स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप : रईस बच्चे सिर्फ विदेश पढ़ाई के लिए कर सकेंगे आवेदन, पर भारतीय संस्थानों में नहीं

राजस्थान की स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना में नए नियमों ने विदेश में पढ़ाई की राह को एलीट क्लास तक सीमित कर दिया है। इससे कई गरीब बच्चों को बाहर कर दिया गया है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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राजस्थान सरकार की स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना में अब 25 लाख या इससे अधिक वाले परिवारों के विद्यार्थी सिर्फ विदेश में उच्च शिक्षा के लिए आवेदन कर पाएंगे। उन्हें भारतीय संस्थानों का फायदा लेने से बाहर रखा गया है। सरकार ने इसके साथ दावा किया है कि इस योजना में सिर्फ आठ लाख रुपए सालाना आय वाले परिवारों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी। 

सरकार ने 2025 के लिए स्कॉलरशिप के नियम जारी कर पात्र विद्यार्थियों से आवेदन मांगे हैं। विदेश में उच्च शिक्षा के लिए जाने वाले बच्चों के लिए यह योजना 2021 में पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने राजीव गांधी के नाम पर शुरू की थी। पहले इस योजना में 200 अभ्यर्थी चुने जाते थे, जिन्हें बाद में भाजपा की भजनलाल सरकार ने बढ़ाकर 500 अभ्यर्थी कर दिया। भाजपा सरकार ने इस योजना का नाम भी बदल दिया था। 

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अफसरों के बच्चे ले गए फायदा

यह वही योजना है, जिसमें प्रदेश के आईएएस-आईपीएस समेत बड़े वर्ग के अधिकारियों के 30 प्रतिशत बच्चे फायदा ले रहे हैं। शुरुआत में यह योजना प्रदेश के गरीब मेधावी बच्चों के लिए शुरू की गई थी। योजना में आय वर्ग के हिसाब से तीन श्रेणी रखी गई हैं। ई-1 में आठ लाख रुपए सालाना, ई-2 में 8 से 25 लाख रुपए और ई-3 श्रेणी में 25 लाख या इससे अधिक सालाना आय वाले परिवारों के बच्चों को रखा गया है। योजना के तहत विदेश में उच्च शिक्षा के लिए 150 और भारतीय शिक्षण संस्थानों के लिए 350 बच्चों का चयन किया जाएगा।

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रैंकिंग की दीवार, अंकों की कसौटी

सरकार ने इस स्कॉलरशिप के दिशा-निर्देशों में काफी कुछ बदलाव किए हैं। इसके तहत विश्वविद्यालयों की संख्या भी 150 से घटाकर 50 कर दी गई है। सरकार ने साफ किया है कि स्कॉलरशिप सिर्फ उन्हीं संस्थानों के लिए मिलेगी, जो टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) और एनआईआरएफ (भारत की नेशनल रैंकिंग) में टॉप 50 के भीतर हों। दुनिया भर में लाखों यूनिवर्सिटी हैं, लेकिन राजस्थान सरकार ने सिर्फ 50-50 की झिरी में छात्रों को बांध दिया। सवाल यह है कि क्या प्रदेश के मेधावी छात्र सिर्फ ‘टॉप 50’ तक ही सीमित हैं? नियमों में अंकों की कसौटी भी रखी गई है। देश और विदेश, दोनों संस्थानों में प्रवेश पाने वाले छात्रों को कम से कम 60% अंक होना जरूरी है। 

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महिला आरक्षण का दांव

योजना में 30% स्कॉलरशिप महिला विद्यार्थियों के लिए आरक्षित रखी गई हैं। सरकार इसे महिला शिक्षा बढ़ाने का कदम बता रही है, लेकिन सवाल है कि जब पहले ही टॉप 50 की दीवार खड़ी कर दी गई है, तो कितनी महिलाएं उसमें से छनकर बाहर निकल पाएंगी? इस वर्ष के लिए ऑनलाइन आवेदन 21 अगस्त से शुरू होकर तीन चरणों में होंगे, लेकिन आवेदन प्रक्रिया इतनी जटिल है कि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए यह किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं। पोर्टल पर आवेदन, चयन और भुगतान सबकुछ ऑनलाइन होगा। 

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पिछले साल 143 सीटें रहीं खाली

इस योजना के तहत देश-विदेश की टॉप यूनिवर्सिटी में 500 छात्रों को पढ़ने का मौका देने का दावा तो किया जाता है, लेकिन इसमें बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। स्थिति यह है कि बच्चे विदेश पढ़ने जाना चाहते भी हैं, बावजूद इसके पिछले साल 143 सीटें खाली रह गई थीं। पिछले साल भी आवेदन प्रक्रिया में देरी हुई, जिसके चलते स्टूडेंट्स के सामने वक्त ही नहीं बचा। ऐसा ही कुछ आलम इस साल भी है।

FAQ

Q1: स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप योजना में किन बच्चों को विदेश में पढ़ाई के लिए भेजा जाएगा?
इस योजना के तहत, केवल 25 लाख रुपये या इससे अधिक वार्षिक आय वाले परिवारों के बच्चों को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेजा जाएगा।
Q2: महिला विद्यार्थियों के लिए इस योजना में क्या विशेष व्यवस्था है?
इस योजना में महिला विद्यार्थियों के लिए 30% आरक्षण (30% Reservation) रखा गया है, ताकि महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके।
Q3: क्या इस योजना में सभी बच्चों को विदेश में पढ़ाई का मौका मिलेगा?
नहीं, केवल वह छात्र जो 25 लाख रुपये या उससे अधिक आय वाले परिवार से हैं और जिन्होंने टॉप 50 विश्वविद्यालय (Top 50 Universities) में प्रवेश प्राप्त किया है, उन्हें विदेश में पढ़ाई का अवसर मिलेगा।

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