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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के जलदाय विभाग (Water Supply Department) में हाल ही में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलकर करोड़ों रुपए का फर्जी बिल लगाकर घोटाले को अंजाम दिया गया।
जांच में यह सामने आया कि जिन स्थानों पर हैंडपंप की मरम्मत और नलकूपों की गहराई बढ़ाने का दावा किया गया था, वहां कोई कार्य नहीं हुआ था। विभाग के अधिकारियों ने बिना काम किए ही बिल पास कर दिए, जिससे सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ। इस घोटाले में शामिल दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।
29 अगस्त 2023 को हुए थे टेंडर
अलवर जिले के एनसीआर द्वितीय खंड में 29 अगस्त 2023 को मेंटेनेंस कार्य के लिए टेंडर निकाले गए थे। इन टेंडरों में नलकूपों की गहराई बढ़ाने, हैंडपंप की मरम्मत और अन्य सामान की खरीदी के कार्य शामिल थे। ये कार्य 6 महीने से एक साल के भीतर पूरे करने थे। लेकिन, मामला तब सामने आया जब विभाग को बताया गया कि इनमें से किसी भी कार्य का असल में कोई क्रियान्वयन नहीं हुआ।
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26 नवंबर 2024 को शिकायत, 4 मार्च 2025 से जांच
26 नवंबर 2024 को प्रमुख सचिव शासन को एक शिकायत प्राप्त हुई, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि विभाग द्वारा जारी किए गए टेंडरों में से कोई कार्य नहीं हुआ। इस शिकायत के बाद मुख्य अभियंता ने 4 मार्च 2025 को एक जांच कमेटी बनाई। जांच दल ने कई बार अधिकारियों से दस्तावेजों की मांग की, लेकिन उन्हें समय पर दस्तावेज नहीं दिए गए। इसके बाद सख्त निर्देश दिए गए, जिससे कुछ रिकॉर्ड उपलब्ध हो पाए।
जहां हैंडपंप ही नहीं वहां भी मरम्मत का दावा
अलवर जिले के रामगढ़, थानागाजी और अन्य क्षेत्रों में 341 जगहों पर हैंडपंप की मरम्मत करने का दावा किया गया था। जांच में पाया गया कि इन स्थानों पर एक भी हैंडपंप सही नहीं किया गया था। न केवल हैंडपंप, बल्कि उनके प्लेटफॉर्म भी सही नहीं थे। एक उदाहरण के तौर पर, रामगढ़ के राजपूत श्मशान में जहां हैंडपंप की मरम्मत का दावा किया गया था, वहां कोई हैंडपंप ही नहीं था।
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नलकूप की गहराई में घोटाला
नलकूपों की गहराई बढ़ाने का भी दावा किया गया था। रामगढ़ में एक नलकूप को 110 मीटर गहरा करने का कहा गया, जबकि जांच में उसकी गहराई केवल 62 मीटर पाई गई। इसके अलावा, कई नलकूपों की गहराई का रिकॉर्ड गलत था और काम की गुणवत्ता को छिपाया गया था।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि अधिकारियों और कर्मचारियों ने बिना काम किए हुए ही बिलों को पास किया और सरकारी खजाने से लाखों रुपए निकाल भ्रष्टाचार किया।
बिना प्रशासनिक स्वीकृति के बिल पास किए गए
विभाग द्वारा जारी किए गए टेंडरों में प्रशासनिक स्वीकृति के बिना ही वित्तीय स्वीकृति ले ली गई थी, जो नियमों के खिलाफ था। इस प्रक्रिया में एक्सईएन राजेश मीणा, टेंडर स्पेशलिस्ट प्रबल चौहान और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया।
रिपोर्ट मिल चुकी है, जल्द होगी कठोर कार्रवाई
जनस्वास्थ्य विभाग के मंत्री कन्हैया लाल चाैधरी ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट आ चुकी है, हम अपने स्तर पर इसकी समीक्षा करवा रहे है। जांच में जो भी अधिकारी व ठेकेदार दोषी मिलेंगे, उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। इन सभी से रिकवरी भी की जाएगी।
पांच पाइंट में समझें घोटाले को
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