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मुकेश शर्मा @ जयपुर
राजस्थान में जयपुर की एक निचली अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे , पूर्व गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ और वर्तमान में चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर सहित पूर्व सीएस सीएस राजन व पूर्व आईएएस वीनू गुप्ता के खिलाफ परिवाद खारिज कर दिया है। परिवाद में इन पर आईटी सेक्टर के लिए बने महिंद्रा विशेष इकोनॉमिक जोन (सेज) को करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचाने के आरोपों लगाए गए थे।
यह परिवाद 10 साल पहले वर्ष 2015 में परिवादी संजय छाबड़ा ने दायर किया था। गुलाब चंद कटारिया वर्तमान में पंजाब के राज्यपाल हैं। जयपुर की मजिस्ट्रेट कोर्ट नंबर—1 ने लगभग 10 सुनवाई के बाद बुधवार को परिवाद खारिज कर दिया।
कोर्ट ने इस मामले में परिवादी के बयान दर्ज किए थे, जिसमें उसने परिवाद में लगाए आरोप दोहराए थे। लेकिन, वह अपने आरोपों के समर्थन में ना तो कोई दस्तावेज पेश कर पाया और न ही कोई गवाह पेश कर पाया। पूरा मामला सिर्फ मौखिक आधार पर ही था। अदालत ने मामले को खारिज करते हुए कहा है कि इस मामले में आईपीसी की धारा—409, 420, 467, 468, 471 और 120—बी सहित अन्य किसी भी धारा में प्रसंज्ञान लेने का कोई आधार नहीं दिखता है।
5000 करोड़ रुपए के घपले के लगाए थे आरोप
परिवादी का आरोप था कि महिंद्रा सेज में सड़क,पार्क और स्कूल आदि के लिए जमीन आरक्षित थी। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे व अन्य ने कानून और एमओयू के विपरीत जाकर इस जमीन का भू—उपयोग बदल दिया था। इसके बाद करीब 500 एकड़ जमीन उद्योगों को बेचने के लिए स्पेस डवलपर्स लिमिटेड को दे दी। इससे करीब 5 हजार करोड़ रुपए का घपला हुआ।
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पूर्व आईएएस वीनू गुप्ता पर आरोप
परिवादी का आरोप था कि सरकार ने तत्कालीन सीएम के कहने पर निजी तौर पर फायदा लेने के लिए सेज संबंधी प्रावधानों तथा केंद्र सरकार के 2013 में जारी निर्देश व संशोधनों का खुला उल्लंघन किया था। पूर्व आईएएस वीनू गुप्ता पर आरोप था कि उद्योग सचिव रहते हुए उन्होंने सीएम के कहने पर जमीन का भू—उपयोग बदलने और स्पेस डवलपर को देने का प्रस्ताव बनाया था तत्कालीन मुख्य सचिव सीएस राजन ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देकर सरकार को नुकसान पहुंचाया था। दोनों अधिकारी और मंत्री सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करने को पाबंद थे।
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कंपनी के निदेशक भी बनाए आरोपी
परिवादी ने महिंद्रा ग्रुप की कंपनी स्पेस डवलपर लिमिटेड को सार्वजनिक काम के लिए आरक्षित जमीन देकर कंपनी को करीब पांच हजार करोड़ रुपयों का फायदा पहुंचाया था।
मामले में कंपनी के निदेशक अरुण के.नंदा, अनिता अर्जुनदास, उदय फड़के,अनिल हर्ष, संजीव कपूर और शैलेश हरिभक्ति को भी आरोपी बनाया था।