पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने बढ़ाई सियासी हलचल, समर्थकों को कहा-जैसा नहीं, जैसी सीएम!

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने चूरू के रतनगढ़ में मुख्यमंत्री बनने के समर्थन में हुए नारेबाजी के दौरान एक शब्द परिवर्तन से राजनीतिक संदेश दिया। जानिए इस घटना के बारे में पूरी जानकारी।

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Nitin Kumar Bhal
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Bikaner . राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) ने 9 अक्टूबर 2025 को बीकानेर में पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी (Rameshwar Dudi) के निधन पर शोक व्यक्त किया और लौटते वक्त चूरू जिले के रतनगढ़ (Ratangarh) में रुकीं। इस दौरान, पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा मुख्यमंत्री बनाने के समर्थन में नारे लगाए गए। नारे में, "हमारा मुख्यमंत्री कैसा हो, वसुंधरा राजे जैसा हो" (How should our Chief Minister be? It should be like Vasundhara Raje) का प्रयोग किया गया। वसुंधरा राजे ने इसे सुनते ही कार्यकर्ताओं को रोका और 'जैसा' शब्द की जगह 'जैसी' (Like) का इस्तेमाल करने को कहा।

यह न केवल एक शब्द परिवर्तन था, बल्कि इसके पीछे एक गहरा राजनीतिक संदेश भी छिपा था। इस घटना के बाद से यह चर्चा का विषय बन गया है, और राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वसुंधरा राजे ने यह कदम एक रणनीति के तहत उठाया है।

वसुंधरा राजे के बयान से बढ़ी सियासी हलचल, जानें क्या बोलीं राजस्थान की पूर्व सीएम

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वसुंधरा राजे का राजनीतिक संदेश

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का इस प्रकार का बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जब कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए, तो वसुंधरा राजे ने न केवल शब्दों को बदला, बल्कि इसके जरिए एक चतुर रणनीति भी अपनाई। उन्होंने कार्यकर्ताओं से 'जैसा' की जगह 'जैसी' शब्द का प्रयोग कराकर यह संदेश दिया कि वह राजस्थान में अपनी सक्रियता (Activism in Rajasthan) और नेतृत्व (Leadership) पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए तैयार हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की खुद को पार्टी और कार्यकर्ताओं के बीच एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश हो सकती है। यह एक रणनीतिक निर्णय था, जिससे वह अपने समर्थकों को संदेश देने में सफल रहीं। ऐसे बयान अक्सर राजनीतिक सन्देशों को संप्रेषित करने के लिए दिए जाते हैं, जो समर्थकों को एकजुट रखने और उनके उत्साह को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

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रतनगढ़ में विरोधी धड़ों ने अलग-अलग किया स्वागत

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का रतनगढ़ में स्वागत भी चर्चा का विषय रहा। यहां पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवां (Rajkumar Rinwa) और पूर्व विधायक अभिनेष महर्षि (Abhinesh Maharshi) ने अलग-अलग जगहों पर वसुंधरा राजे का स्वागत किया। रतनगढ़ में दोनों नेताओं के अलग-अलग धड़े हैं, और यह तथ्य इस बात का संकेत देता है कि पार्टी में अंदरूनी विरोध (Internal Discontent) भी मौजूद है। हालांकि, वसुंधरा राजे ने इसे राजनीतिक माहौल में अपने तरीके से संतुलित किया और कार्यकर्ताओं के उत्साह को बरकरार रखा।

रिनवां और महर्षि के अलग-अलग स्वागत से यह स्पष्ट होता है कि वसुंधरा राजे का राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा समर्थक वर्ग (Supporter Base) है, लेकिन पार्टी में विभाजन (Division) भी है।

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राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में वसुंधरा राजे का बयान

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, वसुंधरा राजे के शब्द और उनके हावभाव इस समय राज्य में पार्टी की स्थिति और आगामी चुनावों (Elections) पर गहरे प्रभाव डाल सकते हैं। उनका 'जैसी' शब्द का इस्तेमाल न केवल एक सामान्य बदलाव था, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति (Political Strategy) का हिस्सा था। वसुंधरा राजे ने यह सुनिश्चित किया कि उनका समर्थक वर्ग उनकी ओर से सकारात्मक संदेश ले जाए, और उनके समर्थक उनसे जुड़े रहें।

वसुंधरा राजे का राजनीतिक प्रभाव और सियासी कूटनीति

राजस्थान में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के नेतृत्व (Leadership) का एक लंबा इतिहास है, और उनकी यह कूटनीति दिखाती है कि वह पार्टी की मजबूत नेता के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखना चाहती हैं। उनके समर्थक यह समझते हैं कि उन्होंने 'जैसा' शब्द को 'जैसी' में बदलकर उन्हें खुद को और अपनी नेतृत्व क्षमता को मजबूती से प्रस्तुत किया है।

वसुंधरा राजे का यह बयान प्रदेश की राजनीति में गहरा प्रभाव डाल सकता है। उनके समर्थक इस बदलाव को एक रणनीतिक कदम के रूप में देख रहे हैं, जो आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के लिए उन्हें और पार्टी को मजबूती प्रदान कर सकता है। यह कदम न केवल वसुंधरा राजे की राजनीतिक सक्रियता को दर्शाता है, बल्कि उनके अंदर पार्टी के भीतर नेतृत्व की चुनौती (Leadership Challenge) से निपटने की क्षमता भी दिखाता है।

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वसुंधरा राजे कौन हैं?

  • राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का राजनीतिक और सामाजिक परिचय बहुत मजबूत है।

  • 8 मार्च 1953 को उनका जन्म मुंबई में हुआ था और उनका संबंध ग्वालियर के पूर्व राजघराने से है।

  • वे जीवाजी राव सिंधिया और विजया राजे सिंधिया की चौथी संतान हैं।

  • वसुंधरा ने प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और बाद में सोफिया कॉलेज, मुंबई यूनिवर्सिटी से इकॉनॉमिक्स और साइंस में ग्रेजुएशन किया।

  • 17 नवंबर 1972 को उनकी शादी धौलपुर के पूर्व राजघराने के सदस्य हेमंत सिंह से हुई।

  • वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह, राजस्थान के झालावाड़ से लोकसभा सदस्य हैं।

  • वे मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता माधव राव सिंधिया की बहन हैं, जबकि उनकी बहन यशोधरा राजे सिंधिया मध्य प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री रह चुकी हैं।

  • 1984 में उन्होंने मध्यप्रदेश के भिड़ लोकसभा क्षेत्र से पहला चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णदेव सिंह से 88 हजार वोटों से हार गईं।

  • उसी वर्ष उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया और भाजपा युवा मोर्चा राजस्थान की उपाध्यक्ष बनाया गया।

  • 1985-87 के बीच वे भाजपा युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष रहीं, फिर 1987 में राजस्थान प्रदेश भाजपा की उपाध्यक्ष बनीं।

  • 1998-99 में अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में उन्हें विदेश राज्यमंत्री बनाया गया।

  • 1999 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री का स्वतंत्र प्रभार मिला और भैरोंसिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद राजस्थान भाजपा की अध्यक्ष भी बनीं।

  • 2003 में पहली बार वे राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं, जो इस पद पर बैठने वाली पहली महिला थीं।

  • 2013 में वे फिर से राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं।

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वसुंधरा राजे के समर्थकों का उत्साह

पूर्व CM वसुंधरा राजे का बयान और रतनगढ़ में हुआ स्वागत उनके समर्थकों के लिए एक बड़ा उत्साह का कारण बन सकता है। उन्होंने अपने समर्थकों को यह संदेश दिया है कि वह राजस्थान भाजपा की एकजुटता बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाएंगी। कार्यकर्ताओं के लिए यह एक अच्छा संकेत हो सकता है, क्योंकि राजस्थान में बीजेपी (BJP) का भविष्य उनके नेतृत्व पर निर्भर करता है।

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FAQ

1. वसुंधरा राजे ने 'जैसा' की जगह 'जैसी' क्यों कहा?
वसुंधरा राजे ने यह शब्द परिवर्तन राजनीतिक संदेश देने और अपने नेतृत्व को मजबूत करने के उद्देश्य से किया। यह उनका एक रणनीतिक कदम था, जिससे उन्होंने अपने समर्थकों को एक सकारात्मक संकेत दिया।
2. राजस्थान में वसुंधरा राजे का राजनीतिक प्रभाव क्या है?
वसुंधरा राजे का राजस्थान की राजनीति में एक मजबूत प्रभाव है। वे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रही हैं। उनके समर्थक उन्हें एक मजबूत नेता मानते हैं और उनकी सक्रियता राज्य में बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है।
3. रतनगढ़ में वसुंधरा राजे का स्वागत क्यों अलग-अलग धड़ों ने किया?
रतनगढ़ में वसुंधरा राजे का स्वागत दो अलग-अलग धड़ों ने किया क्योंकि वहां के स्थानीय नेता राजकुमार रिणवां और अभिनेष महर्षि के एक पार्टी भाजपा में रहते हुए भी अलग-अलग राजनीतिक विचार हैं।
4. वसुंधरा राजे का बयान बीजेपी के लिए क्या मायने रखता है?
वसुंधरा राजे का बयान बीजेपी के भीतर उनके नेतृत्व की स्थिरता और आगामी चुनावों के लिए पार्टी के मजबूत उम्मीदवार के रूप में उनकी स्थिति को सुनिश्चित करता है।
5. क्या वसुंधरा राजे आगामी चुनावों में बीजेपी की मुख्यमंत्री उम्मीदवार हो सकती हैं?
राजस्थान में वसुंधरा राजे का मजबूत समर्थक वर्ग और उनकी राजनीतिक सक्रियता उन्हें बीजेपी की आगामी चुनावों में मुख्यमंत्री उम्मीदवार (CM Candidate) बना सकती है।

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