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हर साल कई युवा यूपीएससी पास कर आईएएस बनने का सपना देखते हैं। वे इसके लिए दिल्ली जाकर कोचिंग तक करते हैं। फिर भी बहुत कम लोग सफलता पा पाते हैं। ऐसे ही एक उदाहरण हैं आईएएस स्वाति मीना। उन्होंने 22 साल की उम्र में सफलता पाई। यह उनका पहला प्रयास था। उन्होंने बिना कोचिंग सेल्फ-स्टडी से परीक्षा पास की। वे 2007 बैच की अधिकारी हैं। वह उस साल सबसे कम उम्र में चयनित हुईं।
पारिवारिक प्रष्ठभूमि
राजस्थान के सीकर की रहने वाली स्वाति मीना नायक ने अपनी स्कूली पढ़ाई अजमेर से पूरी की थी। बाद में उन्होंने अजमेर के सोफिया गर्ल्स कॉलेज से स्नातक किया। उनके पिता राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के अधिकारी हैं। उनकी मां व्यवसायी हैं और एक पेट्रोल पंप चलाती हैं। उनके पति तेजस्वी नायक, मध्य प्रदेश कैडर के 2009 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
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आठवीं में तय कर लिया था IAS बनना है
स्वाति की मां चाहती थीं कि वे डॉक्टर बनें। लेकिन, जब वो आठवीं में थीं तो अपनी मौसी से प्रेरित होकर उन्होंने तय किया कि वो IAS बनेंगी। उनकी मौसी ने उस समय यूपीएससी क्लियर की थी। तैयारी के दौरान उनके पिता ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। कड़ी मेहनत के दम पर स्वाति ने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली। स्वाति कहती हैं कि एक बार मेरे पापा ने कहा कि जो लोग गारंटी देखते हैं, वे सक्सेस हासिल नहीं कर पाते। इसलिए मैंने मेडिकल या इंजीनियरिंग की जगह कला संकाय से इतिहास, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान विषयों से ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन के बाद घर पर ही एक साल पूरी शिद्दत से तैयारी की। फिर पहले प्रयास में ही यूपीएससी परीक्षा में 260 रैंक हासिल की।
फोकस्ड होकर पढ़ना जरूरी
स्वाति कहती हैं कि मैंने कभी कोचिंग नहीं की। शुरू से ही फोकस्ड होकर सिर्फ यूपीएससी की ही तैयारी करती रही। इस परीक्षा में सिर्फ किताबी पढ़ाई ही सब कुछ नहीं है। आपको मानसिक रूप से भी खुद को एक ऑफिसर के रूप में तैयार करना होता है। मैंने तैयारी के एक साल में एक-एक सेकंड का सही उपयोग किया।
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कर्म पर ध्यान दें
यूपीएससी के प्रत्याशियों के लिए स्वाति मीना का संदेश है कि आप सिर्फ ईमानदारी से अपने गोल को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करते रहें। कर्म करें, फल की चिंता नहीं करें, वो भगवान पर छोड़ दें। अगर ईमानदारी से अपना शत-प्रतिशत देंगे तो सफल जरूर होंगे।
पुराने प्रश्नों को जरूर हल करें
परीक्षा में प्रश्नों का पैटर्न लगभग एक ही तरह का होता है। इसलिए पुराने सालों के प्रश्नपत्रों को हल करने का प्रयास करें। जानकारी तो सभी को होती है, लेकिन उसको सही तरीक़े से प्रस्तुत करना ही आपको दूसरों से आगे ले जाता है।
सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है
स्वाति कहती हैं यूपीएससी की परीक्षा में आपकी ओवरऑल पर्सनालिटी देखी जाती है। परीक्षा पास करने का कोई तय फार्मूला नहीं है। दूसरों को फॉलो करने की जगह अपनी स्वयं की पर्सनालिटी के हिसाब से रणनीति बनायें। अपनी स्ट्रेंथ और वीकनेस जानने की कोशिश करें। याद रखें सफलता का कोई शोर्ट कट नहीं है। यह अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है।
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काम को लेकर बहुत सख्त हैं स्वाति
मध्यप्रदेश कैडर जॉइन करने के बाद स्वाति ने ट्रेनिंग के दौरान ही बता दिया था कि वह आम अफसरों जैसी नहीं हैं। ट्रेनिंग के वक्त से ही स्वाति ने अपने काम से माफिया के होश ठिकाने लगाना शुरू कर दिए थे। खनन के लिए बदनाम नर्मदा नदी से लगे इलाके के खनन माफिया की खनन में लगी सैकड़ों अवैध ट्रॉलियां छापेमारी के बाद जब्त कर ली थीं। उन पर जुर्माना लगा दिया था। स्वाति कानून को लेकर इतनी सख्त हैं कि यदि कोई असरदार नेता भी खनन माफिया की पैरवी करता तो वे उसे अनसुना कर देती थीं। वे उनके फोन भी नहीं उठाती थीं। स्वाति के बारे में तब ये भी मशहूर था कि जब वे छापामारी कर रही होती हैं, तब फोन बंद रखती हैं, ताकि कोई नेता उनके काम में खलल न डाल सकें। स्वाति की कई बार नेता सीएम से शिकायत कर चुके हैं कि वो उनकी बात नहीं सुनती हैं। इस पर स्वाति का तर्क होता है कि वो सरकारी नौकर हैं और जो सरकार के नियमों के खिलाफ काम करने वालों की सिफारिश करेगा वो उन्हें एंटरटेन नहीं करेंगी।
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शस्त्र पूजा के समय ख़ुद की थी फायरिंग
2016 में अपनी पोस्टिंग के समय स्वाति ने खंडवा में दशहरे पर शस्त्र पूजन के समय खुद फायरिंग की थी। आमतौर पर आईपीएस अफसर फायरिंग करते हैं, लेकिन स्वाति ने जिले की मुखिया होने के नाते इस अघोषित परंपरा को तोड़ दिया था। स्वाति ने दो अलग-अलग गन से फायरिंग की थी, इसमें एक A47 जैसी गन भी थी। इसका खूब वीडियो वायरल हुआ था। कई लोगों ने इसकी आलोचना भी की थी।
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करियर एक नजर
नाम: स्वाति मीना
जन्म: 9-12-1984
जन्मस्थान: सीकर, राजस्थान
एजुकेशन: बीए
बैच: 2007
कैडर: मध्य प्रदेश
पदस्थापना
स्वाति मीना पेयजल और स्वच्छता विभाग की संयुक्त सचिव हैं। इसके पहले वो महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक रह चुकी हैं। स्वाति सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्य शिक्षा केंद्र में अपर मिशन संचालक के पद पर भोपाल में भी कार्यरत थीं। वो मंडल और सीधी में कलेक्टर भी रह चुकी हैं। इसके अलावा SDO महू, एडिशनल कलेक्टर छिंदवाड़ा, असिस्टेंट कलेक्टर ग्वालियर के रूप में भी काम कर चुकी हैं।
राजस्थान की दबंग बेटी के रूप में जानी जाने वाली स्वाति मीना की कहानी साबित करती है कि लक्ष्य साफ़ हो, मेहनत सच्ची हो और नीयत दृढ़ हो, तो सफलता निश्चित है। वे हर उस युवा के लिए प्रेरणा हैं जो बिना सहारे, सिर्फ अपने दम पर बड़ी मंज़िलें पाना चाहता है।
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देखें स्वाति मीना का सर्विस रिकॉर्ड: Updated November 19
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