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अमेरिका में काम कर रहे भारतीयों को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने प्रमुख अमेरिकी टेक कंपनियों जैसे गूगल, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट से कहा कि वे भारत में अपनी फैक्ट्रियां लगाना और वहां के वर्कर्स को हायर करना बंद करें। ट्रंप का यह बयान भारतीय टैलेंट के खिलाफ एक बड़ा कदम माना जा रहा है। आखिर भारतीयों से क्यों नाराज हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प? भारतीयों को वीजा, नौकरी और दूसरे अवसर देने के लिए क्यों मना कर रहे हैं? आज हम thesootr Prime में इस पर बात करेंगे…
दरअसल चिढ़ इंडियन इज द बेस्ट से है…
डोनाल्ड ट्रम्प की चिढ़ का असली कारण है- बुरी से बुरी परिस्थिति में भी भारतीयों द्वारा बेहतर काम करके दिखा देने की प्रतिभा… कोई 52 लाख से ज्यादी भारतीय इस समय अमेरिका में रहते हैं। ये भारतीय हर फील्ड में दूसरों से बेहतर कर रहे हैं। वे दूसरे समुदायों से ज्यादा पढ़े- लिखे हैं। दूसरों से ज्यादा अच्छी अंग्रेजी बोल सकते हैं। और हां! अपनी मेहनत और प्रतिभा की बदौलत दूसरे किसी भी एशियाई समुदाय से ज्यादा कमाते भी हैं। तो फिर कोई हमसे क्यों न चिढ़े? चलिए देखते हैं, अमेरिका में भारतीय कैसे धमाल मचा रहे हैं…
भारतीय मूल के प्रमुख सीईओ
आज अमेरिका की कई बड़ी कंपनियों के प्रमुख भारतीय मूल के लोग हैं। इनमें अल्फाबेट (गूगल) के सीईओ सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नाडेला, फेडएक्स के राज सुब्रमण्यम, और टेस्ला के सीएफओ वैभव तनेजा जैसे नाम शामिल हैं। इन कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण करीब ₹552 लाख करोड़ है। इसके अलावा, अमेरिकी और वैश्विक बाजारों में सूचीबद्ध टॉप 300 फर्म्स में 61% कंपनियां भारतीय मूल के सीईओ या बोर्ड मेंबर्स द्वारा संचालित हो रही हैं, जिनमें से 23% कंपनियों की कमान भारतीय मूल की महिलाओं के हाथों में है।
भारतीय नेतृत्व क्षमता
ग्लोबल एडवाइजरी फर्म जीएचस्मार्ट द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, भारतीय मूल के अधिकारियों की क्षमता बाकी से पांच गुना ज्यादा मानी जाती है। इस अध्ययन से यह पता चलता है कि भारतीय नेताओं में जोखिम लेने की क्षमता पांच गुना अधिक है और वे चुनौतियों का सामना करने में भी छह गुना अधिक सक्षम होते हैं। साथ ही, वे जटिल परिस्थितियों में भी परिवर्तन लाने के लिए बेहतरीन नेतृत्व क्षमता रखते हैं।
अमेरिका में कितने भारतीय रहते हैं?
- जनसंख्या: 2023 में अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की अनुमानित संख्या 52 लाख थी। अमेरिका की यह विदेश में स्थित भारतीयों की सबसे बड़ी आबादी में से एक है।
- नागरिकता: लगभग 26 लाख भारतीय मूल के लोग अमेरिकी नागरिक हैं। जिनमें से 12 लाख भारत में जन्मे और फिर अमेरिका की नागरिकता ली। जबकि 14 लाख भारतीय मूल के लोग अमेरिका के प्राकृतिक नागरिक (naturalized citizens) हैं। यानि ये लोग अमेरिका में ही जन्मे हैं।
- अधिकृत (लीगल) बनाम अवैध भारतीय: अधिकतर भारतीय वैध प्रवासी हैं, लेकिन अनुमान है कि 2.2 से 7 लाख के बीच अनधिकृत भारतीय प्रवासी (अवैध प्रवासी) 2022 में अमेरिका में थे।
अमेरिका में भारतीयों के बारे में खास बातें
- भारतीय अमेरिकियों की संख्या एशियाई मूल के लोगों में दूसरी सबसे बड़ी है और यह कुल अमेरिकी एशियाई आबादी का लगभग 21% है।
- 2000 से 2023 के बीच भारतीय आबादी में लगभग 31 लाख की वृद्धि हुई, जो 174% की बढ़त दर्शाती है।
- 2023 में भारतीय आबादी का 66% प्रवासी हैं, जो 2000 में 73% था। प्रवासियों की कुल संख्या इस दौरान 13 लाख से बढ़कर 32 लाख हो गई है।
- 5 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 84% भारतीय अंग्रेजी बोलने में दक्ष हैं। इनमें से 28% केवल अंग्रेज़ी बोलते हैं, जबकि 56% अन्य भाषा बोलते हुए भी अंग्रेजी बहुत अच्छी तरह बोलते हैं। दूसरे शब्दों में बात करें तो अमेरिका में रहने वाले सभी एशियाई लोगों में से 78 फीसदी भारतीय अच्छी अंग्रेजी बोल सकते हैं।
- अमेरिकी भारतीयों के बीच हिंदी (18%), तेलुगु (11%), गुजराती (10%) और तमिल (7%) घर में बोली जाने वाली अन्य प्रमुख भाषाएं हैं।
कैलिफोर्निया में रहते हैं सबसे ज्यादा भारतीय
- अमेरिका में कुल भारतीय आबादी में से लगभग 9,60,000 (20%) लोग कैलिफोर्निया में रहते हैं।
- अन्य बड़े भारतीय समुदाय वाले राज्य हैं: टेक्सास (5,70,000), न्यू जर्सी (4,40,000), न्यूयॉर्क (3,90,000) और इलिनॉय (2,70,000)।
- सबसे बड़े शहरी क्षेत्र जिनमें भारतीय आबादी अधिक है: न्यूयॉर्क (7,10,000), डलास (2,70,000), सैन फ्रांसिस्को (2,60,000)।
यंग हैं अमेरिकन- भारतीय
- अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की औसत आयु 34.2 वर्ष है, जो पूरे एशियाई समुदाय की 34.7 के समान है।
- प्रवासी भारतीयों की औसत आयु 40.9 वर्ष है। इनमें से 7% 18 वर्ष से कम हैं और 13% 65 वर्ष से ऊपर।
- अमेरिकी जन्मे भारतीयों की औसत आयु 13.4 वर्ष है, जिनमें 60% 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं।
पढ़ाई में भी सबसे अव्वल
- 25 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 77% भारतीय अमेरिकी में से 31% के पास स्नातक डिग्री और 45% के पास इससे बड़ी डिग्री है।
- पूरे एशियाई अमेरिकी समूह में यह संख्या 56% है। यानि सबसे ज्यादा…
- प्रवासी और अमेरिका में ही जन्मे दोनों भारतीयों में स्नातक या उससे ऊपर की शिक्षा लगभग समान (77% और 76%) है।
अब भारतीय हैं तो शादी तो करेंगे ही
- भारतीय वयस्कों में 70% विवाहित हैं, जबकि पूरे एशियाई अमेरिकी समूह में यह 58% है।
- 18 वर्ष और उससे बड़ी उम्र के बीच, 77% प्रवासी भारतीय विवाहित हैं ।
बच्चे तो भगवान की देन हैं
प्रवासी भारतीय महिलाओं की जन्म दर (7%) अमेरिकी जन्मे भारतीय महिलाओं (3%) से अधिक है। अब बात अमेरिकंस की करें तो अमेरिका में 2025 के लिए फर्टिलिटी रेट (प्रजनन दर) लगभग 1.79 बच्चे प्रति महिला है। यह 2024 के मुकाबले 0.06% की मामूली वृद्धि दर्शाती है। 2024 में यह दर भी लगभग 1.79 थी, जबकि 2023 में यह 1.62 थी। यह अमेरिका में जन्म दर के पिछले कुछ वर्षों के स्थिर स्तर को दर्शाता है, हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि यह रेट अब भी नई पीढ़ी को बनाए रखने के लिए आवश्यक 2.1 से कम है, जो कि जनसंख्या वृद्धि को कम कर सकता है। यानि हम भारतीय ही हैं, जो अमेरिका में भी एक नया भारत पैदा कर रहे हैं।
सारा मामला कमाई- धमाई का…
परिवार की वार्षिक औसत आय
- 2023 में प्रतिष्ठित भारतीय परिवार की वार्षिक औसत आय लगभग एक करोड़ 30 लाख 80 हजार 795 रुपए थी, जो पूरे एशियाई-अग्रणी परिवारों की 91 लाख 35 हजार 793 रुपए की आय से अधिक है। यानि भारतीय सबसे ज्यादा कमाते हैं।
- प्रवासी भारतीय परिवारों की औसत आय एक करोड़ 34 लाख 96 हजार 59 रुपए और अमेरिका में जन्मे भारतीय परिवारों की औसत आय एक करोड़ 3 लाख 98 हजार 886 रुपए थी।
व्यक्तिगत वार्षिक आय
- 16 वर्ष और उससे ऊपर के भारतीय अमेरिकी व्यक्तियों की वार्षिक औसत आय 73 लाख 79 हजार 575 रुपए थी, जो पूरे एशियाई समूह के 45 लाख 33 हजार 291रुपए से अधिक है।
- पूरे वर्ष काम करने वालों में भारतीयों की आय 79 करोड़ 63 लाख 54 हजार 393 रुपए थी, जबकि पूरे एशियाई समूह की 56 करोड़ 13 लाख 40 हजार 33 रुपए थी।
गरीबी
- 6% भारतीय अमेरिकी गरीबी में जीवन यापन करते हैं, जो पूरे एशियाई समूह के 10% से कम है।
- प्रवासी और अमेरिकी जन्मे दोनों भारतीयों में गरीबी का अनुपात समान (6%) है।
घर का स्वामित्व
- भारतीय-अग्रणी परिवारों में 62% घर का मालिक हैं, जो पूरे एशियाई-अग्रणी परिवारों के समान है।
- प्रवासी भारतीय परिवारों में घर का स्वामित्व 63% है, जबकि अमेरिकी जन्मे भारतीय परिवारों में 54%।
धार्मिक पहचान
- अकेले भारतीय वयस्कों में 48% हिंदू हैं, जबकि पूरे एशियाई समूह का 11% हिंदू है।
- 15% भारतीय अमेरिकी ईसाई हैं और 15% बिना धार्मिक पहचान वाले या नास्तिक हैं।
( Source: अमेरिका की 2021-23 का अमेरिकी कम्युनिटी सर्वे (ACS) और Pew Research Center व विभिन्न डेटा स्रोतों के अनुसार )
भारत से क्यों नाराज हैं डोनाल्ड ट्रंप
चीन और रूस के खिलाफ अमेरिका का साथ नहीं देना
- भारत का रूस और चीन के खिलाफ अमेरिका के समर्थन से कतराना डोनाल्ड ट्रंप को खलता है। अमेरिका चाहता था कि भारत, रूस और चीन के खिलाफ एक स्पष्ट और मजबूत रुख अपनाए। लेकिन भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थता दिखाई। रूस से सस्ते तेल का आयात किया और रूस के साथ रक्षा समझौतों (जैसे S-400 मिसाइल सिस्टम) पर हस्ताक्षर किए। इसी तरह, भारत ने चीन के साथ भी व्यावसायिक रिश्ते बनाए रखे। ट्रंप के लिए यह स्थिति अमेरिकी वैश्विक प्रभाव को सीमित करने जैसी है, और इसलिए वे इससे नाराज हैं।
भारत-पाक युद्धविराम में ट्रंप की मध्यस्थता काे अस्वीकार करना
- मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष समाप्त करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की, तो भारत ने इसे सख्त नकारते हुए द्विपक्षीय मुद्दा बताया। ट्रंप को यह स्वीकार नहीं हुआ क्योंकि वे खुद को वैश्विक नेतृत्वकर्ता मानते हैं। जब केंद्र सरकार ने उनकी भूमिका को नकारा, तो वे आहत और नाराज हो गए। यह उनके व्यक्तित्व का हिस्सा भी है, जो उन्हें मोदी सरकार की दृढ़ नीतियों से भी खटकता है। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप 25 बार दावा कर चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर उनकी वजह से हुआ है।
व्यापार असंतुलन और टैरिफ विवाद
- ट्रंप लंबे समय से भारत के साथ व्यापार असंतुलन और टैरिफ नीतियों को लेकर नाराज हैं। भारत, अमेरिका से अधिक वस्तुएं आयात करता है, जबकि भारतीय बाजार में अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए गए हैं। जैसे, हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल और अन्य उत्पादों पर भारत का 50% तक का शुल्क है। बदले में ट्रंप ने भारत पर 10% अतिरिक्त टैरिफ भी लगाया, और भारत के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को एक चुनौती के रूप में देखा। उन्होंने Apple के CEO टिम कुक को भारत में फैक्ट्रियां लगाने से भी रोका, जिससे आर्थिक विवाद और गहरे हो गए।
पाकिस्तान के प्रति नरम रुख
- ट्रंप ने पाकिस्तान को कई आर्थिक पैकेज दिलाने में मदद की, जैसे IMF से निवेश, जबकि भारत इसे आतंकवाद के समर्थन के रूप में देखता है। भारत की आलोचना के बावजूद, ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति नरम रुख भी उनके भारत से नाराजगी का एक कारण बना है।
भारत की स्वतंत्र विदेश नीति
- भारत ने BRICS, SCO जैसे मंचों में सक्रिय भूमिका निभाई और अमेरिका के अलावा चीन, रूस जैसे देशों के साथ भी मजबूत रिश्ते बनाए। यह अमेरिका, खासकर ट्रंप के "अमेरिका फर्स्ट" दृष्टिकोण से टकराता है, क्योंकि वे चाहते थे कि भारत पूरी तरह से अमेरिका के पक्ष में खड़ा हो।
ये सभी कारण हैं जिनकी वजह से डोनाल्ड ट्रंप की भारत के प्रति नाराजगी बढ़ी है। खासकर 2025 के बाद, जब ट्रंप के पहले कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते काफी अच्छे थे, यह नाराजगी और भी ज्यादा बढ़ी। उनका व्यक्तित्व और "सुपरपावर डील मेकर" के रूप में देखा जाने वाला दृष्टिकोण, भारत के प्रति उनके कठोर रुख का कारण बना।
इन अमेरिकी कंपनियों में भारतीयों का दबदबा
- भारतीय पेशेवर अमेरिकी कंपनियों में बड़े पैमाने पर कार्यरत हैं। विशेष रूप से तकनीकी, बैंकिंग और सेवा क्षेत्रों में। यहां प्रमुख कंपनियों की सूची है जिनमें बड़ी संख्या में भारतीय काम कर रहे हैं।
- दरअसल कई अमेरिकी कंपनियों द्वारा हर साल 70% से ज़्यादा H1B वीजा भारतीयों को दिए जाते हैं, जिससे उनकी बड़ी उपस्थिति दिखती है।
- लगभग एक तिहाई Fortune 500 कंपनियों ने भारत में भी ऑफिस खोले हैं, जिससे हज़ारों भारतीय पेशेवर सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से इन कंपनियों से जुड़े हैं।
- गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, ऐप्पल, अमेज़न, बैंक ऑफ अमेरिका, फेसबुक (मेटा), और अन्य शीर्ष अमेरिकी कंपनियों में बड़ी संख्या में भारतीय पेशेवर कार्यरत हैं।
अमेरिकी कंपनी |
क्षेत्र |
भारतीयों की प्रमुख भूमिका |
|
टेक्नोलॉजी |
सॉफ्टवेयर इंजीनियर, विश्लेषक |
Microsoft |
टेक्नोलॉजी |
प्रोग्राम मैनेजर, डेवलपर |
Apple |
टेक्नोलॉजी |
इंजीनियरिंग, सॉफ्टवेयर |
Amazon |
ई-कॉमर्स/टेक |
आइटी, सप्लाई चेन, एनालिटिक्स |
IBM |
आईटी/कंसल्टिंग |
कंसल्टिंग, डेटा साइंस |
Facebook (Meta) |
सोशल मीडिया/टेक |
इंजीनियर, डेटा एनालिस्ट |
Cisco |
नेटवर्किंग |
हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर इंजीनियर |
Bank of America |
बैंकिंग |
टेक, फाइनेंस, एनालिटिक्स |
अमेरिकन एक्सप्रेस |
फाइनेंस/आईटी |
सॉफ्टवेयर, डेटा साइंटिस्ट |
Tata Consultancy Services (TCS), Infosys, Wipro, Tech Mahindra |
आईटी सर्विसेस |
टेक्नोलॉजी व कंसल्टिंग |
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