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Photograph: (the sootr)
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 की रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती संख्या को लेकर गंभीर चिंताएं जताई गई हैं। पूरे भारत में महिलाओं के खिलाफ कुल 4,48,211 अपराध दर्ज किए गए, जिसमें पिछले दो सालों के मुकाबले मामूली वृद्धि देखने को मिली है। इस रिपोर्ट में राजस्थान का नाम तीसरे स्थान पर आया है, जहां 45,450 मामले दर्ज किए गए। यह आंकड़ा राजस्थान की महिला सुरक्षा की स्थिति पर सवाल उठाता है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
राजस्थान में अपराध दर का बढ़ता आंकड़ा
रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में प्रति लाख महिला जनसंख्या पर अपराध दर 66.2 रही, जबकि राजस्थान में यह आंकड़ा 114.8 है। इस मामले में राजस्थान का स्थान तेलंगाना (124.9) के बाद दूसरा है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक यानी 66,381 मामले दर्ज हुए। इसके बाद महाराष्ट्र (47,101) और फिर राजस्थान का स्थान आता है।
विपक्ष की चुप्पी, सरकार का दावा
राजस्थान में कांग्रेस सरकार के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में यह स्थिति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण रही है। हालांकि राज्य के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने दावा किया है कि उनके शासनकाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 10 फीसदी तक की कमी आई है। उनका कहना है कि कांग्रेस के शासन के मुकाबले वर्तमान सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अधिक गंभीर है।
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महिलाओं के खिलाफ अपराध के प्रकार
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में विभिन्न प्रकार के मामले सामने आए। इनमें पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के 1,33,676 मामले आए, जिनकी दर 19.7 प्रतिशत रही। अपहरण और बंधक बनाने के 88,605 मामले, गरिमा भंग के इरादे से हमले के 83,891 मामले, बलात्कार के 29,670 मामले (18 वर्ष से अधिक के 28,821 और 18 वर्ष से कम के 849), दहेज हत्या के 6,156, आत्महत्या के लिए उकसाने के 4,825 मामले सामने आए। बलात्कार के प्रयास के 2,796, तेजाब के हमले के 113 और विशेष व स्थानीय कानूनों के तहत 87,850 मामले दर्ज किए गए हैं।
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बच्चों और अश्लीलता से जुड़े अपराध
पॉक्सो अधिनियम के तहत 40,046 मामले दर्ज किए गए, जो बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को दर्शाते हैं। इसके अलावा, यौन उत्पीड़न के 22,149 मामले और यौन प्रताड़ना के 2,778 मामले भी सामने आए। बच्चों के पोर्नोग्राफी में इस्तेमाल करने के 698 मामले दर्ज किए गए हैं।
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महिला अपराधों में लंबित मामले
पुलिस द्वारा निपटाए गए मामलों के आंकड़े भी चिंताजनक हैं। 2023 में 1,85,961 मामले पहले से लंबित थे। नए मामलों के साथ यह आंकड़ा बढ़कर 6,35,159 हो गया, जिसमें से 1,82,219 मामलों में आरोप-पत्र दाखिल किए गए और आरोप-पत्र दाखिल करने की दर 77.6 प्रतिशत रही। हालांकि लंबित मामलों की दर 28.7 प्रतिशत थी, जो इस स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है।