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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के मशहूर सरिस्का टाइगर रिजर्व के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) के सीमा बदलाव को लेकर उठे विवाद में नया मोड़ आ गया है। सीटीएच के नए ड्राफ्ट पर अब राजस्थान सरकार फिर से कवायद करेगी। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह सीटीएच के पुनर्गठन के लिए नोटिफिकेशन जारी करने से पहले जनता से आपत्तियां मांगने को तैयार है। वह बाघों के हित में सीटीएच तैयार करेगी।
शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में आपत्तियों पर सुनवाई कर सरकार को विधिक प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति देते हुए सुनवाई दो दिसंबर तक टाल दी। दरअसल, पर्यावरणविदों ने सरिस्का के सीटीएच में सीमा बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए आपत्ति की थी कि सरकार इसके जरिए खदानों को फायदा पहुंचाने में लगी है। उनका आरोप था कि सीटीएच को युक्तिसंगत बनाने के नाम पर सरिस्का के टहला रेंज में बंद पड़ी 50 से अधिक खदानों को अभयदान देने की कोशिश है।
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अलवर के दोनों मंत्री आरोपों से घिरे
संयोग से केंद्र और राज्य में वन एवं पर्यावरण मंत्री अलवर जिले से हैं, जहां यह टाइगर रिजर्व है। सीटीएच को लेकर दोनों मंत्रियों पर भी खदानों से मिलीभगत के गंभीर आरोप लगे हैं। पहले भाजपा के निष्कासित पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा और उसके बाद कांग्रेस नेताओं ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा पर मोटी राशि लेकर बंद पड़ी खदानों को खुलवाने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि सीटीएच युक्तिसंगत बनाने के नाम पर बाघों को दांव पर लगाया जा रहा है।
सरकार मांगेगी ड्राफ्ट पर आपत्ति
सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस अतुल चंदुरकर की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई की। टाइगर ट्रेल्स ट्रस्ट की वकील पारुल शुक्ला ने कहा कि नए सीटीएच ड्राफ्ट में निर्धारित प्रक्रिया व दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है।
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीटीएच का पुनर्निर्धारण और राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) की स्थायी समिति की अनुशंसा अंतिम कदम नहीं है। सीटीएच व अभयारण्य क्षेत्र की लेकर राज्य सरकार अधिसूचना जारी करेगी। इस पर सभी पक्षों से आपत्तियां ली जाएंगी। उन पर विचार कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। ड्राफ्ट में कोई संशोधन हुआ, तो संशोधित प्रस्ताव पुन: राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड के पास जाएगा।
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स्वीकृति के बाद ही अंतिम निर्णय
सॉलिसिटर जनरल ने विश्वास दिलाया कि विधिक प्रक्रिया पूरी करके और वन्य जीव बोर्ड की स्वीकृति के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इसे सुप्रीम कोर्ट में भी पेश किया जाएगा। सभी निर्देशों की पालना की जाएगी। उधर, राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने सॉलिसिटर जनरल की ओर से रखे गए केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के पक्ष का समर्थन किया।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के समय सवाल उठाया था कि 24 जून, 2025 को भेजे गए सरिस्का की सीमा बदलने के राजस्थान सरकार के प्रस्ताव को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने उसी दिन कैसे मंजूरी दी। राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड ने भी इसे 25 और 26 जून को केवल दो दिनों में कैसे स्वीकृति दे दी।
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दोनों मंत्रियों ने रातों-रात तैयार कराया ड्राफ्ट
दरअसल, सीटीएच बाघों का वह इलाका है, जहां वे मूवमेंट करते हैं। सरिस्का में हाल ही में सरकार ने सीटीएच को युक्तिसंगत बनाने का ड्राफ्ट तैयार किया है। इसमें सीटीएच से हटाए 48.39 वर्ग किमी एरिया नए रूप से शामिल किया गया। इसमें टहला रेंज के कुछ गांवों को यह कहकर हटाया जा रहा है कि वहां अब टाइगर का मूवमेंट नहीं है।
इसके उलट पर्यावरणविदों और विपक्षी नेताओं का कहना है कि टहला रेंज में बाघों का मूवमेंट पूरी तरह बना हुआ है, लेकिन केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राजस्थान के मंत्री संजय शर्मा ने बंद पड़ी खदानों को अभयदान देने के लिए नए सीटीएच का ड्राफ्ट जनता की आपत्तियां मांगने से पहले रातों-रात तैयार कर लिया।
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Posted by Bhanwar Jitendra Singh on Monday, September 8, 2025
ऐसे किया सीटीएच में फेरबदल
सीटीएच के पुनर्गठन प्रस्ताव से पहले सरिस्का टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 881.11 वर्ग किमी था और बाद में संशोधित क्षेत्रफल 924.48 वर्ग किमी हो गया। कुल क्षेत्रफल में 43.37 वर्ग किमी की वृद्धि हुई। बताया जाता है कि सरिस्का के बफर क्षेत्र से हटाकर तीन ऐसे वन खंडों को सीटीएच में शामिल किया गया, जो अलग थे।
23 वन खंड हटाए गए, क्योंकि यह क्षेत्र खंडित थे। टहला एरिया में सीटीएच कम किया गया और उसका आकार बफर एरिया की ओर बढ़ाया गया। इसके चलते टहला एरिया में ही खानें बंद हुई थीं। अब सीमा पुनर्गठन में 12 गांवों को टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर किया गया है, वहीं 10 नए गांवों को जोड़ा गया है।