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Photograph: (the sootr)
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में पुलिस हिरासत में मौतों की बढ़ती घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की कार्यप्रणाली, रख-रखाव और निगरानी पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा को निर्देश दिया कि वे राज्य में पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक अखबार की रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया, जिसमें बताया गया था कि 2025 के पहले आठ महीनों में राजस्थान में 11 पुलिस हिरासत मौतें हुईं, जिनमें से सात केवल उदयपुर संभाग में दर्ज की गईं।
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फुटेज की अनुपलब्धता पर ऐतराज
सुप्रीम कोर्ट ने यह गंभीर चिंता जताई कि इन मौतों से संबंधित पुलिस थानों से सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं कराया गया। कोर्ट ने इसे अपने पुराने आदेश का उल्लंघन मानते हुए कहा कि सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखने का आदेश पहले ही दिया जा चुका था। इसके तहत सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी कवरेज की आवश्यकता थी और थाने का कोई भी हिस्सा जैसे कि रिमांड रूम कैमरे की निगरानी से बाहर नहीं होना चाहिए।
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डीजीपी से दो हफ्ते में रिपोर्ट मांगी
कोर्ट ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया कि पुलिस महानिदेशक (DGP) के माध्यम से दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल किया जाए। इस हलफनामे में पुलिस थानों की संख्या, जिलेवार विवरण, प्रत्येक थाने में सीसीटीवी कैमरों की कुल संख्या, उनकी स्थिति, तकनीकी विशिष्टताएं जैसे कि रिजॉल्यूशन, नाइट विजन, दृश्य क्षेत्र, ऑडियो कैप्चर और टैंपर डिटेक्शन फीचर्स, डाटा स्टोर करने की फैसिलिटी, कैमरों की मेंटनेंस, सॉफ्टवेयर और अन्य विवरण शामिल होंगे।
पुराने निर्देश और लगातार अवहेलना
यह पहली बार नहीं है, जब सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। इससे पहले कोर्ट ने पारदर्शिता बनाए रखने और हिरासत में होने वाली ज्यादतियों को रोकने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हर पुलिस थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए थे।
कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया था कि सीसीटीवी फुटेज को 18 महीने तक सुरक्षित रखा जाए। इसके बावजूद, राजस्थान में सामने आई घटनाओं से यह स्पष्ट है कि इन निर्देशों का पालन पूरी तरह से नहीं हुआ है।
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'अंतिम मौका' के बावजूद कोई सुधार नहीं
अप्रैल, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए आखिरी मौका दिया था। तीन महीने के भीतर इसे लागू करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन राजस्थान में सामने आई ये घटनाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया है।
कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि मानवाधिकारों के उल्लंघन की समीक्षा करने वाली केंद्रीय और राज्य स्तरीय समितियां भी ठीक से काम नहीं कर रही हैं, जो सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं।