राजस्थान में छठी तबादला नीति की तैयारी, 31 वर्षों में 5 बार बनी नीतियां कोई काम नहीं आईं
राजस्थान में 31 वर्षों में 5 बार तबादला नीति बनाई गई, लेकिन अब तक किसी नीति का सही क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। अब शिक्षा मंत्री मदन दिलावर छठी तबादला नीति तैयार कर रहे हैं।
राजस्थान में पिछले 31 वर्षों में 5 बार तबादला नीति बनाई जा चुकी है, लेकिन इनमें से कोई भी नीति पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है। अब शिक्षा मंत्री मदन दिलावर छठी तबादला नीति बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान अधिकारी 6 राज्यों का भ्रमण कर चुके हैं, लेकिन मंत्री अब तक तबादलों के अधिकार को अपने हाथ से नहीं छोड़ पाए हैं, जिसके कारण नीति लागू नहीं हो पाई।
पहली और पांचवीं तबादला नीति का अध्ययन
पहली तबादला नीति के लिए आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और गुजरात की नीतियों का अध्ययन किया गया था। इसके बाद पांचवीं नीति के लिए कर्नाटक, पंजाब और ओडिशा की नीतियों का विश्लेषण किया गया। इन नीतियों का अध्ययन तो हुआ, लेकिन राज्य में एक भी नीति पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई।
तबादला नीति बनाने में समय की देरी
राजस्थान में पहली तबादला नीति 1994 में बनाई गई थी, लेकिन इसके बाद दूसरी नीति बनाने में 21 साल का समय लगा। 10 साल में चार नई नीतियां बन चुकी हैं, लेकिन इनकी क्रियान्वयन प्रक्रिया में कई अड़चनों का सामना करना पड़ा है।
1994 में शिक्षा मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने पहली रिपोर्ट सौंपी थी। उन्होंने 17 सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी, जो आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और गुजरात की नीतियों का अध्ययन करती थी। इस नीति में शिक्षकों को विभिन्न श्रेणियों में बांटकर शिक्षक तबादला किया जाने का प्रावधान था, जैसे विकलांग, विधवा और असाध्य रोग से पीड़ित शिक्षक।
वासुदेव देवनानी की यह रही नीति
शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने 2015 में माध्यमिक शिक्षा और प्रारंभिक शिक्षा के लिए तबादला नीति बनाई थी। शारीरिक शिक्षक, वरिष्ठ अध्यापक और व्याख्याता पर यह नीति लागू की गई थी। उन्होंने विभागीय अधिकार के आधार पर तबादला प्रणाली का प्रस्ताव दिया था।
गोविंद सिंह डोटासरा ने बनाया ड्राफ्ट
2021 में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने एक नया ड्राफ्ट जारी किया था। इसमें ऑनलाइन तबादला प्रणाली का प्रस्ताव था, जिसके अंतर्गत शिक्षक खुद अपनी इच्छा से स्थान चुन सकते थे। इसके अलावा, गंभीर बीमारियों से पीड़ित शिक्षकों के लिए तबादला हमेशा के लिए स्वीकार किया गया था।
बीडी कल्ला की नीति में यह
1 दिसंबर, 2023 को शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने एक नया ड्राफ्ट जारी किया। इस ड्राफ्ट में पंजाब, कर्नाटक और ओडिशा की नीतियों का अध्ययन कर समान पद और विषय में तबादला करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस नीति में दिव्यांग, विधवा-परित्यक्ता और सैनिकों की पत्नियों को प्राथमिकता देने का प्रावधान है।
5 लाख शिक्षकों में 2.50 लाख तृतीय श्रेणी के
राज्य में करीब 5 लाख शिक्षक हैं, जिनमें से 2.50 लाख शिक्षक तृतीय श्रेणी के हैं। तृतीय श्रेणी शिक्षकों का आखिरी बार जुलाई, 2018 में तबादला किया गया था। इसके बाद से इन शिक्षकों के तबादलों पर रोक लगा दी गई थी। पिछली कांग्रेस सरकार में इन शिक्षकों के तबादलों के लिए आवेदन लिया गया था, लेकिन तबादला नहीं हुआ।
FAQ
1. राजस्थान में तबादला नीति क्यों लागू नहीं हो पाई?
राजस्थान में तबादला नीति का सही क्रियान्वयन नहीं हो पाया, क्योंकि शिक्षा मंत्रियों ने कभी भी तबादला करने के अधिकार को छोड़ने का निर्णय नहीं लिया। हर बार नई नीति बनाई गई, लेकिन इसे लागू करने में कई अड़चनें आईं।
2. अब तक कितनी तबादला नीतियां बनी हैं?
पिछले 31 वर्षों में राजस्थान में 5 बार तबादला नीति बनाई गई है, जिनमें से कोई भी नीति पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है। अब शिक्षा मंत्री छठी नीति पर काम कर रहे हैं।
3. राजस्थान में कितने शिक्षक हैं और तृतीय श्रेणी के शिक्षक के तबादले कब हुए थे?
राजस्थान में 5 लाख शिक्षक हैं, जिनमें से 2.50 लाख तृतीय श्रेणी के शिक्षक हैं। इन तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले आखिरी बार जुलाई, 2018 में किए गए थे।