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Photograph: (The Sootr)
जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के इस्तीफे के बाद खाली हुई उपराष्ट्रपति पद की कुर्सी क्या फिर राजस्थान (Rajasthan) की झोली में आ सकती है? यह सवाल इसलिए भी अहम है, क्योंकि अब तक उपराष्ट्रपति पद राजस्थान से भाजपा के दो नेताओं को मिल चुका है। अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ खुद राजस्थान से हैं। इससे पहले राजस्थान के दिग्गज भाजपा नेता और मुख्यमंत्री रहे भैंरोसिंह शेखावत उपराष्ट्रपति बने। अगर यह पद राजस्थान के किसी नेता को फिर से मिलता है तो वे उपराष्ट्रपति बनने वाले तीसरे राजस्थानी होंगे। फिलहाल, इस पद के लिए राजस्थान से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर और राजस्थान से राज्यसभा सदस्य घनश्याम तिवाड़ी का नाम चर्चाओं में है।
राजे को करना है राजी
राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के समय वसुंधरा राजे का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए लगभग तय माना जा रहा था। फिर दिल्ली से आई पर्ची में पहली बार के सांगानेर विधायक भजनलाल शर्मा के नाम लॉटरी खुल गई। भाजपा में तभी से राजे को असंतुष्ट हैं। वे गाहे-बगाहे अपने राजनीतिक विरोधियों पर तंज भी कसती आ रही हैं। फिर 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद वसुंधरा राजे के पुत्र और झालावाड़ से पांचवी बार सांसद बने दुष्यंत सिंह को केन्द्र में मंत्री बनाने की चर्चाओं ने भी जोर पकड़ा। लेकिन, नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 में अभी तक दुष्यंत सिंह को मंत्री नहीं बनाया गया है। ऐसे में चर्चा है कि राजे को राजी करने के लिए उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है।
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क्या राजस्थान में भजनलाल को मिलेगा फ्रीहैंड?
वसुंधरा राजे के उपराष्ट्रपति बनने से वे राजस्थान से दूर हो जाएंगी। ऐसे में मोदी-शाह की पसंद भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) को फ्रीहैंड होकर काम करने का मौका मिलेगा। राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि अभी भी बहुत से भाजपा नेताओं और अधिकारियों की निष्ठा वसुंधरा राजे से ही जुड़ी है। ऐसे में भजनलाल शर्मा का काम कर पाना मुश्किल हो रहा है। इस समस्या से निजात पाने के लिए मोदी-शाह ठीक वही फॉर्मूला अपना सकते हैं जो वसुंधरा राजे को पहली बार मुख्यमंत्री बनाने के लिए भैंरोसिंह शेखावत पर अपनाया गया था। तब 2002 में भैंरासिंह शेखावत को उपराष्ट्रपति बना कर वसुंधरा राजे के लिए राजस्थान खाली कराया गया था।
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सिक्किम में माथुर भी 'एडजस्ट' नहीं
चर्चा है कि सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर भी इस पद से खुश नहीं बताए जा रहे हैं। कभी गुजरात चुनाव के मुख्य सूत्रधार रहे ओमप्रकाश माथुर पीएम नरेंद्र मोदी की गुडबुक में हैं। उन्हें संघ (RSS) का चेहरा भी माना जाता है। ऐसे में इन्हें उपराष्ट्रपति बनाए जाने से दोनों को साधने का मौका मिलेगा। अगर ओमप्रकाश माथुर राजी होंगे तो संघ भी खुश होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर वसुंधरा राजे के नाम पर सहमति नहीं बनी तो माथुर ही उपराष्ट्रपति पद के लिए पसंद बन सकते हैं।
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घनश्याम तिवाड़ी पर भी लग सकता है दांव
राजस्थान से भाजपा के दिग्गज नेता घनश्याम तिवाड़ी फिलहाल राज्यसभा सदस्य हैं। वसुंधरा राजे के सीएम बनने के बाद अपनी उपेक्षा से नाराज हुए घनश्याम तिवाड़ी ने अपनी अलग पार्टी बना ली थी। लेकिन, वे भाजपा से अलग होने के बाद कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए। हालांकि, वे 77 साल के हो गए हैं। ऐसे में भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी में उनकी पुरानी सेवाओं को देखते हुए उन्हें उपराष्ट्रपति बनाने पर विचार कर सकती है।
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कितने दिन में होगा नए उपराष्ट्रपति का चुनाव?संविधान में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति के पद को जल्द से जल्द भरना होगा। ऐसे में सरकार को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए जल्द व्यवस्था करनी होगी। संविधान के अनुच्छेद 68 के खंड 2 के अनुसार उपराष्ट्रपति के निधन, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से खाली होने वाली जगह को भरने के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराने का प्रावधान है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक सामान्य परिस्थितियों में उपराष्ट्रपति का चुनाव निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर करना होता है। अगर यह पद उपराष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफ़े या पद से हटाए जाने या दूसरे कारण से रिक्त होता है तो इसे भरने के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराने की व्यवस्था की जाती है। उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बना निर्वाचक मंडल उपराष्ट्रपति का चुनाव करता है। उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार सिंगल ट्रांसफरेबल वोट के जरिए होता है। इस पद के लिए वोटिंग गुप्त मतदान यानी सीक्रेट बैलेट के जरिए होती है। उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्यता क्या है?कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक हो, 35 वर्ष की उम्र पूरी कर चुका हो और राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो, वह उपराष्ट्रपति पद के योग्य माना गया है। कोई व्यक्ति जो भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन किसी लाभ के पद पर हो, वो इसके योग्य नहीं होगा। |
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धनखड़ बीच में पद छोड़ने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति
जगदीप धनखड़ देश के संसदीय इतिहास में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति हैं। इससे पहले वीवी गिरि और आर वेंकटरमन ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ दिया था। संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है। हालांकि, चूंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है। इसलिए उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह उनकी अनुपस्थिति में सदन की अध्यक्षता करेंगे।
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