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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में मतदाता सूची प्रक्रिया में बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) के रूप में तैनात शिक्षकों को अब आधा दिन स्कूलों में पढ़ाना भी होगा। यह फैसला स्कूलों में सिलेबस समय पर पूरा करने के लिए किया गया है। मास्टरजी आधा दिन वोटर लिस्ट का काम देखेंगे, फिर स्कूलों में भी पढ़ाएंगे।
शिक्षा विभाग ने अगला सत्र 01 जुलाई की जगह 01 अप्रैल, 2026 से प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। सत्र जल्दी शुरू करने के लिए स्कूलों में अभी सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ है। शिक्षक संगठनों ने बीएलओ को आधा दिन अध्यापन कार्य में लगाने के इस फैसले को अव्यवहारिक बताया है।
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शिक्षक संगठनों ने उठाए सवाल
नए फैसले के अनुसार, जिन शिक्षकों की ड्यूटी मतदाता सूची प्रक्रिया में बूथ लेवल अधिकारी के रूप में लगी है, वह आधा समय मतदाता सूची से संबंधित काम निपटाएगा और आधा समय स्कूलों में पढ़ाई कराएगा। वहीं शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार का यह आदेश बच्चों की पढ़ाई पूरी कैसे कराएगा।
शिक्षक संगठनों का सवाल है कि यह कैसे संभव है कि दोनों काम में शिक्षक सही ड्यूटी निभाएं। इस आदेश का दोनों कामों पर असर पड़ेगा। बेहतर होता कि यह आदेश जुलाई में ही जारी हो जाता, जिससे बच्चों की पढ़ाई और अधूरे कोर्स पर प्रभाव नहीं होता।
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कलेक्टरों को लिखी चिट्ठी, ये बताए कारण
स्कूल शिक्षा विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने इस बारे में प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को चिट्ठी लिखी है। इसमें लिखा है कि अगला सत्र एक अप्रैल से शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इस सिलसिले में चालू सत्र की दिसंबर महीने में होने वाली अर्द्धवार्षिक परीक्षा को नवंबर माह में कराया गया है।
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स्कूलों में उपस्थिति अत्यंत आवश्यक
इसी तरह माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी-मार्च माह में ही होंगी। सत्र को पूर्वास्थगित किए जाने से स्कूलों में 20-22 दिन की अवधि में कटौती हुई है। इसके कारण स्कूलों के शैक्षणिक दिवसो में भी कटौती हुई है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए विधार्थियों को निर्धारित समयावधि में संपूर्ण पाठ्यक्रम का अध्ययन कराए जाने, शैक्षणिक गुणवत्ता बनाए रखने तथा विद्यार्थियों को परीक्षाओं के लिए पूर्ण रूप से तैयार करने और सिलेबस समय पर पूरा कराने के लिए अध्यापकों की स्कूलों में उपस्थिति अत्यंत आवश्यक है।
शिक्षकों के अध्यापन की होगी निगरानी
चिट्ठी के अनुसार, जो शिक्षक बीएलओ के रूप में तैनात हैं, वे आधा दिवस तक अनिवार्य रूप से स्कूलों में उपस्थित रहेंगे। साथ ही यह भी तय किया जाएगा कि वे स्कूल में उपस्थित अवधि के दौरान निर्धारित सिलेबस समय पर पूर्ण कराएंगे।
यह भी कहा है कि संबधित अधिकारियों से इस अध्यापन कार्य की सतत निगरानी कराई जाएगी। यह इसलिए कि विद्यार्थियो की पढ़ाई में किसी भी तरह की बाधा न होनी चाहिए। स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियां सुचारू रहना आवश्यक है।
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शिक्षक संगठनों का यह सुझाव
हालांकि सरकार समर्थित शिक्षक संगठन इस बात को मानते हैं कि 20 दिन अगर निर्वाचन संबधी कार्यों से मुक्त करके शिक्षकों को स्कूलों में भेज दें, तो सरकार के आदेश की पालना भी होगी और बच्चों का कोर्स भी पूरा हो जाएगा। प्रदेश में चुनाव के नाम पर राज्य के सभी कलेक्ट्रेट में इसी तरह ड्यूटी लगाई हुई है।
इन शिक्षक संगठनों का कहना है कि अगर सभी जिला कलेक्टर इस पर ध्यान दें तो काम आसान हो सकता है। पर कलेक्टर को अपना काम चाहिए, उसे स्कूल की पढ़ाई से कोई मतलब नहीं। इसका प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है।
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