आरपीएससी : संस्कृत शिक्षा विभाग में 6 पदों पर नहीं मिले योग्य उम्मीदवार, परीक्षा में असफलता पर उठे सवाल

राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित संस्कृत शिक्षा विभाग की भर्ती परीक्षा 2024 में पारंपरिक विषयों के 6 पदों पर योग्य उम्मीदवार नहीं मिल सके। इससे संस्कृत शिक्षा के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों ने इस पर विचार करने की जरूरत बताई है।

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Amit Baijnath Garg
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Jaipur. राजस्थान के संस्कृत शिक्षा विभाग में सहायक आचार्य भर्ती परीक्षा 2024 का परिणाम आश्चर्यजनक रूप से सामने आया है। राजस्थान लोक सेवा आयोग यानी आरपीएससी की ओर से कुल 200 पदों के लिए आयोजित इस भर्ती में धर्मशास्त्र, यजुर्वेद और ज्योतिष फलित जैसे पारंपरिक विषयों के 6 पदों पर एक भी योग्य उम्मीदवार चयनित नहीं हो सका। 

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नहीं मिलने के कई कारण

आरपीएससी के सचिव रामनिवास मेहता के अनुसार, यह परिणाम राजस्थान हाई कोर्ट की सिविल रिट याचिका संख्या 4637/2025 के पारित अंतरिम आदेशों की पालना में तैयार किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन विषयों में योग्य उम्मीदवार न मिलने के कई कारण हो सकते हैं। इस पर गंभीरता से विचार किए जाने की जरूरत है।

इन विषयों में नहीं मिला कोई उम्मीदवार

धर्मशास्त्र, यजुर्वेद और ज्योतिष जैसे विषयों के लिए आयोजित परीक्षा में कोई भी उम्मीदवार न्यूनतम उत्तीर्ण अंक प्राप्त नहीं कर सका। इसके कारण इन पदों को खाली छोड़ दिया गया है। इस स्थिति ने राज्य में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के दावों पर सवाल खड़ा कर दिया है, क्योंकि यह माना जा रहा था कि राज्य इन पारंपरिक विषयों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है।

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क्यों नहीं मिल सका योग्य उम्मीदवार?

पहला कारण बताया जा रहा है कि प्रश्नपत्र अत्यधिक कठिन और शास्त्रीय था, जिससे अधिकांश अभ्यर्थी न्यूनतम उत्तीर्ण अंक तक नहीं पहुंच सके। दूसरा कारण इन पारंपरिक विषयों में योग्य उम्मीदवारों की कमी है। वर्तमान में युवा वर्ग का रुझान अधिकतर आधुनिक और रोजगारोन्मुख विषयों की ओर हो रहा है, जिससे वैदिक और ज्योतिषीय विषयों में अध्ययन करने वाले छात्रों की संख्या घटती जा रही है।

पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणाली में असमानता

इसके अलावा विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम और आरपीएससी परीक्षा के सिलेबस में सामंजस्य की कमी भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। इस असंगति के कारण छात्रों के लिए इन पारंपरिक विषयों को समझना और उसमें उत्कृष्टता प्राप्त करना कठिन हो रहा है।

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संस्कृत शिक्षा के भविष्य पर सवाल

इस परिणाम के बाद संस्कृत और वैदिक शिक्षा के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। राजस्थान सरकार एक ओर भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृत शिक्षा के संरक्षण की बात करती है, लेकिन दूसरी ओर इन्हीं विषयों के लिए योग्य शिक्षक तक नहीं मिल पा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते पाठ्यक्रम, परीक्षा प्रणाली और प्रशिक्षण व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया, तो यह समस्या भविष्य में और गंभीर हो सकती है।

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क्या होगा अगला कदम?

अब यह देखना होगा कि सरकार और आरपीएससी इन रिक्त पदों के लिए दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू करेंगे या फिर नियमों में किसी प्रकार का बदलाव किया जाएगा। फिलहाल यह मामला शिक्षा नीति और भर्ती प्रणाली दोनों पर गंभीर मंथन की मांग कर रहा है। यदि इस दिशा में सुधार नहीं किया गया, तो पारंपरिक विषयों में अध्ययन करने वाले छात्रों की संख्या में और गिरावट हो सकती है। इससे इन विषयों का भविष्य संकट में पड़ सकता है।

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खास बातें

योग्य उम्मीदवार न मिलना : धर्मशास्त्र, यजुर्वेद और ज्योतिष जैसे विषयों में एक भी योग्य उम्मीदवार नहीं मिला।
परीक्षा का कठिन होना : विशेषज्ञों के अनुसार, प्रश्नपत्र अत्यधिक कठिन था।
सामाजिक रुचि में बदलाव : वर्तमान में युवा वर्ग का रुझान आधुनिक और रोजगारोन्मुख विषयों की ओर बढ़ रहा है।
संस्कृत शिक्षा का भविष्य : इस परिणाम से संस्कृत शिक्षा के भविष्य पर गंभीर सवाल उठे हैं।

मुख्य बिंदु

  • संस्कृत शिक्षा विभाग की परीक्षा में 6 पदों पर कोई भी योग्य उम्मीदवार न मिल सका, क्योंकि पेपर अत्यधिक कठिन था और पारंपरिक विषयों में पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है।
  • संस्कृत शिक्षा विभाग में 6 पदों पर नहीं मिले योग्य उम्मीदवार, इस परिणाम के बाद यह देखा जाएगा कि सरकार और आरपीएससी इन रिक्त पदों के लिए क्या कदम उठाते हैं।
  • संस्कृत शिक्षा के भविष्य को लेकर चिंता है कि यदि समय रहते पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणाली में सुधार नहीं किया गया, तो पारंपरिक विषयों में अध्ययन करने वाले छात्रों की संख्या और घट सकती है, जिससे इन विषयों का भविष्य संकट में पड़ सकता है।
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