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महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर जारी विवाद ने वहां रहने वाले प्रवासी राजस्थानी समुदाय (Rajasthan) को गहरी चिंता में डाल दिया है। इस विवाद के कारण कुछ प्रवासी राजस्थानियों से मारपीट की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे इस समुदाय में गुस्सा और भय फैल गया है।
राजस्थानी प्रवासी: महाराष्ट्र के विकास में अहम भूमिका
महाराष्ट्र में लगभग 70 लाख से अधिक राजस्थानी प्रवासी रहते हैं, जिनका व्यापार और उद्योगों में महत्वपूर्ण योगदान है। प्रवासी राजस्थानियों ने महाराष्ट्र के व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्र में अपनी सशक्त पहचान बनाई है। वे राज्य के आर्थिक विकास का एक अहम हिस्सा बन चुके हैं, और विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं।
भाषा विवाद और राजनीति का मामला
राजस्थानी अप्रवासी संघ के अध्यक्ष और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री आरके पुरोहित ने इस विवाद को राजनीतिक स्टंट बताया है। उनका कहना है कि महाराष्ट्र में कोई भाषा विवाद नहीं है, बल्कि यह राजनीति का हिस्सा है। वे बताते हैं कि महाराष्ट्र के कोंकण और विदर्भ के ग्रामीण क्षेत्रों में भी राजस्थानी लोग रहते हैं, और उनका स्थानीय संस्कृति से गहरा जुड़ाव है।
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250 साल का इतिहास: प्रवासी राजस्थानियों ने बनाई जगह
पूर्व मंत्री आरके पुरोहित के अनुसार, प्रवासी राजस्थानी पिछले 250 सालों से महाराष्ट्र (Maharashtra) में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। व्यापारिक गतिविधियों और विभिन्न नौकरियों के माध्यम से उन्होंने महाराष्ट्र की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राजस्थानी समुदाय का टेक्सटाइल, ज्वैलरी, कपड़ा उद्योग, रियल एस्टेट और प्रॉपर्टी जैसे प्रमुख उद्योगों में बड़ा योगदान है।
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राजनीति में राजस्थानियों की अहम भूमिका
पूर्व मंत्री आरके पुरोहित के अनुसार महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में भी प्रवासी राजस्थानियों की अहम भूमिका रही है। वर्तमान में कांग्रेस और भाजपा के 14 विधायक प्रवासी राजस्थानी हैं। आरके पुरोहित खुद छह बार विधायक रह चुके हैं और उन्होंने महाराष्ट्र के विकास में योगदान दिया है।
राजस्थानी समाज का विरोध प्रदर्शन
महाराष्ट्र में भाषा विवाद के चलते प्रवासी राजस्थानियों के खिलाफ हो रही हिंसा और अभद्रता के खिलाफ राजस्थानी समाज ने विरोध जताया। हाल ही में मुंबई में एक जुलूस भी निकाला गया, जिसमें गुस्साए राजस्थानी समुदाय ने अपनी आवाज उठाई। हालांकि, राजस्थान सरकार की ओर से कोई कड़ा बयान नहीं आया है, और न ही विपक्ष ने इस मुद्दे पर कोई सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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दिल्ली भाजपा नेता की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र में चल रहे विवाद के विरोध में दिल्ली भाजपा के पूर्व मीडिया हेड नवीन कुमार जिंदल ने कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने राज ठाकरे की पार्टी पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस विवाद को और हवा दी है।
मराठी भाषा विवाद में क्या बोले टीकाराम जूली
राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस विवाद को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उनका कहना है कि हिंदी देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, और किसी राज्य में हिंदी भाषियों के साथ हिंसा करना एक खतरनाक सोच को जन्म देता है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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मराठियों को मोरिया बुलाने की चेतावनी
महाराष्ट्र में चल रहे भाषाई विवाद में प्रवासी राजस्थानी लोगों के साथ बदसलूकी को लेकर बाड़मेर के एक वार्ड पंच तेजाराम माचरा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने मारवाड़ के व्यापारियों के साथ बुरा बर्ताव करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र में मारवाड़ के व्यापारियों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें पीटा जा रहा है। उन पर जबरन मराठी थोपी जा रही है। उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हुए चेतावनी दी कि मारवाड़ियों के साथ हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नहीं तो वे वहीं आकर उनका गबीड़ बुला देंगे। फिर जो होगा देखा जाएगा। इनके मोरिया बोला देंगे।
ऐसे समझें पूरा मामला
- मराठी बनाम हिंदी विवाद: महाराष्ट्र में हिंदी भाषा पर विवाद चल रहा है।
- राजनीतिक कारण: शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना जैसी पार्टियाँ मराठी भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए आंदोलन कर रही हैं। हालांकि, कई बार यह आंदोलन हिंसक हो उठता है।
- शिवसेना का विरोध: शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने हिंदी फिल्मों और मीडिया के प्रभाव का विरोध किया है, इसे मराठी अस्मिता के लिए खतरा माना है।
- शिक्षा प्रणाली में असंतोष: मराठी माध्यम के स्कूलों में हिंदी या अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव पर भी विवाद है।
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