सांभर झील में लगातार हो रही मछलियों की मौत, केमिकल प्रदूषण से बढ़ रहा पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरा

राजस्थान के डीडवाना-कुचामन जिले की सांभर झील में औद्योगिक कचरे से मछलियों की मौत का मामला सामने आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि केमिकल प्रदूषण से पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरा बढ़ रहा है। इससे लगातार मछलियों की मौत हो रही है।

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Amit Baijnath Garg
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sanbhar

Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान के डीडवाना-कुचामन जिले के नावां क्षेत्र से सटी विश्व प्रसिद्ध सांभर झील में एक बार फिर संकट आ गया है। यहां के खारे पानी में सैकड़ों मछलियों की मौत हुई है। वन विभाग और अन्य अधिकारियों की कई टीमें इस मामले की जांच करने के लिए सक्रिय हैं। अजमेर संभागीय आयुक्त शक्ति सिंह ने वन विभाग और पशु चिकित्सा विभाग से मिलकर मछलियों की मौत के कारणों और इससे बचाव के उपायों पर चर्चा की।

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मछलियों की मौत के कारण

पशुपालन विभाग के उप निदेशक डॉ. विवेक सिंह के अनुसार, इस बार बारिश के मौसम में बड़ी मात्रा में पानी एकत्रित हुआ है। आसपास के क्षेत्रों से बरसाती पानी छोटे नालों के माध्यम से झील में आया। झपोक क्षेत्र से मीठे पानी की मछलियां भी इस पानी के साथ झील में पहुंच गई थीं। हालांकि जैसे-जैसे पानी कम हो रहा है और खारेपन की मात्रा बढ़ रही है, मछलियों के लिए पानी में जीवित रह पाना मुश्किल हो गया है।

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रासायनिक प्रदूषण का खतरा

डॉ. सिंह ने बताया कि अब तक लगभग 1000 मृत मछलियां झील के किनारे पाई गई हैं, जो मुख्य रूप से मीठे पानी की प्रजाति थीं। इनकी संख्या अचानक बढ़ी थी, क्योंकि बारिश के दौरान झील में मीठा पानी आया था। लेकिन जैसे ही पानी सूखने लगा और नमक की मात्रा बढ़ी, मछलियां मरने लगीं। जांच में बोटूलिज्म और टॉक्सिन नामक रासायनिक प्रदूषण की आशंका जताई जा रही है। यह रसायन अक्सर औद्योगिक कचरे, खासकर रिफाइनरी से उत्पन्न होता है।

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पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि झील का पानी लगातार घटने से और पानी में नमक की मात्रा बढ़ने से यह स्थिति और गंभीर हो सकती है। इससे मृत मछलियों और पक्षियों की संख्या बढ़ने की संभावना है। इसके कारण पूरे पारिस्थितिक तंत्र पर असर पड़ सकता है, क्योंकि यह जैव विविधता के लिए खतरा है।

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प्रशासन की कार्रवाई

इस संकट से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। डॉ. महेंद्र खड़गावत के नेतृत्व में वन विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, नगर पालिका और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर सक्रिय हैं और रेस्क्यू अभियान चला रही हैं। पानी के नमूने प्रयोगशाला भेजे गए हैं और नमक रिफाइनरी को निर्देश दिया गया है कि वे झील क्षेत्र में केमिकल का स्राव न करें।

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झील में पिछले साल भी हुआ था संकट

2019 में सांभर झील में एवियन बॉटलिज्म के कारण 30,000 से 35,000 पक्षियों की मौत हुई थी। बीते साल भी 2000 पक्षियों की मौत हुई थी और नवंबर में 230 से अधिक प्रवासी पक्षी इस बॉटलिज्म से मारे गए थे। अब मछलियों की मौत ने फिर से झील के पारिस्थितिकी तंत्र में हो रहे बदलाव की ओर इशारा किया है।

मुख्य बिंदु 

  • मछलियों की मौत के मुख्य कारण के रूप में पानी में खारेपन की बढ़ती मात्रा और औद्योगिक कचरे से उत्पन्न रासायनिक प्रदूषण की आशंका जताई जा रही है।
  • 2019 में एवियन बॉटलिज्म के कारण 30,000 से 35,000 पक्षियों की मौत हुई थी। पिछले साल भी 2000 पक्षियों की मौत हुई थी और अब मछलियों की मौत का मामला सामने आया है।
  • प्रशासन ने रेस्क्यू अभियान चलाने के लिए वन विभाग, पशु चिकित्सा विभाग और अन्य टीमों का गठन किया है। साथ ही पानी के नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं।
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