राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघिन का बना स्मारक, टाइग्रेस को मिला राजमाता का दर्जा

राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघिन एसटी 2 को 'राजमाता' का दर्जा दिया गया है। साथ ही उसका स्मारक स्थापित किया गया है। जानिए इस ऐतिहासिक कदम के बारे में...

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Jinesh Jain
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राजस्थान का मशहूर टाइगर रिजर्व सरिस्का में बाघिन (टाइग्रेस) एसटी 2 के निधन के बाद उसे राजमाता का दर्जा दिया गया है। देश में संभवत: यह पहला उदाहरण है, जब बाघिन को राजमाता का दर्जा दिया गया है। सरिस्का में अपने दो शावकों के साथ इस बाघिन का स्मारक बनाया गया है। इसका अनावरण राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने किया है।

अधिकारियो के अनुसार इस बाघिन ने 1 अक्टूबर 2024 को सरिस्का के एक एंक्लोजर में देह त्यागी थी। तब सरिस्का में 30 टाइगर में से 25 का कुनबा इसी बाघिन का था। सरिस्का को आबाद करने में उसके योगदान को देखते हुए सरकार ने उसे राजमाता का दर्जा और स्मारक बनाया।

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19 साल तक रही जिंदा

इस टाइग्रेस को 4 जुलाई 2008 में इस बाघिन को सरिस्का लाया गया था। उस समय वह 3 साल की थी। सरिस्का में टाइगर की आबादी बढ़ाने के कारण यह टाइग्रेस राजमाता के नाम से प्रचलित और प्रसिद्ध थी। बताया जाता है कि एक टाइगर की उम्र 14 या 15 साल होती है, लेकिन  साढ़े 19 साल की उम्र में इसका निधन हुआ था।

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आखिरी वक्त में रखा एंक्लोजर में

अधिकारी ने बताया कि यह बाघिन शाही नेचर की थी। साइटिंग कम देती थी। संभवत: देश की यह सबसे उम्र दराज बाघिन थी। इसके पूंछ के साथ-साथ पैर में भी परेशानी थी। इसके कारण उसे वर्ष 2022 में एंक्लोजर में रखा गया। उसका नियमित रूप से पशु चिकित्सकों की देखरेख में उपचार किया जा रहा था। 12 जुलाई 2022 को तत्कालीन राज्यपाल कलराज मिश्र जब सरिस्का आए तो उन्होंने भी इस राजमाता को देखा था। तब वह एंक्लोजर में ही मौजूद थी।

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ऐतिहासिक दिन बना 28 जून

देश में वन्यजीव संरक्षण को लेकर 28 जून ऐतिहासिक दिन रहा। यह वह दिन रहा, जब वर्ष 2008 में शिकार के कारण बाघ विहीन हो गए सरिस्का में रणथम्भौर से एक बाघ 2008 को यह लाया गया। यह देश में बाघों का का पहला सफल विस्थापन रहा। इस टाइगर का नाम एसटी 1 रखा गया। 

स्थानान्तरण के प्रयास सफल रहने के बाद वर्तमान में सरिस्का में बाघों की स्वस्थ आबादी स्थापित हो गई है। इस उपलब्धि के साथ बाघ संरक्षण के लिए जागरूकता और समर्थन को बढावा देने के लिए 28 जून सरिस्का दिवस घोषित किया गया।

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