राजस्थान सरकार के एक निर्णय के कारण प्रदेश के लाखोें कर्मचारियों का प्रमोशन अटका हुआ है। सरकार के स्तर पर बीते कई महीनों से यह आदेश जारी नहीं हो पाया है। इस आदेश के अटके होने के कारण सरकारी कर्मचारी परेशान हैं। कर्मचारी संगठन अब प्रदेश सरकार से जल्द से जल्द आदेश जारी करने की मांग कर रहे हैं।
यह आदेश होना था जारी
राज्य सरकार ने अपने बजट में यह घोषणा की थी कि राज्य के सभी ऐसे कर्मचारी, जिन्होंने अब तक अपनी सेवा में एक बार भी अनुभव छूट का लाभ नहीं लिया है, उन्हें पदोन्नति में 2 साल के अनुभव की छूट का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही, यह लाभ कांट्रेक्ट बेस पर भर्ती हुए कर्मचारियों को भी मिलेगा।
यह घोषणा कर्मचारियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे उन्हें अपने करियर में बढ़ोत्तरी का मौका मिल सकता था। हालांकि, बजट में की गई इस घोषणा के बाद से ही आदेश जारी करने में देरी हो रही है, जिससे कर्मचारी परेशान हैं।
आदेश के अटकने का कारण
यह घोषणा लागू होने से पहले कुछ कर्मचारियों ने इसका विरोध किया था। उनका कहना था कि छूट का लाभ उन्हीं कर्मचारियों को मिलना चाहिए जिन्होंने पहले एक बार भी अनुभव का लाभ नहीं लिया है। कुछ संगठन चाहते थे कि इस प्रस्ताव में संशोधन किया जाए, जिससे एक बार लाभ प्राप्त कर चुके कर्मचारियों को फिर से छूट न मिले।
इस विरोध के बाद सरकार ने आदेश पर पुनः विचार करने का फैसला लिया और इसे कुछ समय के लिए रोक दिया। इस कारण, कर्मचारियों को उनकी पदोन्नति का आदेश अब तक नहीं मिल पाया है।
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15 जून तक होना था आदेश
15 मई को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें तय किया गया था कि 15 जून तक यह आदेश लागू कर दिया जाएगा। लेकिन, अब तक कोई आदेश जारी नहीं हो सका है।
कर्मचारी संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार के विभिन्न अफसरों से मुलाकात की है। 15 जून तक इस आदेश को लागू करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था, वह अब काफी समय पहले बीत चुका है। इस देरी का असर कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति पर पड़ रहा है और वे आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं।
कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान
राज्य कर्मचारी संघ के महामंत्री देवेंद्र सिंह नरूका का कहना है, इस आदेश के नहीं निकलने से लाखों कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत हो रहे हैं। कामकाज भी प्रभावित हो रहा है।
यदि पदोन्नति समय पर नहीं मिलती, तो कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन, नए भत्ते और बेहतर सुविधाएं मिलने में देरी होती है। यह वित्तीय रूप से कर्मचारियों के लिए समस्याएँ उत्पन्न करता है।
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क्या है डीपीसी की प्रक्रिया?
डीपीसी (डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमिटी) राज्य सरकार के कर्मचारियों को उनके कार्यकाल और सेवा के आधार पर पदोन्नति प्रदान करने की प्रक्रिया है। यह एक कमिटी द्वारा की जाती है, जिसमें अधिकारियों की समीक्षा होती है कि कर्मचारियों के प्रदर्शन, अनुभव, और उनकी सेवा के आधार पर उन्हें प्रमोट किया जाए।
डीपीसी की प्रक्रिया में कोई भी देरी कर्मचारियों के करियर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, क्योंकि पदोन्नति का असर उनके वेतन और भविष्य की योजनाओं पर भी पड़ता है।
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