राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव पर पाबंदी हटाने के मामले में शुक्रवार को राजस्थान हाई कोर्ट में सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांगा। जस्टिस अनूप ढंड की अदालत ने छात्र जय राव की याचिका पर सुनवाई करते हुए 29 जुलाई को राजस्थान सरकार और राजस्थान यूनिवर्सिटी से जवाब तलब किया था, लेकिन शुक्रवार को महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने जवाब पेश करने के लिए कोर्ट से समय मांगा। इस पर कोर्ट ने 10 दिन का समय देते हुए सुनवाई टाल दी।
याचिका में कहा गया है कि सरकार पिछले तीन सत्रों से छात्रसंघ चुनाव नहीं करवा रही है, जबकि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के तहत एकेडमिक सेशन शुरू होने के 6-8 सप्ताह के अंदर ही चुनाव कराए जाने का प्रावधान है। छात्रसंघ चुनाव के जरिए छात्र प्रतिनिधि चुनना छात्रों का मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) है। सरकार उसका उल्लंघन कर रही है।
दो साल से कारण नहीं बता रही सरकार
वकील शांतनु पारीक ने कि राज्य सरकार हाई कोर्ट की लार्जर बेंच के फैसले और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को नहीं मान रही है। दोनों में छात्रसंघ चुनाव कराने की बात कही गई है। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से चुनाव नहीं करवाने का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि सरकार पिछले दो सालों से बिना किसी कारण के चुनाव नहीं करवा रही है।
उन्होंने बताया कि सत्र 2023-24 में सरकार ने चुनाव नहीं कराने के पीछे कारण बताते हुए कहा था कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी अभी लागू हुई है। उसके प्रावधान लागू करने में समय लग रहा है। लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें लागू नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में चुनाव नहीं करा सकते हैं, लेकिन सत्र 2024-25 और सत्र 2025-26 में राजस्थान सरकार ने चुनाव नहीं करवाने का कोई कारण नहीं बताया। सवाल यह है कि क्या सरकार इस साल चुनाव करा पाएगी?
FAQ
1. राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं?
राज्य सरकार पिछले तीन सत्रों से छात्रसंघ चुनाव नहीं करवा रही है। याचिका में कहा गया है कि सरकार बिना किसी कारण के चुनाव नहीं करा रही, जबकि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के तहत चुनाव कराए जाने चाहिए।
2. लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार चुनाव क्यों जरूरी हैं?
लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के तहत, छात्रसंघ चुनाव एकेडमिक सेशन के शुरू होने के 6-8 सप्ताह के अंदर कराए जाने चाहिए। यह छात्रों का मौलिक अधिकार है, जिसे राज्य सरकार ने नकारा है।
3. क्या सरकार को चुनाव न कराने का कोई वैध कारण देना चाहिए था?
सरकार को चुनाव न कराने का वैध कारण देना चाहिए था, लेकिन सरकार ने पिछले सत्रों में चुनाव न कराने के कारण बताए, परंतु अगले सत्रों के लिए कोई कारण नहीं बताया।