हजारों यात्रियों के लिए बड़ा झटका, एमपी से राजस्थान जाने वाली स्लीपर बसें बंद, जानें वजह

मध्‍य प्रदेश से राजस्थान के लिए चलने वाली स्लीपर बसें अचानक बंद हो गई हैं। ऐसे में हजारों यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है। वहीं, रेलवे का टिक्का मिलना मुश्किल हो गया है। जानिए पूरा मामला...

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Amresh Kushwaha
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राजस्थान में प्राइवेट बस ऑपरेटरों की हड़ताल का असर अब मध्यप्रदेश में भी दिखने लगा है। करीब 7 हजार स्लीपर बसें एक साथ खड़ी कर दी गई हैं। इससे भोपाल और इंदौर से जयपुर, बीकानेर, उदयपुर जैसी प्रमुख जगहों के लिए चलने वाली बसें पूरी तरह बंद हैं। बीते चार दिन से ISBT भोपाल में 20 से ज्यादा AC और डीलक्स बसें एक ही जगह अटकी पड़ी हैं।

बस स्टैंड पर उलझन में यात्री

तीन दिन पहले से ऑनलाइन बुकिंग बंद है, लेकिन कई यात्रियों को इसकी जानकारी नहीं है। जैसे, बीकानेर मजदूरी के लिए निकले यात्री भरतलाल को जब पता चला कि कोई बस नहीं चल रही, तो उन्होंने लालघाटी और फिर ISBT तक चक्कर लगाए, लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा।

भरतलाल ने कहा, जोधपुर छोड़ने के लिए प्राइवेट टैक्सी वाले 2200 रुपए प्रति व्यक्ति मांग रहे हैं। हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं, अब घर लौटना पड़ेगा। ऐसे हजारों यात्री हैं जो या तो ज्यादा किराया देकर यात्रा कर रहे हैं या फिर सफर ही टाल दिया है।

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बसें बंद, ट्रेनों में बढ़ी धक्कामुक्की

बसों के पहिए थमते ही यात्रियों का सहारा केवल भारतीय रेल बचा है, लेकिन वहां भी हालात खराब हैं। 4 और 5 नवंबर तक जयपुर, बीकानेर, उदयपुर, जोधपुर जाने वाली सभी ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट लंबी है। स्लीपर ही नहीं, AC कोच तक में कन्फर्म टिकट मिलना मुश्किल हो गया है।

ड्राइवर-कंडक्टर भी लाचार

हड़ताल से सिर्फ यात्री ही नहीं, स्लीपर बस स्टाफ भी फंसा है। भोपाल से जयपुर की बस चलाने वाले दिलीप बिराला ने बताया कि उनकी दोनों बसें तीन दिन से वहीं खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि हम बस में ही खाना बना रहे हैं, वहीं सो रहे हैं। यदि निकलें और RTO ने पकड़ लिया, तो आधी रात को कहां जाएंगे?

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कार्रवाई के विरोध में बस ऑपरेटरों की हड़ताल

जैसलमेर और मनोहरपुर में हुए हादसों के बाद राजस्थान परिवहन विभाग ने स्लीपर बसों पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। बसों की बॉडी, इमरजेंसी गेट, फायर सिस्टम समेत कई पहलुओं पर भारी चालान और सीजिंग की गई है।

इसी के विरोध में अखिल राजस्थान कांट्रेक्ट कैरिज बस एसोसिएशन ने हड़ताल का ऐलान किया है। एक बस मालिक बुद्धा राम ने कहा, रोजाना 50 हजार से एक लाख रुपए तक के चालान काटे जा रहे हैं। एक बस ऑपरेटर को 30 हजार रुपए रोज का घाटा हो रहा है।

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सरकार से ऑपरेटर कर रहे राहत की मांग

ऑपरेटरों की मांग है कि उन्हें सुधार के लिए 6 महीने का समय दिया जाए। साथ ही, सीज की गई वर्कशॉप्स को फिर से शुरू किया जाए। ऑपरेटरों का कहना है कि वे नियमों का पालन करने को तैयार हैं, लेकिन सुधार के लिए उन्हें संसाधन और समय चाहिए।

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किराया वसूली का चल रहा खेल

हड़ताल के बीच कुछ ऑपरेटर मनमाने किराए वसूल रहे हैं। जो बसें चोरी-छिपे चल रही हैं, वे तीन से चार गुना किराया ले रही हैं। हालांकि पुणे, मुंबई, अहमदाबाद, सूरत जैसे रूट पर बसें सामान्य चल रही हैं और वहां ज्यादा सख्ती नहीं है।

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