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राजस्थान में पिछले पांच सालों में स्कूली बच्चों की दुर्घटनाओं में मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 568 बच्चों ने विभिन्न दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाई है। इनमें सरकारी स्कूलों के 482 और निजी स्कूलों के 86 बच्चे शामिल हैं। विशेष रूप से, 80 प्रतिशत से अधिक बच्चों की मौत करंट लगने और डूबने जैसी घटनाओं के कारण हुई है।
बच्चों की मौतों के कारण
राजस्थान में बच्चों की मौतों के मुख्य कारणों में सड़क दुर्घटनाएं, डूबना, करंट लगना, स्कूल बस दुर्घटनाएं, बीमारी, आकस्मिक मृत्यु, गहरे नाले में डूबना, छत गिरना, मिट्टी में दबना, डेंगू बीमारी, सांप का काटना, जलकुंड की पट्टियां टूटना, जंगली जानवर के काटने से, और आकाशीय बिजली गिरने जैसी घटनाएं शामिल हैं।
राजस्थान के स्कूलों में बीमा योजना बंद क्यों हुई
राजस्थान में हादसों में बच्चों की मौत के मामले बढ़ रहे हैं। स्कूली इमारतें गिरने से बच्चों की मौत के मामले तो सामने आ ही रहे हैं। कहीं करंट लगने से बच्चों की मौत हो रही है तो कहीं डूबने से बच्चों की मौत के मामले भी सुर्खियां बन रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि राजस्थान के स्कूलों में बीमा योजना बंद क्यों हुई?
हाल ही में डीडवाना विधायक यूनुस खान ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था, जिसमें जानकारी दी गई कि शिक्षा विभाग ने 2022-23 सत्र में विद्यार्थियों के लिए जारी की गई दुर्घटना बीमा योजना को बंद कर दिया है। इस योजना के तहत बच्चों और उनके परिजनों को बीमा के रूप में एक लाख रुपए तक की सहायता दी जाती थी। इस योजना के तहत प्रत्येक बच्चे से पांच रुपए का बीमा शुल्क भी लिया जाता था।
शिक्षा विभाग का कहना है कि चिरंजीवी योजना शुरू होने के बाद इस बीमा योजना को बंद कर दिया गया, जिसमें 10 लाख रुपए तक का बीमा मिलता है। लेकिन यह चौंकाने वाली बात है कि विभाग ने इस योजना को बंद करने की जानकारी न तो बच्चों को दी और न ही उनके अभिभावकों को बताया कि अब बीमा का फायदा कैसे लिया जा सकता है।
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राजस्थान विश्वविद्यालय की दुर्घटना बीमा योजना
राजस्थान विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए दुर्घटना बीमा की योजना चल रही है। विश्वविद्यालय में प्रवेश के दौरान विद्यार्थियों से 100 रुपए का शुल्क लिया जाता है, जिसके बदले उन्हें दुर्घटना में मौत होने पर 12 लाख और इलाज के लिए 1 लाख रुपए तक की बीमा राशि मिलती है। अब तक विश्वविद्यालय की ओर से चार करोड़ रुपए की बीमा राशि जारी की जा चुकी है।
शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी
स्कूली बच्चों की मौतों के बढ़ते आंकड़ों के बावजूद शिक्षा विभाग ने बीमा योजना को बंद कर दिया, जबकि बच्चों के जीवन और सुरक्षा के लिए इस योजना की बेहद अहमियत थी। विभाग को बच्चों और उनके अभिभावकों को इस निर्णय की जानकारी देनी चाहिए थी ताकि वे नए बीमा विकल्पों के बारे में जान सकें।
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बीमा योजना के बारे में विभाग का तर्क
शिक्षा विभाग का तर्क है कि चिरंजीवी योजना के तहत अब बच्चों को 10 लाख तक बीमा राशि मिल रही है, जो पहले की योजना से अधिक है। हालांकि, विभाग ने यह जानकारी किसी भी माध्यम से बच्चों और उनके अभिभावकों तक नहीं पहुंचाई। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या यह विभाग की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे बच्चों के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों की जानकारी प्रदान करें और सुनिश्चित करें कि सभी के पास एक मजबूत बीमा कवर हो।
हादसों का क्या है सबकये घटनाएं राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था की कमजोरियों और बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती हैं। यदि सरकार ने बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो ऐसी दुर्घटनाओं की संख्या में और वृद्धि हो सकती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए जाएं और बच्चों को हर तरह के खतरे से बचाने के लिए बीमा योजनाओं को लागू किया जाए। | |