राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल में फर्जीवाड़ा के बाद शुरू हुई मुंह चमकाने की कवायद

राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के अंकतालिकाओं में फर्जीवाड़े की जांच के लिए शिक्षा विभाग ने कमेटी गठित की। अब अंकतालिकाओं में संशोधन पर सख्ती लागू की गई है।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल (Rajasthan State Open School) की अंकतालिकाओं में संशोधन के नाम पर हुए फर्जीवाड़े के मामले में सोमवार को शिक्षा विभाग ने एक जांच कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी को पूरा मामला जांचने के बाद सरकार को रिपोर्ट सौंपनी होगी, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

अंकतालिका फर्जीवाड़े की जांच

फर्जीवाड़े के मामले में स्टेट ओपन स्कूल (RSOS) ने यह स्वीकार किया कि कई कर्मचारियों की आईडी का गलत इस्तेमाल किया गया, जिससे अंकतालिकाओं में बदलाव किया गया। अब, इस मामले में सख्त कार्रवाई की जा रही है। कमेटी इस पूरे मामले की जांच करके रिपोर्ट तैयार करेगी, ताकि दोषियों के खिलाफ उचित कदम उठाए जा सकें।

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ओटीपी सिस्टम लागू किया

राज्य ओपन स्कूल ने अब अंकतालिकाओं के संशोधन या किसी भी तरह के आईडी के इस्तेमाल के लिए एक सख्त ओटीपी (OTP) प्रणाली लागू की है। डीओआईटी (DOIT) से वार्ता के बाद यह तय किया गया कि बिना ओटीपी के किसी भी कर्मचारी की आईडी को खोला नहीं जा सकेगा। इससे पहले यह सिस्टम लागू नहीं था, जिसके कारण कई लोग दूसरे लोगों की आईडी का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे थे।

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संविदा कर्मियों की करतूत

इस मामले में कुछ संविदा कर्मियों की आईडी का भी दुरुपयोग हुआ है। इन कर्मियों को यह तक नहीं पता चला कि उनके आईडी से अंकतालिकाओं में बदलाव किया गया। इन कर्मियों ने अब अधिकारियों के पास जाकर इस धोखाधड़ी की शिकायत की है।

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कराई एफआईआर, रोका रिजल्ट

राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल ने इस मामले को गंभीरता से लिया और बजाज नगर थाने में एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई। एफआईआर में यह आरोप लगाया गया कि कार्यरत संविदाकर्मी राकेश कुमार शर्मा ने वर्ष 2019-20 में दीपक की अंकतालिका में संशोधन किया और शालिनी नाम से दूसरी अंकतालिका तैयार कर दी थी। इस फर्जीवाड़े के बाद, 19 जून को जारी रिजल्ट की अंकतालिकाओं को रोक दिया गया था, जिससे करीब 1 लाख विद्यार्थियों की अंकतालिकाएं अटक गईं थीं।

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मार्कशीट पर लगा होगा क्यूआर कोड

जांच कमेटी के गठन के बाद, अब अंकतालिकाओं की प्रिंटिंग का काम फिर से शुरू कर दिया गया है। यह प्रिंटिंग स्टेट ओपन स्कूल के कार्यालय में हो रही है, और इसे नोडल केंद्रों पर भेज दिया जाएगा। इसके साथ ही अंकतालिकाओं में क्यूआर कोड (QR Code) भी जोड़ा जा रहा है, जिससे इसे स्कैन करने पर अंकतालिका का पूरा ब्योरा मिल सकेगा। यदि भविष्य में अंकतालिका में कोई बदलाव होता है, तो वह आसानी से पकड़ा जा सकेगा।

 

स्टेट ओपन स्कूल की सचिव अरुणा शर्मा ने इस मामले में कहा कि जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है और अब ओटीपी सिस्टम लागू किया गया है। इस सिस्टम के जरिए यह आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा कि किसी ने कर्मचारी की आईडी खोली है और कब खोली है।

 

RSOS के बारे में जानें 

राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल (Rajasthan State Open School) राजस्थान सरकार द्वारा स्थापित एक स्वायत्तशासी संस्थान है जो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्रदान करता है, खासकर उन छात्रों के लिए जो नियमित स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं।

  • उद्देश्य: RSOS का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को शिक्षा प्रदान करना है जो विभिन्न कारणों से नियमित स्कूलों में शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, जैसे कि महिलाएं, ग्रामीण युवा, कामकाजी व्यक्ति, और अन्य वंचित समूह।
  • पाठ्यक्रम: RSOS माध्यमिक (कक्षा 10) और उच्च माध्यमिक (कक्षा 12) स्तरों पर पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
  • क्रेडिट ट्रांसफर: RSOS में, अन्य शिक्षा बोर्डों से उत्तीर्ण छात्र अधिकतम दो विषयों के लिए क्रेडिट ट्रांसफर (TOC) सुविधा का उपयोग कर सकते हैं।
  • परीक्षा: RSOS साल में दो बार परीक्षाएं आयोजित करता है, एक बार मार्च-मई में और दूसरी बार अक्टूबर-नवंबर में।
  • अध्ययन केंद्र: RSOS के पास राजस्थान राज्य में प्रत्येक क्षेत्र में अध्ययन केंद्र हैं, जो छात्रों को सहायता प्रदान करते हैं।
  • मान्यता: RSOS द्वारा जारी 10वीं और 12वीं के प्रमाण पत्र केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं।

 


FAQ

1. राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के अंकतालिकाओं में क्या फर्जीवाड़ा हुआ था?
राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल में कई कर्मचारियों की आईडी का गलत इस्तेमाल करके अंकतालिकाओं में फर्जीवाड़ा किया गया था। इससे कई छात्रों के रिजल्ट प्रभावित हुए थे।
2. स्टेट ओपन स्कूल ने फर्जीवाड़े के मामले में क्या कदम उठाए हैं?
स्टेट ओपन स्कूल ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है और ओटीपी सिस्टम को लागू किया है ताकि आईडी का गलत इस्तेमाल रोका जा सके।
3. फर्जीवाड़े के बाद रिजल्ट में क्या बदलाव हुए थे?
फर्जीवाड़े के बाद 19 जून को जारी रिजल्ट की अंकतालिकाओं को रोक दिया गया था। इसके कारण करीब 1 लाख विद्यार्थियों की अंकतालिकाएं अटक गई थीं।

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