सरिस्का फॉरेस्ट में बढ़ा गिद्धों का कारवां, डाइक्लोफेनिक दवा पर रोक लगाने से मिले सुखद परिणाम

राजस्थान के अलवर में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व में गिद्धों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसकी वजह यह है कि डाइक्लोफेनिक दवा पर रोक लगाने के सकारात्मक परिणाम आए हैं।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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राजस्थान के अलवर में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व में पर्यावरण संरक्षण के प्रभाव से गिद्धों की संख्या में शानदार वृद्धि देखी जा रही है। पहले गिद्धों की संख्या घटने के कारण यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर थी, लेकिन अब सरिस्का के जंगलों में गिद्धों के झुंड फिर से दिखाई देने लगे हैं। यह सुधार सरिस्का के जंगलों में किए गए संरक्षण प्रयासों और डाइक्लोफेनिक दवा पर सरकार की रोक लगाने के सकारात्मक परिणाम हैं।

पर्यावरण में सुधार का प्रतीक

सरिस्का में गिद्धों के संरक्षण के लिए पिछले कुछ सालों से कई विशेष प्रयास किए गए हैं। इनमें गिद्धों के लिए उपयुक्त प्राकृतिक वातावरण तैयार करना, उनके भोजन की व्यवस्था करना और उनके आवास के लिए पुराने पेड़ों का संरक्षण शामिल है। इसके अलावा, सबसे महत्वपूर्ण कदम था मवेशियों को दी जाने वाली डाइक्लोफेनिक दवा पर रोक लगाना। पहले यह दवा मवेशियों की मौत के बाद गिद्धों के शरीर में पहुंच जाती थी, जिससे गिद्धों की मौत हो जाती थी। अब इस दवा पर रोक के बाद गिद्धों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।

डाइक्लोफेनिक दवा का गिद्धों पर प्रभाव

डाइक्लोफेनिक एक ऐसी दवा है, जिसे मवेशियों को दी जाती थी। जब मवेशी मरते थे और गिद्ध उनके शवों को खाते थे, तो इस दवा के अवशेष गिद्धों के शरीर में पहुंच जाते थे, जिससे वे मर जाते थे। जब से इस दवा पर रोक लगा दी गई है, गिद्धों को सुरक्षित भोजन मिल रहा है, जिससे उनकी संख्या में इजाफा हुआ है। यह रोक गिद्धों की रक्षा के लिए एक अहम कदम साबित हुई है।

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सरिस्का में गिद्धों की प्रजातियां और आवास

सरिस्का टाइगर रिजर्व में गिद्धों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जैसे लांग-बिल्ड वल्चर, व्हाइट-बैक्ड वल्चर और इजिप्शियन वल्चर। ये प्रजातियां हवामहल, टहला, क्रास्का और कांकवाड़ी जैसे क्षेत्रों में खासतौर पर पाई जाती हैं। पिछले कुछ वर्षों में इन प्रजातियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। यह गिद्धों के संरक्षण के प्रभावशाली परिणामों का स्पष्ट उदाहरण है।

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गिद्धों का पारिस्थितिकीय महत्व

गिद्धों को जंगल का सफाईकर्ता माना जाता है। वे मृत मवेशियों को जल्दी खत्म कर देते हैं, जिससे जंगल में रोग फैलने का खतरा कम होता है। गिद्धों की उपस्थिति पारिस्थितिक तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। जैसे-जैसे जंगल का संरक्षण हो रहा है, गिद्धों की भी संख्या बढ़ रही है और यह पारिस्थितिकीय सुधार का प्रतीक है।

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पर्यावरणीय प्रयासों का दिख रहा असर

सरिस्का में गिद्धों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों का असर दिख रहा है। गिद्धों को उनके लिए अनुकूल वातावरण और सुरक्षित भोजन मुहैया कराकर उनकी संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है। अब सरिस्का के जंगलों में गिद्धों की संख्या पहले से ज्यादा है और यह पर्यावरण के संरक्षण के सकारात्मक संकेत हैं। क्या गिद्धों का संरक्षण पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने में सफल होगा?

FAQ

1. सरिस्का में गिद्धों की संख्या में वृद्धि का कारण क्या है?
सरिस्का में गिद्धों की संख्या में वृद्धि का मुख्य कारण पर्यावरण संरक्षण प्रयासों और डाइक्लोफेनिक दवा पर सरकार द्वारा रोक लगाना है।
2. डाइक्लोफेनिक दवा का गिद्धों पर क्या असर होता था?
डाइक्लोफेनिक दवा मवेशियों को दी जाती थी, और जब गिद्ध मवेशियों के शव खाते थे, तो यह दवा गिद्धों के शरीर में पहुंचकर उनकी मौत का कारण बनती थी। अब इस पर रोक लगाने से गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
3. सरिस्का में गिद्धों की कौन-कौन सी प्रजातियाँ पाई जाती हैं?
सरिस्का में लांग-बिल्ड वल्चर, व्हाइट-बैक्ड वल्चर और इजिप्शियन वल्चर जैसी गिद्धों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनकी संख्या में हाल के वर्षों में बढ़ोतरी हुई है।

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