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गुंचा सनोबर जिन्होंने अपनी मेहनत और हौसले के बल पर पहले आईपीएस और फिर आईएएस बनने में सफलता हासिल की, आज उन लाखों लड़कियों का हौसला बढ़ा रही हैं, जिन्हें अक्सर कहा जाता है कि यह रास्ता उनके लिए नहीं है। गुंचा सनोबर 2015 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। पहले वो त्रिपुरा कैडर की अधिकारी थीं लेकिन बाद में मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हर्ष सिंह से शादी के बाद उन्हें मध्य प्रदेश स्थानांतरित कर दिया गया।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
गुंचा सनोबर मूलतः बिहार की रहने वाली हैं।उनके पिता अनवर हुसैन बिहार पुलिस सेवा (BPSC) के जरिए डीएसपी बने और 2007 से 2009 तक पटना के सिटी एसपी रहे। वे दरभंगा में डीआईजी पद से i हुए। उनकी दोनों बहनें डॉक्टर हैं। गुंचा ने अपनी स्कूली शिक्षा बिहार के अलग-अलग शहरों से पूरी की। दसवीं की परीक्षा उन्होंने डीएवी वाल्मी से पास की, जबकि बारहवीं की पढ़ाई नोट्रेडेम स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु के दयानंद सागर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की।
सिविल सेवा की तैयारी
इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा की ओर कदम बढ़ाया और 2013 में दिल्ली आकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उनका वैकल्पिक विषय भूगोल रहा, जिसमें उन्हें बचपन से ही रुचि थी। गुंचा ने अपनी पहली कोशिश में सफलता हासिल नहीं की, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दूसरे प्रयास में उन्होंने देशभर में 424वां स्थान प्राप्त किया और आईपीएस बनने का सपना पूरा किया। उन्होंने बिहार की पहली मुस्लिम महिला आईपीएस अधिकारी बनने का गौरव भी प्राप्त किया। उसके बाद अगले साल उन्होंने आईएएस का पद हासिल किया। उन्होंने बताया कि उनके पिता, मां और बड़ी बहन ने हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया।
सिस्टम में रहकर ही सिस्टम को सुधारना चाहती हूं
गुंचा बचपन से ही अपने पिता की नौकरी के कारण सरकारी सिस्टम और पुलिस व्यवस्था को नजदीक से देखती रही हैं। उन्होंने महसूस किया कि आम लोग पुलिस स्टेशनों में जाने से डरते हैं और अगर जाते भी हैं तो उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यही अनुभव उन्हें बदलाव की राह पर ले आया। वे कहती हैं अपने पिता के साथ रहते हुए मैंने करीब से छोटे कस्बों और गाँवों की जिंदगी को देखा, खासकर बिहार की, जो अब भी अविकसित है। प्रेरणा मुझे वहीं से मिली। मैं सिस्टम में रहकर ही सिस्टम को सुधारना चाहती हूँ। भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी लोगों के भरोसे को तोड़ देती है। मेरा सपना है कि मैं अपने कामकाज से ऐसी पारदर्शिता लाऊँ कि लोगों को आरटीआई तक का सहारा न लेना पड़े।
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बेटियों पर भरोसा करना जरूरी
गुंचा का मानना है कि लड़कियां लड़कों से कहीं अधिक मेहनत और लगन से अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं। बड़ा सोचो और उसको पूरा करने का प्रयास करो। आपको अपनी मदद स्वयं करनी होगी, किसी और के मदद के लिए आने का इंतजार नहीं करें। अगर आप खुद पर विश्वास रखें तो आपको सफलता जरुर मिलेगी। वे खास तौर पर अभिभावकों से अपील करती हैं कि वे अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा दें और उन पर भरोसा करें। लड़कियां कभी अपने माता-पिता को निराश नहीं करेंगी। अगर उन्हें अवसर और विश्वास मिलेगा तो वे हर क्षेत्र में कामयाबी की नई मिसालें कायम करेंगी।
सोशल मीडिया का करती हैं सीमित उपयोग
आईएएस गुंचा सनोबर सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय नहीं रहीं। वे मानती हैं कि जिंदगी सिर्फ लाइक्स और कमेंट से नहीं बदलती। लेकिन अब वे अपने काम और लोगों से संवाद के लिए इसका उपयोग करने को तैयार हैं। वे युवाओं को भी सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करने की सीख देती हैं।
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नाम: गुंचा सनोबर
जन्म: 06-09-1991
जन्मस्थान: बाढ़ जिला, बिहार
एजुकेशन: बीई
बैच: 2015
केडर: मध्यप्रदेश
पदस्थापना
IAS गुंचा सनोबर वर्तमान में बड़वानी की कलेक्टर (Barwani collector) हैं। वह पहले ग्वालियर में अपर आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त के पद पर कार्यरत थीं। वो एडिशनल कलेक्टर, सीहोर भी रह चुकी हैं।
गुंचा सनोबर की कहानी उन हौसलों की गाथा है जो कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद कभी हार नहीं मानते। उनकी सफलता पूरे देश की लाखों बेटियों के लिए यह संदेश है कि अगर इरादे पक्के हों तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।