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आईएएस आदित्य सिंह मध्यप्रदेश के उन युवा अधिकारियों में से हैं, जिन्होंने कड़ी मेहनत और सकारात्मक सोच के बल पर प्रशासनिक सेवाओं में खास पहचान बनाई। आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग करने वाले आदित्य ने पहले ही प्रयास में 2013 में 47वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनने का सपना पूरा किया।
पारिवारिक स्थिति
मध्यप्रदेश के रीवा जिले में 3 अगस्त 1990 को जन्मे आईएएस आदित्य सिंह का बचपन अनुशासन के माहौल में बीता। उनके पिता डॉ. अतुल सिंह पेशे से चिकित्सक हैं, जबकि माता ग्रहणी हैं। बड़ी बहन भी डॉक्टर हैं और उनकी पत्नी पेशे से साइकोलॉजिस्ट हैं।
शैक्षणिक यात्रा
प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने ज्योति हायर सेकंडरी स्कूल, रीवा से पूरी की। आगे चलकर उन्होंने आईआईटी रुड़की से बीटेक किया। तकनीकी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने जीवन का रुख प्रशासनिक सेवा की ओर मोड़ लिया। आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद आदित्य दिल्ली पहुंचे और आईएएस की तैयारी शुरू की। उनका वैकल्पिक विषय समाजशास्त्र (Sociology) रहा। साल 2013 में उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में 47वीं रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया। आदित्य सिंह ने बताया कि वे रोज़ाना औसतन 12 से 14 घंटे पढ़ाई करते थे और तैयारी के दौरान किसी भी तरह के व्यवधान को पसंद नहीं करते थे।
बचपन में ही तय कर लिया था आईएएस बनना
आदित्य बताते हैं कि उनके भीतर आईएएस बनने की प्रेरणा उस समय ही पैदा हो गई थी जब वो महज पाँच साल के थे। एक बार उन्हें पन्ना कलेक्ट्रेट जाने का मौका मिला और उसी समय आईएएस अधिकारियों को देखकर वो इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तय कर लिया था कि बड़े होकर वो आईएएस ही बनेंगे।
पिता ने हमेशा किया सपोर्ट
आदित्य सिंह बताते हैं कि उन्हें आईएएस बनने के लिए पिता ने हमेशा प्रेरित किया। वो हमेशा मुझे कहते थे —परीक्षा बड़ी या छोटी नहीं होती। जैसे स्कूल की परीक्षा दी है, वैसे ही सहज भाव से तैयारी करो। दवाब मत लो, क्योंकि यही असफलता की सबसे बड़ी वजह है।” मैंने इस सलाह को जीवन में अपनाया और इसका नतीजा सबके सामने है।
रीड, रेस्ट और रिवाइज
आदित्य सिंह की सफलता का मंत्रा 3R यानी रीड, रेस्ट एंड रिवाइज रहे हैं। वो प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहे सभी अभ्यर्थियों को इन तीन आर को फॉलो करने की सलाह देते हैं क्योंकि उनका मानना है जितना जरूरी पढ़ना है उतना ही जरूरी उसको दोहराना है। साथ ही दिमाग और शरीर के लिए आराम भी जरूरी है क्योंकि आप जितना फ्रेश और हेल्दी रहेंगे आपकी सफलता के चांस उतने ही अधिक होंगे।
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हार्ड वर्क की जगह स्मार्ट वर्क करें
आदित्य सिंह का मानना है कि आईएएस की तैयारी करने वालों को सकारात्मक सोच, धैर्य और ईमानदारी के साथ मेहनत करनी चाहिए। वे कहते हैं—सिलेबस पूरा कीजिए, करंट अफेयर्स पर ध्यान दीजिए और पुराने प्रश्नपत्र हल कीजिए। बहुत ज्यादा मेहनत करने की जगह सही दिशा में स्मार्ट तैयारी करें। ज्यादा किताबों की जगह एक ही किताब पढ़ें, बस फोकस्ड रहें। जिस समय परीक्षा दे रहे हैं किसी भी दूसरे तरीके के विचार दिमाग में मत आने दीजिये।
समय प्रबंधन है जरूरी
आदित्य सिंह का मानना है कि एक आईएएस अधिकारी के लिए टाइम मैनेजमेंट सबसे महत्वपूर्ण है। वे हर दिन सुबह 4 बजे उठते हैं, योग और मेडिटेशन करते हैं और नियमित रूप से कई किलोमीटर तक साइकिलिंग भी करते हैं। उसके बाद हर दिन सुबह आधा घंटा टेनिस भी खलेते हैं। उनका मानना है एक प्रशासनिक अधिकारी के लिए खुद को फिट रखना बेहद जरूरी है, तभी वो इस डिमांडिंग जॉब को अच्छे से कर सकता है।
काम और परिवार के बीच संतुलन
वे मानते हैं कि काम और परिवार के बीच संतुलन बेहद ज़रूरी है। ऑफिस और निजी जीवन में सामंजस्य बैठाकर ही अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा सकते हैं। जब वो परिवार के साथ होते हैं तो पूरा समय देते हैं। फैमिली ट्रिप्स उनकी लाइफ का महत्वपूर्ण भाग हैं।
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बेटी होने पर मिलेगा सम्मान
हरदा कलेक्टर रहते हुए आदित्य सिंह ने ‘रेवा शक्ति योजना’ की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य बेटियों को सम्मान दिलाना और घटते लिंगानुपात को सुधारना था। योजना के तहत, इकलौती बेटी वाले परिवारों को ‘कीर्ति कार्ड’ दिया जाता है। इस कार्ड के जरिए किराने की दुकान, निजी स्कूल और अस्पतालों में छूट मिलती है। साथ ही सरकारी दफ्तरों में ऐसे परिवारों के काम को प्राथमिकता दी जाती है। इस योजना से अब तक सैकड़ों परिवार जुड़े हैं और प्रशासन को उम्मीद है कि इससे समाज में बेटियों को लेकर सकारात्मक सोच बढ़ेगी।
साइकिल से 65 किलोमीटर का सफर
अशोकनगर कलेक्टर रहते हुए आदित्य सिंह एक बार फिर चर्चा में आए जब उन्होंने मात्र तीन घंटे में 65 किलोमीटर साइकिल चलाकर चंदेरी पहुंचकर अधिकारियों को चौंका दिया। वे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्यक्रम स्थल का जायजा लेने पहुंचे थे। उनका यह कदम लोगों को संदेश देता है कि वे फिटनेस के साथ-साथ जिम्मेदारी निभाने में भी अग्रणी हैं।
डिजिटल पहल
चंदेरी अपने ऐतिहासिक महत्व और बुनकरों की कला के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन यहां के कारीगर बिचौलियों के शोषण का शिकार होते रहे हैं। आदित्य सिंह ने इस स्थिति को बदलने के लिए ओएनडीसी (ONDC) फ्रेमवर्क के तहत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की शुरुआत की। इस पहल से बुनकर और व्यापारी सीधे खरीदारों तक पहुंच सकते हैं। इससे उन्हें उचित मूल्य मिलेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बाजार तक पहुंच आसान होगी।
स्मार्ट सिटी घोटाला को लेकर विवादों में रहे
आदित्य सिंह का करियर विवादों से अछूता नहीं रहा। भोपाल में स्मार्ट सिटी घोटाले (Smart City Scam) के उजागर होने के बाद सरकार ने उन्हें सीईओ पद से हटा दिया और मंत्रालय में अटैच कर दिया। खबरों के अनुसार, ईओडब्ल्यू (EOW) की प्राथमिक जांच में पाया गया कि स्मार्ट सिटी एरिया की 100 एकड़ जमीन की नीलामी में गड़बड़ी हुई। केवल दो टेंडर आने पर भी प्लॉट बेच दिए गए, जबकि नियम के अनुसार कम से कम तीन आवश्यक थे। इससे शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ।
करियर एक नजर में
नाम: आदित्य सिंह
जन्म: 3-8-1990
बैच: 2014
जन्म स्थान: रीवा, मध्यप्रदेश
वर्तमान पद: कलेक्टर, अशोकनगर
पदस्थापना
आदित्य सिंह वर्तमान में अशोकनगर के कलेक्टर हैं। इसके पहले वो हरदा कलेक्टर थे। पूर्व में वो जतारा और निवाड़ी में एसडीएम, मंदसौर और होशंगाबाद में जिला सीईओ, गुना में अपर कलेक्टर, भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन में सीईओ रह चुके हैं।
देखें आदित्य सिंह का सर्विस प्रोफाइल: Updated August 21
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आईएएस आदित्य सिंह का सफर इस बात की मिसाल है कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति, सकारात्मक सोच और समाज सेवा का जज़्बा हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
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