवेन्यू नहीं दिया। हमेशा ही भुगतान में विलंब किया। एक आला अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कंपनी ने टूरिस्ट बुकिंग समेत अन्य मदों में ली जा रही जीएसटी का भुगतान भी नहीं किया है। यह राशि 50 लाख रुपए से अधिक बताई जाती है। तय समय पर भुगतान नहीं करने पर आरटीडीसी ने कंपनी पर 75 लाख रुपए की ब्याज पेनल्टी भी लगाई है।
आरटीडीसी के एक अधिकारी का कहना है कि ब्याज व जीएसटी को लेकर कंपनी को कई बार नोटिस दे चुके हैं, लेकिन कंपनी यह राशि देने से बच रही है। उधर, कंपनी ने आरटीडीसी चेयरमैन राजेश यादव को पत्र लिखकर जीएसटी और ब्याज की वसूली को गलत व्यवहार बताया है। जीएसटी को लेकर विवाद है, जिसका समाधान जरूरी है। ब्याज देनदारी को गलत बताया है। उधर, अब फिर से पर्यटन सीजन शुरू हो चुका है। शाही रेल पैलेस ऑन व्हील्स का संचालन भी प्रारंभ हो चुका है। हालांकि फिलहाल बुकिंग कम है। आरटीडीसी बकाया राशि के लिए तरस रही है।
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अनुबंध शर्तों में उल्लंघन की शिकायतें
पैलेस ऑन व्हील्स में जिस तरह पर्यटकों की बुकिंग लगातार गिर रही है, उससे आरटीडीसी प्रबंधन भी चिंता में आ गया है। उच्च अधिकारी व महाप्रबंधक शाही रेल के संचालन व प्रबंधन के अनुबंध शर्तों के उल्लंघन को लेकर शिकायतें दर्ज करवा चुके हैं। साथ ही लगातार गिरती टूरिस्ट बुकिंग और पर्यटकों के घटते रुझान को देखते हुए अधिकारी अनुबंध को खत्म करने और शाही रेल का संचालन आरटीडीसी द्वारा करने की मांग कर रहे हैं।
पिछले दिनों आरटीडीसी बोर्ड की मीटिंग में भी इस मामले को लेकर काफी चर्चा हुई, जिसमें अधिकारियों ने घटती बुकिंग, वार्षिक शुल्क व कमीशन दिए जाने में देरी, ब्याज व जीएसटी के भुगतान नहीं देने समेत अन्य अनुबंध शर्तों के उल्लंघन के बारे में बताया। सबसे बड़ी शिकायत यह है कि कंपनी और आरटीडीसी के बीच टिकट बुकिंग करने वाले एजेंट को 18 फीसदी तय सीमा में छूट देने के प्रावधान थे, लेकिन इन्होंने चालीस फीसदी तक छूट दे दी। इससे आरटीडीसी की रेवेन्यू को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचा है।
एमओयू की समीक्षा करने की तैयारी
यह भी आरोप लगा है कि ज्यादा छूट देकर एजेंटों को फायदा पहुंचाया है। बताया जाता है कि जिम व स्पा की जगह को कम करके अतिरिक्त बर्थ बढ़ा दिए। रेल के स्वरूप को चेंज करने से पहले अनुमति नहीं ली गई, जो अनुबंध शर्तों का उल्लंघन है। समझौते के तहत कंपनी व आरटीडीसी के बीच एक बैंक खाता होना था, लेकिन वह भी नहीं खोला गया।
सूत्रों के अनुसार, बोर्ड मीटिंग में आरटीडीसी के नए चैयरमेन राजेश यादव ने अनुबंध शर्तों के गंभीर उल्लंघन को लेकर अधिकारियों से सवाल जवाब भी किए। इसके लिए अधिकारियों को भी बराबर का जिम्मेदार बताया। बताया जाता है कि अनुबंध शर्तों के उल्लंघन को लेकर कंपनी को नोटिस देने और एमओयू की पुन: समीक्षा करने की बात भी सामने आई है। अगर इस पर्यटन सीजन में भी हालात नहीं सुधरे तो आरटीडीसी पैलेस ऑन व्हील्स का संचालन पुन: अपने हाथों में ले सकती है।
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राजस्थान में पर्यटक बढ़े, शाही रेल में घटे
कोविड के बाद राजस्थान में लगातार पर्यटक संख्या बढ़ रही है। भारतीय पर्यटक तो करोड़ों में आ रहे हैं, वहीं विदेशी सैलानियों की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। पर्यटन विभाग के आंकड़ों को देखें तो 2024 में 20.68 लाख विदेशी पर्यटक राजस्थान भ्रमण के लिए। वर्ष 2020 में यह संख्या 17.54 लाख थी। वर्ष 2021 से 2023 तक कोविड के कारण पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित रहा।
हालांकि जब से शाही रेल निजी कंपनी के पास गई है, तब से लगातार बुकिंग में गिरावट है। पर्यटन सीजन अच्छा होने के बाद भी शाही रेल में पर्यटक घट रहे हैं। वर्ष 2024-25 के पर्यटन सीजन में 685 सैलानी शाही रेल में घूमे। इससे पहले यह संख्या करीब आठ सौ थी। अनुबंध से पहले आरटीडीसी द्वारा संचालित पैलेस ऑन व्हील्स में कोविड से पहले तक हर पर्यटन सीजन में 1200 से 1500 सौ पर्यटक की बुकिंग हुई।
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पहियों पर चलता-फिरता फाइव स्टार होटल
पैलेस ऑन व्हील्स भारत की सबसे पसंदीदा शाही और लग्जरी पर्यटक ट्रेन है। यह भारतीय रेलवे और राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) द्वारा 1982 से चल रही है। तब राजस्थान के सभी रियासतों की शाही रेलों से एक-एक डिब्बे हासिल किए गए। उक्त शाही रेलों में तत्कालीन राजा-महाराजा सफर किया करते थे। यह शाही रेल राजस्थान की समृद्ध विरासत और आधुनिक सुविधाओं का एक अनूठा मिश्रण है।
यह दिल्ली से शुरू होकर राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों जैसे जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़, जोधपुर, भरतपुर व आगरा होते हुए वापस दिल्ली जाती है। एक सप्ताह के टूर वाली इस ट्रेन में फाइव स्टार जैसी सुविधाएं हैं। इसे पहियों पर चलता-फिरता महल भी कहा जाता है। शाही सजावट वाली इस ट्रेन में शानदार बेडरूम, रेस्टोरेंट, स्पा, जिम, बार और लाउंज जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। पैलेस ऑन व्हील्स का मुख्य उद्देश्य राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यटकों को राजस्थान की विरासत और संस्कृति का अनुभव कराना है।
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जीएसटी व ब्याज को लेकर बातचीत जारी
पैलेस ऑन व्हील्स के जीएम पुष्पेंद्र देशवाल बताते हैं कि शाही ट्रेन के शुल्क, जीएसटी और ब्याज को लेकर आरटीडीसी और कंपनी में बातचीत हो रही है। मेरी जानकारी के हिसाब से रेलवे को तय चार्ज दिए जा रहे हैं। सीजन अच्छा है। तीन फेरों में शाही रेल में एक्यूपेंसी अच्छी रही। आगे भी बुकिंग चल रही है। उधर, पैलेस ऑन व्हील्स के संचालक भगत सिंह लोहागढ़ का कहना है कि इस सीजन में ट्रेन के तीन फेरे हो चुके हैं। पहले फेरे में 42 सैलानी तो दूसरे व तीसरे फेरे में 32-32 सैलानी आए हैं। आगे भी अच्छी बुकिंग है।
वे दावा करते हैं कि पैलेस ऑन व्हील्स अच्छी चल रही है। अक्टूबर, नवंबर में फुल बुक है, जबकि दूसरी शाही रेलों के फेरे तक नहीं हो रहे हैं। भगत सिंह के अनुसार, आरटीडीसी के साथ सालाना शुल्क, जीएसटी व ब्याज को लेकर कोई विवाद नहीं है। एकमुश्त चार करोड़ रुपए आरटीडीसी को दे दिए हैं। जीएसटी को लेकर मामूली विवाद था, जिसका समाधान हो चुका है।