राजस्थान में 58 हजार से ज्यादा कुत्ते पकड़े, 52 हजार की नसबंदी, सरकार का सुप्रीम कोर्ट में जवाब

राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 58,210 आवारा कुत्तों को पकड़े जाने और 52,230 कुत्तों की नसबंदी की रिपोर्ट पेश की। इसमें बताया है कि निकायों में बड़े पैमाने पर नसबंदी, टीकाकरण और कृमिनाशक अभियान चलाए गए।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. आवारा कुत्तों के काटने पर स्व:प्रेरणा से दर्ज प्रसंज्ञान पर सुनवाई के दौरान सोमवार को अन्य राज्यों के साथ राजस्थान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पालना रिपोर्ट पेश की गई। जयपुर नगर निगम ग्रेटर की ओर से पेश रिपोर्ट में बताया है कि 11 अगस्त, 2025 के बाद से राज्य के 312 शहरी स्थानीय निकायों में बड़े पैमाने पर नसबंदी, टीकाकरण और कृमिनाशक अभियान चलाए गए। 

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पेश की विस्तृत रिपोर्ट 

स्थानीय निकाय व शासन विभाग ने 27 अगस्त को सकुर्लर जारी कर सभी नगर निकायों को खुराक स्थलों की पहचान करने, नसबंदी केंद्रों की स्थापना करने, प्रशिक्षित टीमों की तैनाती और शेल्टर होम्स में सीसीटीवी लगाने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट में विस्तृत जानकारी दी है।  

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यह बताया रिपोर्ट में

सरकार ने रिपोर्ट में बताया कि पकड़े और छोड़े गए कुत्तों की संख्या 58,210 है। वहीं 52,230 कुत्तों की नसबंदी की गई है। इसके साथ ही 5,980 कुत्तों का टीकाकरण भी किया गया है। साथ ही 1,830 कुत्तों का कृमिनाशक उपचार किया गया है। 

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जानकारी में यह भी बताया

राजस्थान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया है कि जोधपुर में 850 कुत्तों की क्षमता वाला शेल्टर हाउस स्थापित किया गया है। जयपुर में नसबंदी केंद्र और सीसीटीवी से सुसज्जित आश्रय गृह शुरू किए हैं। उदयपुर नगर निगम ने एनिमल एड चैरिटेबल ट्रस्ट नाम के एनजीओ के साथ समझौता कर नसबंदी कार्यक्रम लागू किया है और अभियान में अब तक 15,000 से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है। 

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हेल्पलाइन नंबर भी जारी

सरकार ने बताया कि आवारा कुत्तों की शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है। वहीं परिवहन विभाग ने आवारा पशु नियंत्रण को अपनी 10 वर्षीय सड़क सुरक्षा कार्ययोजना में शामिल किया है और ग्रामीण विकास विभाग ने सड़कों से मवेशी हटाने के निर्देश दिए हैं। 

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एनजीओ की मदद से फीडिंग जोन

सरकार रेजीडेंट वेलफेयर सोसाइटी और एनजीओ के सहयोग से फीडिंग जोन तय कर रही है, ताकि जनसुविधा और पशु कल्याण के बीच संतुलन बना रहे। अदालत ने कहा कि सभी राज्यों की रिपोर्टों का विश्लेषण कर जल्द ही देशव्यापी दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे, ताकि एनिमल बर्थ कंट्रोल नियम 2023 का एकरूप और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।

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