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Photograph: (the sootr)
राजस्थान सरकार की ओर से ऊंटों के संरक्षण के लिए शुरू की गई उष्ट्र प्रजनन योजना (Camel Breeding Scheme) अब भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों का शिकार हो गई है। प्रदेश के जैसलमेर जिले के ऊंटपालकों का कहना है कि सरकार की ओर से दिए गए आश्वासनों के बावजूद इस योजना में कई गड़बड़ियां हो रही हैं। इन आरोपों ने सरकार के संरक्षण कार्यक्रमों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रोत्साहन राशि बाकी, अधिकारियों की अनदेखी
जैसलमेर जिले के रासला ग्राम पंचायत में लगभग 5000 ऊंट हैं। ऊंटपालक सुमेरसिंह सांवता ने बताया कि लगभग पांच महीने पहले फतेहगढ़ के नोडल अधिकारी की अगुवाई में 500 ऊंटों को टैग किया गया था। टैग किए जाने के बावजूद इन ऊंटों के फोटो ऑनलाइन नहीं किए गए, जिसके कारण ऊंटपालकों के खातों में प्रोत्साहन राशि नहीं पहुंची। इसका मतलब है कि योजना का लाभ ऊंटपालकों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
अधिकारियों पर रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप
ऊंटपालकों ने आरोप लगाया कि जब वे भुगतान में देरी का कारण पूछते हैं, तो विभागीय अधिकारियों की तरफ से उन्हें फाइल का वजन यानी रिश्वत देने की बात की जाती है। इस प्रकार की कार्रवाई से ऊंटपालकों में गहरी नाराजगी है। इन आरोपों के बाद ऊंटपालकों ने पशुपालन विभाग के निदेशक को एक ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी कि अगर जल्द उनके खातों में प्रोत्साहन राशि नहीं आई, तो वे जिला कलेक्ट्रेट परिसर में धरना देंगे और अपने ऊंटों को वहीं छोड़ देंगे।
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सरकार की योजना और जमीनी हकीकत
राजस्थान की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 2022-23 के बजट में उष्ट्र संरक्षण योजना (Camel Conservation Scheme) का ऐलान किया था। इस योजना का उद्देश्य ऊंटों के प्रजनन को प्रोत्साहित करना था, जिसमें प्रत्येक ऊंट के शावक (टोडी) के जन्म पर 5000 रुपए की प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पाया है और ऊंटपालक इसके कारण निराश हैं।