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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के अलवर स्थित मशहूर सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या अब 50 हो गई है। प्रदेश के वन मंत्री संजय शर्मा ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में यह जानकारी शेयर की। सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़ना इसलिए अहम है, क्योंकि दो दशक पहले यह टाइगर रिजर्व बाघविहीन हो गया था।
वन मंत्री संजय शर्मा के अनुसार, इस क्षेत्र के करणी माता मंदिर के पास एसटी-2302 बाघिन अपने दो शावकों के साथ कैमरे में ट्रेप हुई है। एक शावक को इस महीने की शुरुआत में देखा गया, जबकि दूसरा शावक अभी नजर आया है।
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केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने जताई खुशी
वन मंत्री संजय शर्मा की इस पोस्ट को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी अपने अकाउंट पर शेयर किया है। उन्होंने टाइगर की हाफ सेंचुरी के लिए शर्मा को बधाई दी है। संयोग से दोनों मंत्री अलवर जिले से हैं, जहां सरिस्का टाइगर रिजर्व स्थित है। अलवर बफर जोन में बाघिन एसटी-2302 दो शावकों के साथ कैमरा ट्रैप में कैद हुई। इससे पहले 16 सितंबर को यही बाघिन केवल एक शावक के साथ देखी गई थी। अब दूसरा शावक भी देखा जाना लगातार वृद्धि और संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
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वन मंत्री संजय शर्मा की प्रतिक्रिया
राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा ने सोशल मीडिया पर इस उपलब्धि की जानकारी देते हुए बताया कि सरिस्का में अब कुल 50 बाघ हो गए हैं। इनमें 11 नर, 18 बाघिन और 21 शावक शामिल हैं। मंत्री ने प्रदेशवासियों को बधाई दी और कहा कि यह संख्या राजस्थान के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों की सफलता का प्रमाण है।
अलवर बफर जोन में पहली बार 11 बाघ
सरिस्का के सीसीएफ संग्राम सिंह कटियार ने बताया कि अलवर बफर जोन में बाघों की संख्या पहली बार 11 तक पहुंच गई है। करणी माता मंदिर क्षेत्र में बाघिन और शावकों की उपस्थिति के बाद वन विभाग ने विशेष मॉनिटरिंग शुरू की। वनकर्मियों की टीमें लगातार क्षेत्र की निगरानी कर रही हैं, ताकि बाघिन और शावक पूरी तरह सुरक्षित रहें।
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नवरात्र के अवसर पर श्रद्धालुओं से अपील
सीसीएफ कटियार ने नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे करणी माता मंदिर क्षेत्र में सावधानी बरतें। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु सुबह जल्दी और शाम देर से मंदिर क्षेत्र में न जाएं। इससे इंसानों और बाघों के बीच टकराव की संभावना कम होगी और दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
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वन्यजीव संरक्षण में बड़ी सफलता
सरिस्का टाइगर रिजर्व और अलवर बफर जोन में बाघों की यह संख्या अब तक के इतिहास में सबसे अधिक है। यह उपलब्धि न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है। गौरतलब है कि बाघों की बढ़ती संख्या पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।