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Photograph: (the sootr)
राजस्थान की राजनीति में चर्चित नेता नरेश मीणा ने हाल ही में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि राज्य की भाजपा सरकार उन्हें फिर से जेल भेजने की कोशिश कर रही है। उनका यह बयान तब सामने आया, जब उन्होंने दौसा जिले में मीडिया से बातचीत की। मीणा ने बताया कि सरकार ने उनकी जमानत खारिज करने के लिए राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, ताकि उन्हें फिर से सलाखों के पीछे डाला जा सके।
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अनशन के बाद नरेश का बयान
नरेश मीणा ने कुछ दिन पहले भजनलाल सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए आमरण अनशन किया था। हालांकि उनकी सभी मांगें सरकार ने नकार दीं, जिसके बाद उन्हें 15 दिन के बाद अपना अनशन तोड़ना पड़ा। इस दौरान उनके जनसमर्थन में भी काफी वृद्धि हुई। अनशन तोड़ने के बाद नरेश मीणा ने दौसा में बड़ा बयान दिया और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह उनकी आवाज दबाने के लिए उन्हें फिर से जेल भेजने की साजिश कर रही है।
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जमानत खारिज करने की कोशिश
नरेश मीणा ने अपनी जमानत को लेकर कहा कि सरकार बार-बार उन्हें जेल भेजने के लिए कोर्ट में याचिका दायर कर रही है। उनका आरोप है कि सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है, ताकि उनकी जमानत खारिज हो जाए और उन्हें फिर से सलाखों के पीछे डाल दिया जाए। इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है, क्योंकि मीणा का यह आरोप सीधे तौर पर सरकार पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
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पिछले साल का जेल का अनुभव
नरेश मीणा का जेल में बिताया गया समय भी उनकी राजनीति का अहम हिस्सा है। पिछले साल 2024 विधानसभा उपचुनाव के दौरान हुए एसडीएम थप्पड़ कांड में उनका नाम सामने आया था, जिसके बाद उन्हें करीब 8 महीने तक टोंक जेल में रहना पड़ा। 11 जुलाई, 2025 को उनकी जमानत हुई और वे रिहा हुए।
इसके बाद जब झालावाड़ में स्कूल हादसे में सात बच्चों की मौत पर मीणा ने आंदोलन किया, तो उन पर मारपीट का आरोप भी लगा। इस मामले में भी उन्हें गिरफ्तार किया गया और एक महीने 8 दिन जेल में रहना पड़ा। कुल मिलाकर, मीणा ने एक साल के भीतर 9 महीने से अधिक समय जेल में बिताया है।
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राज्य की राजनीति में उलझन
नरेश मीणा के बयान से साफ है कि राज्य की राजनीति में गहरे मतभेद और विवाद चल रहे हैं। इस तरह के आरोपों से न केवल राजनीतिक माहौल गरमा रहा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि नरेश मीणा की राजनीतिक स्थिति मजबूत हो रही है, जिसके कारण भाजपा सरकार की ओर से उनके खिलाफ कदम उठाए जा रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि सरकार उनकी आवाज को दबाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, जबकि विपक्ष का कहना है कि यह सरकार की रणनीति है।