रणथम्भौर में इंसानों का बाघों से टकराव बढ़ा, दो माह में तीसरा व्यक्ति बना निवाला

राजस्थान के रणथम्भौर बाघ परियोजना में इंसानों और बाघों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। दो महीने में तीसरी बार एक व्यक्ति बाघ के हमले का शिकार बना। जैन मंदिर के देखरेखकर्ता राधेश्याम माली का शव मिला।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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राजस्थान की प्रसिद्ध रणथम्भौर बाघ परियोजना में बाघों और इंसानों के बीच टकराव लगातार बढ़ रहा है। पिछले दो महीनों में यह तीसरी घटना है, जिसमें बाघों के हमले में एक व्यक्ति की जान चली गई। ताजा मामला रणथम्भौर दुर्ग का है, जहां जैन मंदिर के केयर टेकर राधेश्याम माली बाघ के हमले का शिकार हो गए।

राधेश्याम माली, जो 60 वर्ष के थे, रविवार रात अचानक लापता हो गए थे। उनका शव भी मिल चुका है। माना जा रहा है उनका शिकार बाघों ने किया है। राधेश्याम के शव की तलाश के दौरान ग्रामीणों ने गणेश धाम के पास जाम लगा दिया था। वे सुबह की सफारी से लौटने वाले वाहनों को बाहर नहीं जाने दे रहे थे।

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बढ़ रही है बाघों की संख्या

रणथम्भौर में बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे इंसानों और बाघों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ गई हैं। यह घटनाएं आम हो गई हैं, क्योंकि यहां रोजाना बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। कुछ दिन पहले 11 मई को रेंजर देवेंद्र चौधरी भी बाघ के हमले में मारे गए थे। इससे पहले, 16 अप्रैल को एक सात साल का बच्चा भी बाघ के हमले में अपनी जान से हाथ धो बैठा था।

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दीवारों की मरम्मत की बेहद जरुरत 

रणथम्भौर दुर्ग के आसपास बाघों का मूवमेंट लगातार जारी है। इस इलाके में कई बार बाघिन रिद्धि अपने शावकों के साथ देखी गई है। साथ ही, रणथम्भौर दुर्ग की दीवारों की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है। इसके कारण बाघों का दुर्ग में प्रवेश लगातार हो रहा है। दीवारों की मरम्मत न होने के कारण बाघों के लिए यह क्षेत्र एक सुरक्षित मार्ग बन चुका है।

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बाघों के घरों में आना-जाना बढ़ जाएगा

विशेषज्ञों के मुताबिक, रणथम्भौर क्षेत्र में बाघों की बढ़ती संख्या और उनकी अस्वाभाविक स्थानों पर मौजूदगी से यह समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। हालांकि, वन विभाग और प्रशासन इस स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए प्रयासरत हैं। मानसून के दौरान, जब एक जुलाई से रणथम्भौर सहित राजस्थान की सभी बाघ परियोजनाओं में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी जाएगी, तब इस क्षेत्र में बाघों के घरों में आना-जाना बढ़ जाएगा, जिससे बाघों के साथ संपर्क के मामले और बढ़ सकते हैं।

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बाघों के प्राकृतिक आवास को सुरक्षित बनाना होगा प्राकृतिक आवास

इससे यह स्पष्ट है कि रणथम्भौर में बाघों और इंसानों के बीच टकराव को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। वन विभाग को बाघों के प्राकृतिक आवास को सुरक्षित बनाने और इंसान और जानवरों के बीच टकराव को रोकने के लिए त्वरित उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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