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BHOPAL. मध्य प्रदेश में मॉडिफाइड स्लीपर बसों के संचालन को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। एमपी परिवहन विभाग ने फील्ड अफसरों को सभी बसों में सुरक्षा मानकों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने कहा कि राज्य की कई स्लीपर बसें सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं कर रही हैं। इन बसों को जल्द ही बंद किया जाएगा। विभाग ने यह कदम हाल ही में राजस्थान में हुए बस हादसे को देखते हुए उठाया है। एसी बस में आग लगने की घटना में अब तक 22 यात्रियों की मौत हो चुकी है।
स्लीपर बसों में सुरक्षा मानकों का उल्लंघन
परिवहन विभाग के निर्देशों के तहत, सभी स्लीपर बसों में ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (AIS) की जांच की जा रही है। एआईएस कोड भारत सरकार के जरिए निर्धारित सुरक्षा मानकों का सेट है। यह खासतौर पर बसों और स्कूल वाहनों की संरचना और अग्नि सुरक्षा से जुड़ा है।
सुरक्षा जांच के बाद ही चलेंगी एसी बसें
प्रदेश में कुल 5787 स्लीपर बसें रजिस्टर्ड हैं। इनमें 3472 एसी बसें हैं। इन बसों का संचालन अब सुरक्षा जांच के बाद ही किया जाएगा। परिवहन विभाग ने क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों (RTO) को सभी बसों की जांच करने का आदेश दिया है। इसके बाद ही बसों को चलाने की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही, यदि कोई बस निर्धारित मानकों का पालन नहीं करती तो उस पर जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी।
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इन सुरक्षा मानकों पर होगी मॉडिफाइड बस की जांचपरिवहन विभाग ने सभी बसों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जांच शुरू कर दी है। इस जांच में खासतौर पर इन बिंदुओं पर ध्यान दिया जा रहा है: इमरजेंसी एग्जिट: हर स्लीपर और स्कूल बस में दो अलग-अलग दरवाजे होने चाहिए। इनमें से एक आपातकालीन स्थिति में बाहर निकलने के लिए। स्लीपर लेआउट की जांच: AIS 119 के अनुसार सीट और बर्थ का लेआउट सही होना चाहिए। फायर सेफ्टी सिस्टम: 1 अक्टूबर 2023 के बाद बनी बसों में फायर डिटेक्शन और प्रिवेंशन सिस्टम अनिवार्य हैं। ज्वलनशील पदार्थ पर रोक: किसी भी यात्री वाहन में ज्वलनशील पदार्थ लाने और ले जाने पर सख्त रोक रहेगी। |
पूर्व परिवहन आयुक्त ने बताई मॉडिफाइड बसों की खामियां
पूर्व परिवहन आयुक्त एनके त्रिपाठी ने बताया कि जब बस के इंटरनल लेआउट को बिना तकनीकी मंजूरी के बदला जाता है, तो इससे न सिर्फ आग से संबंधित खतरे बढ़ते हैं, बल्कि वेंटिलेशन और आपातकालीन निकासी के रास्ते भी बाधित हो जाते हैं।
अब तक 12 बसों पर लग चुका है जुर्माना
जानकारी के अनुसार, भोपाल में RTO टीम ने पहली जांच में ही 12 बसों पर 42 हजार 500 रुपए का जुर्माना लगाया है। इन बसों में फायर एक्सटिंग्विशर की कमी पाई गई और कुछ बसों के दस्तावेज भी सही नहीं थे।