राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में प्रमोशन में भ्रष्टाचार का खेल, पहली कमेटी जांच नहीं कर पाई तो दूसरी गठित

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में प्रमोशन में भ्रष्टाचार की जांच में हुई देरी के बाद राज्य सरकार ने पुरानी जांच कमेटी को भंग कर नई कमेटी गठित की है। इस मामले में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप हैं, जिनकी जांच की जा रही है।

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Amit Baijnath Garg
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RTU kota

Photograph: (the sootr)

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Kota. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (RTU) में पिछले कई महीनों से प्रमोशन के बदले रिश्वत मांगने का मामला सुर्खियों में है। इस मामले में एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने राजभवन में गोपनीय शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रमोशन के बदले 2 से 3 लाख रुपए की रिश्वत मांगी जा रही है। इस शिकायत के बाद राजभवन ने राज्य सरकार को मामले की जांच के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक इस जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है।

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पहली जांच कमेटी विफल

2024 में राजस्थान सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी, जिसमें बीकानेर विश्वविद्यालय के कुलपति, एमबीएम यूनिवर्सिटी जोधपुर के प्रोफेसर और बीकानेर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार शामिल थे। हालांकि इस कमेटी ने पिछले एक साल में जांच में कोई खास प्रगति नहीं की। इसके कारण राज्य सरकार ने पुरानी कमेटी को भंग कर नई कमेटी गठित की है, जिसका उद्देश्य इस मामले की गहनता से जांच करना है।

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नई जांच कमेटी का गठन

राज्य सरकार ने इस मामले की जांच को लेकर एक नई कमेटी का गठन किया है। इस नई कमेटी में कोटा विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. बीपी सारस्वत को जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही एमबीएम यूनिवर्सिटी जोधपुर के प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार गुप्ता और एमपीयूएटी उदयपुर के प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार यादव को भी शामिल किया गया है। इस नए कदम के साथ उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले की जांच को गति मिलेगी और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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प्रमोशन में रिश्वत मांगने के आरोप

इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब 8 मार्च, 2024 को झालावाड़ इंजीनियरिंग कॉलेज में तैनात एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने गोपनीय शिकायत की थी। शिकायत में बताया गया था कि उसकी पदोन्नति के लिए उसे 2 से 3 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की जा रही थी। इस आरोप के साथ ही यह भी खुलासा हुआ कि फेल हुए छात्रों को पैसे लेकर नंबर बढ़ाए जाते थे।

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विधायकों का विरोध, कमेटी पर सवाल

इस मामले में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा और बारां के विधायक ललित मीणा ने वीसी सर्च कमेटी की नियुक्ति को लेकर विरोध जताया है। उनका आरोप है कि वीसी सर्च कमेटी में पूर्व वीसी के रिश्तेदार शामिल हैं, जिनका उद्देश्य उन्हें फिर से तैनात करना हो सकता है। दोनों विधायकों ने राज्यपाल हरिभाऊ बागडे और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र भेजकर इस मामले में जांच की मांग की है।

FAQ

1. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में प्रमोशन के बदले रिश्वत के आरोप कब लगे थे?
राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में प्रमोशन के बदले रिश्वत के आरोप 8 मार्च 2024 को लगे थे, जब एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने गुप्त शिकायत दर्ज करवाई थी।
2. इस मामले की जांच में कितने समय से देरी हो रही है?
इस मामले की जांच में सवा साल से कोई प्रगति नहीं हो पाई थी, जिसके बाद राज्य सरकार ने नई जांच कमेटी गठित की है।
3. इस मामले में नई जांच कमेटी में कौन शामिल है?
नई जांच कमेटी में कोटा विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. बीपी सारस्वत, एमबीएम यूनिवर्सिटी जोधपुर के प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार गुप्ता, और एमपीयूएटी उदयपुर के प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार यादव को शामिल किया गया है।

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय विधायक संदीप शर्मा विधायक ललित मीणा कमेटी राजस्थान सरकार असिस्टेंट प्रोफेसर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा राज्यपाल हरिभाऊ बागडे
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