सरिस्का की सीमा बदलाव के प्रस्ताव का क्यों हो रहा विरोध, जानिए पर्यावरणविदों की आपत्तियों का पूरा ब्योरा

राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमा में बदलाव को लेकर ढेर आपत्तियां आ रही हैं। सीटीएच बदलाव का पहले का प्रस्ताव विवाद में आ गया था। पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया था कि बंद पड़ी खदानों को अभयदान देने के लिए यह प्रस्ताव तैयार किया गया।

author-image
Amit Baijnath Garg
New Update
sariska

Photograph: (the sootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Alwar. राजस्थान के अलवर जिले के मशहूर सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमा में बदलाव को लेकर ढेर आपत्तियां आ रही हैं। पर्यावरणविदों का दावा है कि इस टाइगर रिजर्व के कोर और क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) से जुड़े टहला, अकबरपुर व तालवृक्ष जैसी रेंज को किसी भी हालात में बफर जोन में नहीं बदला जा सकता।   

पर्यावरणविदों का दावा है कि सीटीएच का एरिया 4839.07 हेक्टेयर है। नए ड्राफ्ट में कोर और क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट को बफर जोन में दर्शाया गया है, जो राजस्थान सरकार के 17 नवंबर, 2023 को दिए गए आदेशों की अवहेलना है। इस बारे में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को भी पत्र लिखा है।

सरिस्का टाइगर रिजर्व में बढ़ते टाइगर मूवमेंट से खतरे की घंटी, सड़क पर दिखे बाघ और बाघिन

इसलिए सरिस्का का दोबारा बना मसौदा

सरिस्का के अधिकारियों का कहना है कि सीटीएच को युक्तिकरण बनाए जाने के लिए पहले प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन इस पर आपत्ति होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोबारा से सीमा निर्धारण का मसौदा बनाया गया है। इस पर अलवर के कलेक्टर ने जनता से दावा और आपत्ति के लिए नया मसौदा जारी किया है।

विवाद में पहले का प्रस्ताव 

सीटीएच बदलाव का पहले का प्रस्ताव विवाद में आ गया था। पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया था कि सरिस्का के आसपास बंद पड़ी 57 खदानों को अभयदान देने के लिए यह प्रस्ताव तैयार किया गया। प्रस्ताव से टहला रेंज के उन गांवों को बाहर कर दिया, जहां किसी समय खदानें चलती थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें बंद कर दिया।

SC की रोक के बाद भी माफिया अरावली में खनन कर रहे, सरिस्का टाइगर रिजर्व पर मंडराया खतरा

पहले के ड्राफ्ट में आपत्ति शामिल नहीं

सरिस्का का फाइनल ड्राफ्ट एनटीसीए को भेजने से पहले 5 और 24 अक्टूबर को आपत्ति मांगी गई थी। तब 46 वन्यजीव प्रेमियों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बावजूद नए ड्राफ्ट में कोर और सीटीएच के हिस्से को बफर जोन में दिखाया है। एनटीसीए को जो फाइनल ड्राफ्ट भेजा गया है, उसमें भी पहले की आपत्तियों पर विचार नहीं किया गया। अब नए ड्राफ्ट पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने एनटीसीए को भी पत्र भेजा है। नया ड्राफ्ट ठीक नहीं है, इसमें संशोधन आवश्यक है।

सीटीएच में बदलाव कोर्ट की अवहेलना

टाइगर ट्रेल्स ट्रस्ट ने अलवर कलेक्टर को एक पत्र सौंपकर सरिस्का में सीटीएच को युक्तिकरण बनाने के ड्राफ्ट पर अपनी आपत्ति जताई। उसका आरोप है कि सीटीएच के एक बड़े हिस्से को बफर जोन में बदलने की कवायद न सिर्फ टाइगर के लिए खतरा है,​ बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना है।

सरिस्का की नई सीमा पर प्रशासन की प्रक्रिया शुरू, दावे और आपत्तियों से सुधरेगा टाइगर हैबिटेट

अपरिवर्तनीय रखना अनिवार्य

ट्रस्ट अध्यक्ष स्नेहा सोलंकी का कहना है कि बाघों की सुरक्षा को देखते हुए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 38 सी के तहत कोर एरिया को अपरिवर्तनीय रखना अनिवार्य है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने टीएन गोदावर्मन बनाम भारत संघ मामले में स्पष्ट निर्देश दिए हैं। इस आदेश के बाद सीटीएच में किसी भी तरह की कटौती नहीं की जा सकती है।

नए गांवों के बारे में सूचना नहीं

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश महामंत्री भूपत सिंह बालियान ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर सरिस्का में सीटीएच को लेकर वस्तु स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। उनका दावा है कि सीटीएच के लिए 55,000 हेक्टेयर जमीन ली जा रही है। कौन सी भूमि आरक्षित है, कौन सी भूमि अनारक्षित है, इसका कोई पता नहीं है। 

सरिस्का टाइगर रिजर्व : सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होगी, बाघों की संख्या बढ़ने के साथ एरिया विस्तार की योजना

अभी तक कोई रिकॉर्ड नहीं

सीमा बदलाव की प्रक्रिया ग्राम सभा की बैठक कर आपत्ति मांगी जाएगी, लेकिन अभी तक कोई रिकॉर्ड नहीं दिया गया। बालियान का कहना है कि यह समझ से परे है कि कोर एरिया को घटाकर बफर जोन में सीटीएच क्यों बढ़ाया जा रहा है। पहले ही सरिस्का क्षेत्र में 183 गांव हैं, जिनमें न रजिस्ट्री हो रही है ना ही किसानों के काम। अब अगर सरकार ने नए गांव जोड़ दिए तो इन गांवों का भी यही हाल होगा।

सरिस्का टाइगर रिजर्व : 13 शावक तलाशेंगे अपना नया इलाका, एक की टेरिटरी 40 किमी की, रिजर्व पड़ेगा छोटा

​एक किमी के दायरे में नई लीज नहीं 

वन्यजीव प्रेमियों की आपत्ति है कि सरिस्का के कोर एरिया के 500 मीटर से लेकर एक किमी की दूरी तक कोई नई लीज या माइनिंग की लीज जारी नहीं की जा सकती है। प्रशासन ने अपनी ​रिपोर्ट में इस बात को छिपा दिया। सरिस्का के पास 17 गांव हैं। बाघों की सुरक्षा और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सरिस्का के चारों ओर 5 किमी के दायरे में ऐसी माइनिंग लीज भी नहीं दी जा सकती है।

राजस्थान अलवर सरिस्का टाइगर रिजर्व सीमा बदलाव सरिस्का क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट
Advertisment