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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में हेल्थ स्कीम आरजीएचएस (RGHS) में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के बाद राज्य सरकार ने 100 से ज्यादा डॉक्टरों और मेडिकल शिक्षा से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का निर्णय लिया है। इस घोटाले में कई नामी डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ और फार्मेसी संचालकों की संलिप्तता सामने आई है।
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RGHS योजना में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला
राजस्थान सरकार की आरजीएचएस योजना सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनर्स को निशुल्क चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करती है। इसमें निजी अस्पतालों में इलाज कराने पर सरकार खर्च का भुगतान करती है और मेडिकल स्टोर से दवाइयां भी मुफ्त मिलती हैं। लेकिन इस योजना का दुरुपयोग कई अस्पतालों और मेडिकल स्टोर संचालकों द्वारा किया गया। जिसके कारण बड़ा घोटाला सामने आया।
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घोटाले में फर्जी बिल और भुगतान
मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा की गई जांच में पता चला कि कई अस्पताल संचालकों ने फर्जी बिल बनाकर सरकार से दो बार भुगतान उठाया। सामान्य बीमारी को गंभीर बीमारी के रूप में दर्शाकर भुगतान लिया गया। इसके अलावा मेडिकल स्टोर संचालकों ने भी बिना जरूरत के महंगी दवाइयां देने के बिल बनाए और सरकार से भुगतान प्राप्त किया।
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राज्य सरकार की सख्त कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेटरी गायत्री राठौड़ की निगरानी में इस मामले की गहन जांच की जा रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस घोटाले में लिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इसके परिणामस्वरूप 124 डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ पर कार्रवाई की तैयारी है।
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28 कर्मचारियों को किया सस्पेंड
पिछले दिनों राज्य सरकार ने 28 कर्मचारियों को सस्पेंड किया था और अब 100 से ज्यादा कर्मचारियों को सरकारी सेवा से बाहर करने की योजना बनाई जा रही है। भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की भी तैयारी है।
40 करोड़ की पेनल्टी वसूली
राज्य सरकार ने अब तक 34 अस्पतालों और 431 मेडिकल स्टोर संचालकों को आरजीएचएस योजना से बाहर कर दिया है। इनसे करीब 40 करोड़ रुपए की पेनल्टी भी वसूली गई है। सरकार का उद्देश्य है कि इस प्रकार के घोटालों को भविष्य में रोका जा सके और योजना के उद्देश्य को सही तरीके से लागू किया जा सके।
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मुख्य बिंदु
RGHS घोटाला: आरजीएचएस योजना राजस्थान सरकार द्वारा संचालित एक स्वास्थ्य सेवा योजना है। जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनर्स को निशुल्क चिकित्सा सुविधाएं दी जाती हैं। इस योजना में निजी अस्पतालों में इलाज कराए जाने पर सरकार खर्च का भुगतान करती है और दवाइयां भी मुफ्त मिलती हैं।
फर्जी बिल से भुगतान: इस योजना में कई अस्पतालों और मेडिकल स्टोर संचालकों ने फर्जी बिल बनाकर सरकार से दो बार भुगतान उठाया और बिना जरूरत के महंगी दवाइयां देने का बिल बनाकर भुगतान लिया। इसके परिणामस्वरूप करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ।
सरकार का एक्शन: राज्य सरकार ने 124 डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना बनाई है। इनमें से कुछ कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की तैयारी है। इसके अलावा, 34 अस्पतालों और 431 मेडिकल स्टोर संचालकों को आरजीएचएस योजना से बाहर कर दिया गया है और उनसे 40 करोड़ रुपए की पेनल्टी भी वसूली गई है।
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