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Photograph: (TheSootr)
राकेश कुमार शर्मा
Jaipur. राजस्थान की राजधानी जयपुर में बिल्डरों पर रहम दिखाना जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) के लिए मुसीबत बन रहा है। शहर में बहुमंजिला आवासीय और कमर्शियल बिल्डिंग बनाने वाले ये बिल्डर जेडीए को धोखा दे रहे हैं। अब तक जेडीए से एक सौ करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की गई है। यह धोखाधड़ी भवन निर्माण के नक्शें के विपरीत किए निर्माण कार्यों के एवज में बेटरमेंट लेवी के रूप में बिल्डरों द्वारा दी जाने वाली राशि के बदले दिए पोस्टडेटेड चेकों के माध्यम से की गई। इस धोखाधड़ी में नामी गिरामी बिल्डर कंपनियों के साथ छोटे-मोटे बिल्डर भी शामिल हैं। बिल्डरों ने अपने बचाव में चेक तो दे दिए, लेकिन तय अवधि में चेक लगाए तो वे बाउंस होने लगे। अब तक 93 बिल्डरों के चेक बाउंस हो चुके हैं। इन पर एक अरब से अधिक राशि बकाया बताई जा रही है। इस राशि को वसूलने में जेडीए के अफसरों को अब पसीना छूट रहा है।
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जेडीए अफसरों ने नहीं लिया एक्शन
हालांकि कुछ ने राशि जमा करवा दी है। लेकिन, अधिकांश बिल्डर अभी भी राशि व उस पर लगने वाले ब्याज को देने से बच रहे हैं। जेडीए बिल्डरों को लगातार नोटिस भी दे रहा है। लेकिन बिल्डर राशि देने के बजाय टालमटोल कर रहे हैं। चेक राशि समय पर नहीं देने पर ब्याज के भी प्रावधान है। ब्याज समेत यह राशि तीस से पचास फीसदी बढ़ चुकी है। बिल्डरों की इस करतूत और अधिकारियों द्वारा बरती जा रही लापरवाही को लेकर ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, चेक बाउंस को लेकर बिल्डरों की गलती मानी गई है, वहीं तय अवधि में राशि नहीं वसूलने और बिल्डरों पर कार्यवाही नहीं करने को लेकर जेडीए के अधिकारियों की लापरवाही दिखती है।
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यहां देखें चैक बाउंस होने वाले बिल्डर्स की पूरी लिस्ट
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ना कानूनी कार्यवाही और ना ही पुलिस प्राथमिकी
कंपनियों के लगातार एक के बाद एक चेक बाउंस होने के बाद संबंधित अधिकारियों ने कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही नहीं की और ना ही पुलिस प्राथमिकी दर्ज करवाई है। आला अधिकारियों को इस बारे में अवगत नहीं कराया। सिर्फ नोटिस देकर अपने कार्य की इतिश्री करते रहे हैं। बताया जाता है कि चेक बाउंस मामले में नामी-गिरामी बिल्डर कंपनियां भी है, जिनके करोड़ों रुपयों के चेक बाउंस हुए हैं। इन कंपनियों के प्रभाव में आकर अधिकारी सख्त एक्शन लेने से बचते रहे हैं। अगर यह राशि जेडीए को समय पर मिलती रहती तो राजधानी में विकास कार्यों को लेकर बजट की कमी नहीं होती।
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93 बिल्डरों से वसूलने हैं 1,00,14,05,072 रुपए
रिपोर्ट के मुताबिक 93 बिल्डरों के पोस्टेडेड चेक बाउंस हुए हैं। जिनमें कई नामी बिल्डर कंपनियां भी है। इन पर एक से पांच करोड़ रुपए के चेक बाउंस हुए हैं। 34 केस तो ऐसे हैं, जिन पर एक से पांच करोड़ रुपए के चेक बाउंस और ब्याज के मामले हैं। डिस्ऑनर पाए गए चैकों के एवज में ब्याज सहित राशि 1,00,14,05,072 तक पहुंच गई है। इस राशि में से करीब 64 करोड़ रुपए तो पोस्टेडेड चेक राशि हैं। करीब 36 करोड़ रुपए से अधिक राशि ब्याज की जोड़ी गई है। यह राशि जेडीए को वसूलनी है। इस राशि को वसूलने के लिए बिल्डरों को नोटिस पर नोटिस भेजे जा रहे हैं। नगरीय विकास विभागराजस्थान भी लगातार जेडीए को पत्र भेज रहा है। 28 नवम्बर, 2024 को हुई नगरीय विकास विभाग की आला अधिकारियों की बैठक में यह मुद्दा उठा। वर्ष 2018 से 21-22 तक के पोस्टेडेड चेकों के मामले अधिक है। अधिकारियों ने भी संबंधित बिल्डरों से नियमानुसार वसूली कार्यवाही करने, एआईए एक्ट में मुकदमा दर्ज करवाने एवं भवन विनियम नियमों की पालना सुनिश्चित करवाने के निर्देश दे रखे हैं। साथ ही जेडीए को राजस्व हानि में लिप्त अधिकारियों पर भी कार्यवाही की अनुशंषा की गई है।
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जेडीए क्या है?जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA)
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भवन निर्माण की स्वीकृति पर गिर सकती है गाज
जेडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बेटरमेंट लेवी के पोस्ट चेक बाउंस होने पर बिल्डरों पर ब्याज लगाने, चेक बाउंस के केस दर्ज करने, भवन निर्माण की स्वीकृति को निरस्त करने जैसे प्रावधान भी है, लेकिन अधिकारियों ने कभी इन पर अमल नहीं किया। इसके चलते बिल्डरों के हौंसले बुलंद हैं और वे जेडीए को ही भुगतान करने से बच रहे हैं (जेडीए धोखाधड़ी)। रिपोर्ट के मुताबिक, चेक बाउंस होने पर संबंधित अधिकारी को दो दिन के भीतर अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक को सूचना भेजने और अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक द्वारा विधिक कार्यवाही किए जाने चाहिए है। अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक चेक बाउंस से संबंधित बिल्डरों के भवन मंजूरी के मानचित्रों को निरस्त करने के अनुमोदन कर सकता है। ऑडिटर ने यह भी सिफारिश की है कि मानचित्र मंजूरी की कार्यवाही के दौरान ही यह तथ्य भी अंकित करवाया जाना चाहिए कि भू कारोबारी द्वारा दिए गए चेक के अनादरित होते ही भवन निर्माण की स्वीकृति को निरस्त समझा जाए। बावजूद इसके अधिकारी कार्यवाही करने से बचते रहे।
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राजस्थान में बिल्डर्स जेडीए को कैसे धोखा दे रहे हैं?
किसी भी बहुमंजिला आवासीय व कॉमर्शियल भवन निर्माण के स्वीकृत मानचित्र एवं एफएआर के अतिरिक्त कोई निर्माण किया जाता है तो उस पर बेटरमेंट लेवी शुल्क वसूला जाता है। यह शुल्क निर्माणकर्ता को नगर पालिका या विकास प्राधिकरण के अनुमत सीमा से अधिक निर्माण करने की अनुमति देता है। बेटरमेंट लेवी के शुल्क की गणना संबंधित नियमों के आधार पर की जाती है। अधिकांश इमारतों में तय स्वीकृति के अतिरिक्त एफएआर का निर्माण पाया जाता है। जेडीए व संबंधित निकाय इसकी जांच करके शुल्क तय करती है। संबंधित बिल्डरों को पांच किश्तों में यह राशि देनी होती है। तय राशि के पोस्टेडेड चेक बिल्डर संबंधित विभाग को जमा करवाता है। समय पर राशि नहीं देने पर बारह फीसदी ब्याज के प्रावधान भी है। पहले एक मुश्त बेटरमेंट लेवी ली जाती थी, लेकिन पिछली सरकार में बिल्डरों के दबाव में इस शुल्क को पांच किस्तों मेंददिए जाने का प्रावधान कर दिया था। पांच किस्तें तय होने पर भी बिल्डर राशि देने से बच रहे हैं और जेडीए को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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