तीन शावकों को विदा कर दुनिया छोड़ गई बाघिन एरोहेड

राजस्थान में रणथम्भौर टाइगर नेशनल पार्क से अपने तीन शावकों को विदा करने के बाद चर्चित बाघिन एरोहेड (टी-84) खुद ही बुधवार को दुनिया छोड़ गई। लंबे समय से उसे ब्रेन ट्यूमर था।

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The Sootr
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जयपुर। राजस्थान में रणथम्भौर टाइगर नेशनल पार्क से अपने तीन शावकों को विदा करने के बाद चर्चित बाघिन एरोहेड (टी-84) खुद ही बुधवार को दुनिया छोड़ गई। लंबे समय से उसे ब्रेन ट्यूमर था। वह जंगल में मृत पाई गई। यह संयोग रहा कि एरोहेड की मौत से कुछ देर पहले ही वन विभाग ने उसके तीन शावकों को अन्यत्र भेजने का मिशन पूरा किया। 

मगरमच्छ का किया था शिकार

करीब 16 साल की एरोहेड ने कुछ दिन पहले जंगल के एक तालाब में मगरमच्छ का शिकार किया था। उसकी इस जांबाजी का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। उसके तीन शावक थे। इनका रणथम्भौर से विस्थापन कर दिया गया था। इनमें से मादा कनकटी शावक RBT-2507 को ट्रेंक्यूलाइज कर गुरुवार को मुकंदरा हिल्स भेजा गया। इसकी उम्र लगभग दो साल है। इसने हाल ही में दो लोगों को शिकार बना लिया था।

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इससे पहले RBT-2508 (मादा शावक) को भी मुकंदरा के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में भेज दिया गया था। इसी 11 जून को एरोहेड के ही नर शावक RBT-2509 को कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य में रखा गया था। एरोहेड की पूर्व की संतान बाघिन रिद्धि और सिद्धि आज भी चर्चा में हैं। 

मछली की नवासी थी एरोहेड

ऐरोहेड रणथम्भौर की मशहूर बाघिन मछली की नवासी थी। बताया जाता है कि रणथम्भौर में जितने भी बाघ हैं, उनमें अधिकतर मछली के ही वंशज हैं। किसी समय बाघिन मछली को देखने के लिए पर्यटकों में उत्सकुता रहती थी। प्रदेश के वन और पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने एरोहेड की मौत को रणथम्भौर के लिए दुखद बताया है।

बाघों के लिए मुफीद

रणथंभौर में बाघों के लिए मुफीद है। प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़कर 150 को पार कर गई हैं। इनमें आधे से ज्यादा यानी 80 बाघ सिर्फ रणथम्भौर में हैं। यहां से अब तक प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में 24 बाघ-बाघिन और शावकों को भेजा चुका है। लेकिन, इनमें से 13 की मौत अब तक मौत हो चुकी है।

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