पधारो म्हारे देस : पावणे आवारा कुत्तों से बचने का इंतजाम करके आएं, किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी!

राजस्थान और उसकी राजधानी जयपुर में बढ़ते डॉग बाइटिंग के मामलों से पर्यटकों और निवासियों में भय है। सरकार को जल्द प्रभावी कदम उठाने होंगे, विशेषकर आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए। यहां जानिए पूरी जानकारी।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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योगेन्द्र योगी @ जयपुर

आओ जी पधारो, म्हारे देस। यह स्लोगन राजस्थान में देसी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए है। प्रदेश में जिस तरह आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, उससे पता नहीं ये पावणे भी कब चपेट मे आ जाएं। दूसरे शब्दों में कहें तो डॉग बाइटिंग के केस पर्यटन के लिहाज से राजस्थान का नाम बदनाम कर रहे हैं। अफसरशाही को इसकी परवाह नहीं है।

राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद प्रदेश में डॉग बाइटिंग की घटनाएं थम नहीं रही हैं। प्रदेशवासी और पर्यटक इन घटनाओं से भयभीत हैं। डॉग बाइटिंग के मामले में राजधानी जयपुर का भी बुरा हाल है। 

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एसएमएस हॉस्पिटल में 79 मरीज

जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में डॉग बाइट के 79 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जिनमें 45 नए और 34 पुराने केस हैं। डॉक्टरों के अनुसार, 50 प्रतिशत से अधिक मामले बच्चों से संबंधित हैं।

राजस्थान और देशभर में कुत्तों के काटने के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं और अब हालात चिंताजनक हो चुके हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हर साल इन मामलों में भारी बढ़ोतरी हो रही है। कुत्तों का शिकार सबसे ज्यादा 15 वर्ष तक की आयु के बच्चे हो रहे हैं। 

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समय रहते जरूरी कदम उठाने होंगे

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है। राजस्थान में वर्ष 2023 के मुकाबले 2024 में डॉग बाइट के मामलों में 35.74 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। अधिकतर हमले स्ट्रीट डॉग्स करते हैं। 

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मुख्य वजह है उनका गंदे खाद्य पदार्थों का सेवन करना। साथ ही, कुत्तों के व्यवहार में बदलाव भी देखा गया है, क्योंकि उनकी जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। खासकर बरसात के मौसम में कुत्ते अधिक आक्रामक हो जाते हैं और थोड़ी भी असहजता महसूस होने पर हमला कर देते हैं।

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जयपुर में इस तरह बढ़े मामले

जयपुर में वर्ष 2021 में 6741, 2022 में 7243, 2023 में 7874, 2024 में 8804 और वर्ष 2025 में (जून तक) 5228 डॉग बाइट के मामले सामने आ चुके हैं। आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सहित कई राज्य सरकारों को फटकार लगाई है।

राज्य सरकार पर एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने का भारी दबाव है। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वे 22 अगस्त के उस आदेश का पालन नहीं कर पाए, जिसमें आवारा कुत्तों की नसबंदी, डी-वार्मिंग और टीकाकरण के लिए ABC रूल्स, 2023 के तहत एक नीति बनाने का निर्देश दिया गया था।

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केवल सात दिन बाकी

राजस्थान सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए केवल सात दिन बचे हैं। आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया है। सरकार पर एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने का भारी दबाव है।

देश में भी हालात भयावह

देश के तमाम राज्यों में कुत्तों के काटने के मामले सामने आते हैं, जिनका आंकड़ा सरकार की तरफ से जारी किया जाता है। राजधानी दिल्ली में पिछले साल यानी 2024 में 25 हजार से ज्यादा डॉग बाइट के मामले सामने आए। वहीं महाराष्ट्र में 4 लाख 85 हजार से ज्यादा मामले सामने आए।

तमिलनाडु में चार लाख 80 हजार, गुजरात में तीन लाख 92 हजार, कर्नाटक में तीन लाख 61 हजार, उत्तर प्रदेश में एक लाख 64 हजार, राजस्थान में एक लाख 40 हजार, बिहार में दो लाख 63 हजार, आंध्र प्रदेश में दो लाख 45 हजार और असम में एक लाख 66 हजार मामले सामने आए।

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