/sootr/media/media_files/2025/09/08/ias-swapnil-w-2025-09-08-14-33-17.jpg)
सिविल सेवा पास कर प्रशासनिक अधिकारी बनना लाखों युवाओं का सपना होता है। आईएएस और आईपीएस बनने का जुनून इतना गहरा होता है कि कई लोग अपन अच्छी नौकरी छोड़कर भी इस कठिन परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं। लेकिन बहुत कम लोग ही मंजिल तक पहुंच पाते हैं। इन्हीं में से एक हैं आईएएस स्वप्निल वानखेड़े, जिन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू की और असफलताओं का सामना करते हुए भी हार नहीं मानी। आज वे अपनी तेजतर्रार कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
स्वप्निल वानखेड़े का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले में एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता सरकारी हाईस्कूल में शिक्षक थे और मां सरकारी अस्पताल में नर्स थीं। बचपन से ही माता-पिता ने उन्हें सादगी, अनुशासन और बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी। स्वप्निल ने पांचवीं तक पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से की और आगे की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय, अमरावती से हासिल की। इसके बाद उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
ये भी पढ़ें:
IIT में असफल हुए, UPSC में चमके: जानें देवास कलेक्टर आईएएस ऋतुराज सिंह की सफलता का सफर
नौकरी छोड़कर यूपीएससी की राह चुनी
इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद स्वप्निल ने लगभग तीन साल तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया। नौकरी अच्छी थी, लेकिन उन्हें उसमें संतुष्टि नहीं मिली। वे समाज के लिए कुछ बड़ा और सार्थक करना चाहते थे। पिता की प्रेरणा और खुद की महत्वाकांक्षा ने उन्हें सिविल सेवा परीक्षा की ओर मोड़ा। यही वह निर्णायक क्षण था, जब उन्होंने सुरक्षित करियर छोड़कर कठिन संघर्ष की राह चुन ली।
पहले IRS फिर IAS
स्वप्निल के लिए यूपीएससी की राह इतनी आसान नहीं थे। पहले प्रयास में वे असफल रहे। दूसरे प्रयास में सेलेक्शन असिस्टेंट कमांडेंट पद पर हो गया तीसरे प्रयास में उनका चयन इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) में असिस्टेंट कमिश्नर, इनकम टैक्स के रूप में हुआ। लेकिन उनका लक्ष्य आईएएस था। उन्होंने हार नहीं मानी और चौथे प्रयास में साल 2015 की परीक्षा में 132वीं रैंक हासिल कर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में जगह बनाई। वे कहते हैं कि "असफलता कभी अंतिम नहीं होती, जब तक आप हार नहीं मानते"। यही सोच उन्हें आगे बढ़ाती रही।
ये भी पढ़ें:
सेल्फ स्टडी से मिली सफलता
स्वप्निल वानखेड़े ने बताया कि तैयारी का पहला साल उनके लिए सबसे कठिन रहा। उन्हें भावनात्मक दबाव झेलना पड़ा। लेकिन पिता हमेशा उन्हें समझाते रहे कि "लोग क्या कहेंगे, इसकी चिंता मत करो, बस सही काम करो"। उन्होंने लगभग पूरी तैयारी सेल्फ-स्टडी से की। केवल टेस्ट सीरीज देने के लिए दिल्ली जाते थे। उनका मानना है जरूरी नहीं है कि कोचिंग से ही सफलता मिले बस फोकस रहकर तैयारी करें। धैर्य और आत्मविश्वास रखें तो सफलता मिलना तय है। स्वप्निल प्रत्याशियों के लिए ये टिप्स देते हैं-
- रिवीजन के लिए शॉर्ट नोट्स बनाना।
- ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस टेस्ट दें।
- समय तय करके प्रश्नों के उत्तर लिखने की प्रैक्टिस करें।
- कठिन विषयों को दूसरों को समझाने की कोशिश करना।
- हर 45 मिनट पढ़ाई के बाद ब्रेक लेना।
- लगातार कोशिश करना और डिस्ट्रैक्शन से बचना।
- खुद को मोटिवेट रखने के लिए सकारात्मक सोच अपनाना।
कबाड़ हो चुकी बसों को बदला चेंजिंग रूम में
जबलपुर नगर निगम में आयुक्त रहते हुए IAS स्वप्निल वानखेड़े ने कबाड़ हो चुकी बसों को चेंजिंग रूम में बदलकर सराहनीय पहल की थी, जिसकी व्यापक प्रशंसा हुई थी।इन बसों का उपयोग नर्मदा तट पर स्नान के बाद महिलायें चेजिंग रूम के रूप में कर रही हैं। इंग्लैंड की राजधानी लंदन में आयोजित 9 चुनिंदा देशों के मनपा आयुक्तों की कार्यशाला में उनके द्वारा जबलपुर में कबाड़ बसों को उपयोग में लाकर किए गए अभिनव प्रयोग की जमकर प्रशंसा हुई थी। इस अनोखी पहल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया और इसे सार्वजनिक सेवाओं में एक अभिनव प्रयास के रूप में मान्यता मिली।
करियर एक नजर
नाम: स्वप्निल वानखेड़े
जन्म: 14-10-1984
जन्मस्थान: अमरावती, महाराष्ट्र
एजुकेशन: बीई
बैच: 2016
केडर: मध्यप्रदेश
पदस्थापना
IAS स्वप्निल वानखेड़े वर्तमान में दतिया (Datia) के कलेक्टर हैं। आईएएस बनने के बाद स्वप्निल ने अपनी सेवा की शुरुआत सहायक कलेक्टर और एसडीएम के रूप में की। बाद में वे सतना जिले में अपर कलेक्टर रहे, जहां उनकी सक्रियता और योजनाओं पर गहरी पकड़ की काफी सराहना हुई। वो जबलपुर नगर निगम के आयुक्त के पद पर भी रह चुके हैं। वो असिस्टेंट कलेक्टर होशंगाबाद भी रह चुके हैं।
Social accounts: IAS Swapnil Wankhede
linkedin.com/in/swapnil-wankhade |
instagram.com/swapnilwankhade.ias |
facebook.com/swapnilwankhade.ias |
IAS Swapnil Wankhede का सर्विस प्रोफाइल: Updated: September 8
स्वप्निल की कहानी यह सिखाती है कि सपने चाहे जितने बड़े क्यों न हों, निरंतर मेहनत और धैर्य से उन्हें हासिल किया जा सकता है। उन्होंने साबित किया कि असफलता केवल सफलता की सीढ़ी है। आज वे युवाओं को यही संदेश देते हैं- एक बार फैसला कर लिया तो पीछे मत हटो। हार को सीख मानो और आगे बढ़ते रहो।
FAQ
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक