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Photograph: (the sootr)
राजस्थान की चंबल सिंचाई परियोजना के तहत बने राणा प्रताप सागर बांध में पानी भरने की दर लगातार घट रही है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के सबसे बड़े बांध के चार स्लूज गेट पिछले 36 वर्षों से बंद पड़े हैं। इसके चलते कैचमेंट में अच्छी बारिश होने के बावजूद भी बांध में पर्याप्त पानी नहीं भर पा रहा है।
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मिट्टी-गाद जमा होने से क्षमता घट रही
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 51 वर्षों में बांध के तल में मिट्टी और गाद जमने से 297 एमसीएम की क्षमता घट गई है। 1970 में डैम की कुल क्षमता 3128.11 एमसीएम थी, जो 2021 में घटकर 2831.20 एमसीएम रह गई। हर साल लगभग 0.202% की दर से क्षमता कम हो रही है। यह स्थिति पनबिजली उत्पादन और जल आपूर्ति दोनों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।
36 वर्षों से बंद स्लूज गेट
बांध में जमा गाद को निकालने के लिए चार स्लूज गेट लगे हुए हैं, जिन्हें 36 वर्षों से नहीं खोला गया। जल संसाधन विभाग ने बजट मंजूर किया है, लेकिन राशि जारी नहीं की गई। यह लापरवाही सुरक्षा कानूनों के बावजूद हुई है और भविष्य में इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ सकता है।
भविष्य की चेतावनी और पनबिजली संकट
आयोग के अनुसार, हर साल लगभग 5.82 एमसीएम मिट्टी जमा हो रही है। यदि यही स्थिति रही तो 2041 तक मिट्टी का स्तर 322.12 मीटर तक पहुंच जाएगा, जबकि पनबिजली घर के लिए आवश्यक पानी का स्तर 322 मीटर है। इससे टरबाइन तक पानी पहुंचने में रुकावट आएगी और पनबिजली उत्पादन प्रभावित हो सकता है। राजस्थान परमाणु बिजलीघर, भारी पानी संयंत्र और न्यूक्लियर फ्यूल कॉम्प्लेक्स भी इस बांध पर निर्भर हैं।
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आधुनिक तकनीक से सर्वे
केंद्रीय जल आयोग ने फरवरी से अप्रैल, 2021 के बीच जीपीएस (GPS), डिजिटल इको साउंडर और टोटल स्टेशन जैसी आधुनिक तकनीक से डैम का सर्वे किया। सर्वे में पाया गया कि जलग्रहण क्षेत्र का 25% हल्के कटाव वाला, 15% मध्यम, 23% ज्यादा कटाव वाला और 28% क्षेत्र गंभीर स्थिति में है। मिट्टी कटाव रोकने के लिए चैकडैम, नाला बांध, टेरेस, ट्रैप तालाब और पेड़-पौधे लगाने जैसी सिफारिशें की गई हैं।
जल संसाधन विभाग की प्रतिक्रिया
वहीं जल संसाधन विभाग के एक्सईएन नीरज अग्रवाल का कहना है कि केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन जारी है। सरकार से दिशा-निर्देश मिलने के बाद उपाय शुरू किए जाएंगे। फिलहाल डैम अगले 100 वर्षों तक सुरक्षित है, लेकिन त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है।