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Photograph: (the sootr)
राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में लगातार घोटाले सामने आ रहे हैं। अब दो नए मामले सामने आए हैं, जो योजना की पारदर्शिता और ईमानदारी पर सवाल उठाते हैं। पहले मामले में राज्य के 36 दवा स्टोरों ने योजना में स्वीकृत नहीं होने के बावजूद च्यवनप्राश आरजीएचएस लाभार्थियों को दिया और उनके लिए बिलिंग की। इनमें विधानसभा और सचिवालय के स्टोर भी शामिल हैं।
चिकित्सकों की पर्चियों पर फर्जी हस्ताक्षर
दूसरे मामले में राजधानी जयपुर के पुरानी बस्ती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात चिकित्सकों की हस्ताक्षरयुक्त पर्चियों पर अज्ञात व्यक्तियों ने अतिरिक्त दवाइयां जोड़ दीं। कुछ पर्चियों पर केवल जांच ही लिखी थी, लेकिन बाद में दवाइयां जोड़ी गईं, जो पूरी तरह से फर्जी थीं। यह मुद्दा घोटाले की गंभीरता को और बढ़ाता है।
चिकित्सकों और फार्मेसियों की मिलीभगत
जांच में यह बात सामने आई कि फार्मेसी और चिकित्सकों की मिलीभगत से एक संगठित गिरोह काम कर रहा था, जो लाभार्थियों के नाम पर फर्जी दवाएं, पर्चियां और बिल जनरेट कर रहा था। कई अस्पतालों में यह पाया गया कि जहां लाभार्थियों की बीमारी केवल ओपीडी स्तर पर उपचार योग्य थी, वहां उन्हें 24 घंटे के लिए भर्ती दिखाकर फर्जी बिलिंग की गई।
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सामान्य जांच और कार्रवाई
राजस्थान सरकार ने इस मामले में कार्रवाई की है। औषधि नियंत्रण संगठन द्वारा की गई जांच में यह खुलासा हुआ कि कुछ स्टोर ने बिना स्वीकृति के च्यवनप्राश वितरित किया और उसके लिए बिलिंग की। इसके परिणामस्वरूप इन स्टोरों का भुगतान अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा, कुछ चिकित्सकों ने भी लिखित में पुष्टि की है कि उनकी हस्ताक्षरित पर्चियों पर अतिरिक्त दवाइयां जोड़ी गई थीं।
क्या है राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम?
राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक स्वास्थ्य योजना है, जो सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करती है। इस योजना के तहत चिकित्सकीय इलाज, दवाइयां और अस्पताल में भर्ती जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।
आरजीएचएस घोटाले का असर
राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में हो रहे घोटाले का असर राज्य के चिकित्सा क्षेत्र की पारदर्शिता और ईमानदारी पर पड़ रहा है। यह घोटाले राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की कमजोरी को उजागर करते हैं और सरकार की योजनाओं के संचालन में सुधार की आवश्यकता को दर्शाते हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या आरजीएचएस घोटाले रोके जा सकेंगे?
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