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Photograph: (TheSootr)
Jaipur. राजस्थान सरकार ने अवैध धर्म परिवर्तन को लेकर एक नया और अत्यधिक महत्वपूर्ण कानून लागू किया है, जिसे राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025 (Rajasthan Prohibition of Unlawful Religious Conversion Bill-2025) कहा जा रहा है। यह बिल राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से मंजूरी प्राप्त करने के बाद अब कानूनी रूप से लागू हो चुका है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य जबरन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन को रोकना और उसे अपराध मानना है।
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राजस्थान में धर्म परिवर्तन माना जाएगा अपराध
राजस्थान में अब जबरन धर्म परिवर्तन को एक अपराध के रूप में माना जाएगा। यदि कोई व्यक्ति छल-कपट या धोखाधड़ी के माध्यम से धर्म बदलने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इसके लिए 7 से 14 वर्ष तक की सजा का प्रावधान होगा और साथ ही 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
यह कानून न केवल धर्म परिवर्तन के अपराधी को सजा देगा, बल्कि इसके साथ ही उन संस्थाओं पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो धर्म परिवर्तन के लिए यह गतिविधियां चला रही हैं। ऐसी संस्थाओं पर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना और दोषियों को उम्रभर की सजा दी जा सकती है।
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विशेष वर्गों को कड़ी सुरक्षा देगा कानून
नया कानून खासतौर पर कमजोर वर्गों जैसे अल्पवयस्कों, महिलाओं, एससी/एसटी, और दिव्यांग व्यक्तियों को विशेष रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। इन वर्गों को धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने पर 10 से 20 वर्ष तक की कठोर सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना किया जाएगा।
इससे स्पष्ट है कि कानून का उद्देश्य न केवल धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन को रोकना है, बल्कि इन वर्गों की सुरक्षा और अधिकारों का भी संरक्षण करना है।
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सामूहिक धर्म परिवर्तन और उसकी सजा
धर्म परिवर्तन का यह नया कानून सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों पर भी कठोर सजा का प्रावधान करता है। यदि कोई व्यक्ति या संस्था सामूहिक धर्म परिवर्तन की कोशिश करती है, तो उसे न्यूनतम 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है और उस पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
विदेशी और अवैध धन से धर्म परिवर्तन
जो लोग विदेशों से या अवैध संस्थाओं से धन प्राप्त कर धर्म परिवर्तन के लिए काम करेंगे, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में दोषियों को 10 से 20 वर्ष तक की कठोर सजा और न्यूनतम 20 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है।
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घर वापसी पर नहीं कोई सजा
राजस्थान में धर्मांतरण के नए कानून में "घर वापसी" (Homecoming) की प्रक्रिया को पूरी तरह से मंजूरी दी गई है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म में वापस लौटने का निर्णय लेता है, तो उसे इस प्रक्रिया के लिए कानूनी कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा और यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी।
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गैर-जमानती अपराध और सेशन कोर्ट में सुनवाई
धर्म परिवर्तन से जुड़ी सभी अपराधों को अब गैर-जमानती माना जाएगा। इन मामलों की सुनवाई केवल सेशन न्यायालय (Sessions Court) में होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्दी और निष्पक्ष न्याय मिल सके।
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