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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के अलवर के मशहूर सरिस्का टाइगर रिजर्व के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) में बदलाव के मामले को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। कांग्रेस महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह (Bhanwar Jitendra Singh) ने इस मामले में केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने अलवर में सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरिस्का के सीटीएच मामले पर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को फटकार इस बात का प्रमाण है कि माफियाओं ने केंद्र और प्रदेश, दोनों ही सरकारों को खरीद रखा है। यह बात अब प्रदेश की जनता भी जान गई है।
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भ्रष्टाचार की बू आ रही
भंवर जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरिस्का के सीटीएच को युक्तिसंगत बनाने के नाम पर प्रस्ताव जिस तेजी से तीन दिन में अलवर से निकलकर नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड से क्लियर होकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, उसमें भ्रष्टाचार की बू आती है। उन्होंने कहा कि इतनी रफ्तार तो बुलेट ट्रेन भी नहीं पकड़ पाई, जो अब तक शुरू नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट सरिस्का मामले की स्थिति साफ कर देगा।
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केंद्र व राज्य के वन मंत्री हैं अलवर से
संयोग से केंद्र और राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री अलवर से हैं। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा पर सरिस्का के सीटीएच मामले में भ्रष्टाचार कर बंद पड़ी 50 से अधिक खदानों को अभयदान देने के आरोप लग चुके हैं। आरोपों में कहा गया कि खदान संचालकों को फायदा देने के लिए दोनों मंत्रियों ने सरिस्का में टाइगर मूवमेंट वाले स्थानों को बदल लिया। यह सीधा खदान मालिकों को फायदा देने के लिए किया गया।
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भूपेंद्र बोले-कांग्रेस शासन में नहीं बचे थे बाघ
उधर, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने अलवर के नाम एक पाती में कहा कि मुझे दुख है कि कांगेस ने सरिस्का के सीटीएच मामले पर दुष्प्रचार करने का काम किया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने यह साबित कर दिया है कि हम सत्य की राह पर हैं। कांग्रेस शासन में सरिस्का पर ऐसा संकट आया कि वहां एक समय एक भी बाघ नहीं बचा। आज सरिस्का में 48 बाघ हैं, जो देश के लिए शान हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई थी सख्ती
इससे पहले सरिस्का टाइगर रिजर्व के सीमांकन में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई करते हुए राजस्थान सरकार से तीखे सवाल पूछे थे। कोर्ट ने कहा था कि क्या आप लोगों ने कानून को पोस्ट बॉक्स बना रखा है? तीन दिन में पूरी फाइल क्लियर कैसे हो गई? साथ ही कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि जवाब ठीक नहीं मिला, तो राज्य के मुख्य सचिव को बुलाया जाएगा।