राजस्थान में SIR : 70 फीसदी वोटर को नहीं देने होंगे कोई दस्तावेज, आयोग ने पहले ही शुरू की मैपिंग

राजस्थान में निर्वाचन आयोग ने कहा है कि एसआईआर प्रक्रिया के तहत करीब 70 फीसदी वोटर्स को किसी प्रकार के दस्तावेज नहीं देने होंगे। चुनाव आयोग ने वोटर्स की मैपिंग शुरू कर दी है। आयोग ने बिहार की प्रक्रिया से सबक लिया है।

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Amit Baijnath Garg
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naveen mahajan

Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान के 70 फीसदी वोटर को मतदाता सूचियों के गहन पुनरीक्षण के दौरान कोई दस्तावेज नहीं देना होगा। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि राज्य निर्वाचन आयोग ने बिहार में पहले फेज में दस्तावेज मांगने के विवादों से सबक लेते हुए पहले ही वो​टर की मैपिंग शुरू कर दी है।
  
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारे 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं को जिस दिन एसआईआर की घोषणा की है, उस दिन से ही कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी। 

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इतनी हो चुकी है मैपिंग

महाजन ने कहा कि बीएलओ के घर-घर जाकर फॉर्म भरवाने तक यह आंकड़ा 80 प्रतिशत से ज्यादा भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि 27 अक्टूबर तक राजस्थान में 5,48,84,570 वोटर्स हैं। 2002 से 2005 की वोटर लिस्ट के बाद 70.55 प्रतिशत वोटर्स की मैपिंग हो चुकी है। 70.55 प्रतिशत वोटर्स के नाम मैच हो चुके हैं तथा बाकी के मैच होने बाकी हैं। बीएलओ ऐप के माध्यम से 40 साल से ज्यादा ऐज के 79.32 प्रतिशत वोटर्स फीड हो चुके हैं और 40 कम उम्र के 22.22 प्रतिशत वोटर्स की मैपिंग हुई है।

12 राज्यों में राजस्थान सबसे आगे

महाजन ने बताया कि एसआईआर वाले राज्यों में मैपिंग में राजस्थान सबसे आगे है।  राजस्थान में ईसीआई नेट पर कुल मैपिंग 49.37 फीसदी हो चुकी है, जबकि गुजरात में 5.73, यूपी में 13.41, एमपी में 20.09, तमिलनाडु में 21.62 और छतीसगढ़ में 24.27 फीसदी वोटर की ही मैपिंग हुई है। 

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हर बूथ पर 890 वोटर रह जाएंगे

महाजन ने बताया कि एसआईआर के बाद 8,819 नए पोलिंग बूथ बनने के कारण एक बूथ पर औसतन 890 वोटर ही रह जाएंगे और प्रदेश में एसआईआर के बाद 61,309 पोलिंग बूथ हो जाएंगे। इससे किसी भी बूथ पर ज्यादा भीड़ नहीं होगी।  

तीन बार नहीं मिले तो चिपकेगा नोटिस

महाजन ने बताया कि बीएलओ एक महीने में घर-घर जाकर गणना फॉर्म भरेगा। हर वोटर को यह फॉर्म दिया जाएगा। बीएलओ हर घर पर तीन बार जाकर फॉर्म भरवाने जाएंगे। तीन बार में नहीं मिलने पर उस घर पर बीएलओ फॉर्म घर में डाल देगा और नोटिस चिपका देगा।

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ऑनलाइन भर सकेंगे ईएफ, क्यूआर कोड भी

महाजन ने बताया कि ईएफ को कहीं से भी ऑनलाइन भरा जा सकेगा। हर ईएफ का अलग क्यूआर कोड होगा। इससे डेड वोटर्स, परमानेंट माइग्रेट करने वालों के नाम हट जाएंगे। यह प्रत्येक वोटर के लिए बहुत आसान प्रक्रिया रहेगी। 

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किसी भी प्रदेश से हो सकेगा मिलान

महाजन ने बताया कि बहुत से दूसरे प्रदेश की सीमा के नजदीक के निवासियों के उन प्रदेशों में रिश्ते होते हैं। पूर्व में वो​टर लिस्ट के अभाव में दूसरे राज्यों के वोटर की मैपिंग यानी उन्हें खोजना मुश्किल था। अब वोटर लिस्ट उपलब्ध होने से देश के किसी भी राज्य के वोटर को मैच कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त पुरानी एसआईआर की वोटर लिस्ट ऑनलाइन उपलब्ध होने से डाटाबेस का मिलान आसान हो जाएगा। 

ड्राफ्ट लिस्ट में नाम हटेंगे

एसआईआर की ड्राफ्ट लिस्ट 9 दिसंबर को प्रकाशित होगी। ड्राफ्ट लिस्ट में मृत, डुप्लीकेट नाम वाले तथा स्थायी तौर पर राजस्थान से बाहर जाने वाले वोटर के नाम हटेंगे। वोटर लिस्ट में दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वालों के नाम भी हटेंगे। हटाए गए सभी नाम वेबसाइट पर सार्वजनिक होंगे।

जिनके नाम पिछली एसआईआर की वोटर लिस्ट में हैं, उन्हें कोई दस्तावेज नहीं देना है। माता-पिता या दादा-दादी के नाम अगर पिछली एसआईआर में है, तो उन्हें पहचान का एक दस्तावेज देना होगा। जिनके नाम मैच नहीं होंगे, उन्हें ईआरओ नोटिस जारी कर दस्तावेज जमा करवाने के लिए कहेगा।

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दो जगह नाम रखने पर सजा 

पूरे देश के वोटर लिस्ट का डाटा मशीन रीडिंग फॉर्मेट में उपलब्ध है। इसलिए वोटर लिस्ट में दो जगह नाम वाले अब पकड़े जाएंगे। पहले दूसरे राज्यों की वोटर लिस्ट उपलब्ध नहीं होने से वेरिफिकेशन और जांच में वक्त लगता था। अब डबल नाम वालों को बाहर किया जाएगा। वोटर लिस्ट में दो जगह नाम रखने पर एक साल की सजा का प्रावधान है। 

घुमंतू परिवारों को भी दिए जाएंगे फॉर्म 

महाजन ने बताया​ कि एसआईआर में घुमंतू परिवारों को भी फॉर्म दिए जाएंगे। घुमंतू परिवारों तक फॉर्म पहुंचाने के लिए बीएलओ के साथ वॉलंटियर्स की सहायता ली जाएगी। उन्होंने कहा कि इन्हें भी प्रक्रिया में शामिल करने का पूरा प्रयास किया जाएगा।

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