पापा सही कहते हैं- भारत बुला रहा है एलन मस्क, आओ और जान लो अंदर के Space-X को

टेस्ला और एक्स के प्रमुख एलन मस्क (Elon Musk) को भी आराम और अपने अंदर की ऊर्जा को सही दिशा देने की जरूरत है। यह सलाह उनके पिता एरॉल मस्क (Errol Musk) ने हाल ही में मीडिया से बातचीत के दौरान दी।

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एलन मस्क के पिता एरॉल मस्क (Errol Musk) ने एक बार फिर दुनिया में भारत के उस महत्व की ओर इशारा किया है, जिसे अध्यात्म (Spirituality) कहते हैं। अंदर की दौलत की इस खोज में सदियों से लोग भारत आते रहे हैं। यहां सालों ठहरे हैं। भारत में रमे हैं। अध्यात्म की खोज में दुनिया के लिए पूरा भारत ही एक तीर्थ (Pilgrimage) है… एरॉल मस्क ने अपने सफल बेटे से जो कहा, वह अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है। आइए समझते हैं, सदियों से पश्चिम को बुलाता है- भारत…

खुद बड़े व्यापारी हैं एरॉल मस्क

एरॉल मस्क खुद एक दक्षिण अफ्रीकी बिजनेसमैन हैं और न्यूरोटेक्नोलॉजी (Neurotechnology) कंपनी न्यूरालिंक (Neuralink) के संस्थापक भी हैं। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को अपनी ऊर्जावान प्रकृति के बावजूद आराम करना चाहिए। "वह 53 वर्ष के हैं, लेकिन उनके व्यवहार से लगता है जैसे वह अभी भी तीसवीं उम्र के पड़ाव में हैं।" वे अपने बेटे को बार-बार यही सलाह देते हैं कि "अगर संभव हो तो लगातार काम करो, लेकिन जब थकान महसूस हो तो आराम भी करो।" दिलचस्प बात यह है कि एरॉल ने एलन (Elon) को भारत आने की भी सलाह दी है।

एक बार टल चुका है एलन मस्क (Elon Musk) का दौरा

अप्रैल 2025 में एलन का भारत दौरा (India Visit) प्रस्तावित था, लेकिन टेस्ला की व्यस्तताओं और अन्य मुद्दों के कारण यह स्थगित हो गया। एरॉल ने कहा कि भारत आने से एलन को काफी लाभ होगा और भारत में उनका दौरा एक बड़ी गलती न होगी अगर वे इसे टालते रहे। भारत में टेस्ला के संभावित निवेश और स्टारलिंक (Starlink) जैसी सेवाओं के लॉन्च की उम्मीदें बनी हुई हैं, जो भारत के तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उनकी भारत यात्रा का इंतजार है, जो संभवत: तकनीकी सहयोग और नवाचार के नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है।

सदियों पुराना है भारत के अध्यात्म से जुड़ाव

भारत की संस्कृति, दर्शन और अध्यात्मिकता में जीवन के संतुलन और आत्मा की खोज पर विशेष जोर है। इसी संदर्भ में, एरॉल मस्क की सलाह- "थोड़ा आराम लो, अपने लिए समय निकालो" भारतीय जीवन दर्शन के अनुरूप है, जहां 'ध्यान (Meditation)', 'योग (Yoga)' और 'संतुलित जीवन (Balanced Life)' को सफलता का मूल माना जाता है। वैसे भी खुद को खोजने वालों के लिए भारत एक तीर्थ की तरह रहा है… चलिए मस्क के बहाने एक बार फिर खंगालते हैं, इतिहास के कुछ पन्ने…

Megasthenes

भारत आने वाले सबसे पहले महान यात्री मेगस्थनीज (Megasthenes) की कहानी

बहुत समय पहले, लगभग 302-298 ईसा पूर्व की बात है। यूनान (Greece) में एक विद्वान और साहसी व्यक्ति था, जिसका नाम था मेगस्थनीज। वह केवल एक यात्री नहीं था, बल्कि एक राजदूत (Envoy) भी था। उस समय यूनान के शक्तिशाली शासक सेल्युकस निकेटर (Seleucus Nicator) ने मेगस्थनीज को भारत भेजा था।

मेगस्थनीज का भारत आगमन महत्त्वपूर्ण था। क्योंकि उस समय भारत के राजा चंद्रगुप्त मौर्य (Chandragupta Maurya) के शासन में एक सशक्त और सुव्यवस्थित साम्राज्य था। जब मेगस्थनीज भारत पहुंचा, तो उसने न केवल राज दरबार का दौरा किया, बल्कि भारत के समाज, राजनीति, प्रशासन, कृषि, नगर-व्यवस्था, धर्म और जीवनशैली के बारे में गहराई से अध्ययन किया।

मेगस्थनीज ने अपनी यात्राओं और भारत के अनुभवों को एक पुस्तक में लिखा, जिसका नाम था 'इंडिका (Indica)'। इस पुस्तक में उसने उस समय के मौर्यकालीन भारत का विस्तृत और सजीव चित्र प्रस्तुत किया। उसकी लेखनी से हमें उस युग की राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक व्यवस्था, धार्मिक विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि के बारे में बहुमूल्य जानकारियां मिलती हैं।

इतना ही नहीं, मेगस्थनीज को "भारतीय इतिहास का पिता (Father of Indian History)" भी कहा जाता है, क्योंकि उनके वृत्तांतों के कारण ही पश्चिमी दुनिया को पहली बार भारत के बारे में प्रामाणिक और विश्वसनीय जानकारी मिली।

मेगस्थनीज के बाद कई अन्य विदेशी यात्रियों ने भी भारत की यात्रा की, जैसे डिमाकस (Dimacus), फाह्यान (Faxian), ह्वेन त्सांग (Xuanzang), इत्सिंग (I-tsing), अल-बिरूनी (Al-Biruni), इब्न बतूता (Ibn Battuta), और मार्को पोलो (Marco Polo)। लेकिन सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप में मेगस्थनीज ही भारत आने वाले महान यात्रियों में शुमार हैं।

ये लोग भी आए थे भारत की खोज में

यात्री का नाम देश भारत यात्रा का काल उल्लेखनीय जानकारी
मेगस्थनीज यूनान (ग्रीस) 302-298 ई.पू. चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में राजदूत, 'इंडिका' पुस्तक
डिमाकस यूनान (ग्रीस) 320-273 ई.पू. बिन्दुसार के दरबार में राजदूत
टॉलेमी यूनान (ग्रीस) 130 ई. भूगोलवेत्ता, 'भारत का भूगोल' पुस्तक
फाह्यान (फैक्सियन) चीन 405-411 ई. बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन, गुप्त वंश काल
ह्वेन त्सांग चीन 630-645 ई. नालंदा विश्वविद्यालय, बौद्ध धर्म का अध्ययन
इत्सिंग (यीजिंग) चीन 671-695 ई. संस्कृत अध्ययन, बौद्ध ग्रंथों का अनुवाद
अल-बिरूनी फारस (ईरान) 11वीं सदी 'तहकीक-ए-हिंद' पुस्तक, भारत का विज्ञान व संस्कृति
इब्न बतूता मोरक्को 1333-1342 मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में, यात्रा-वृत्तांत
मार्को पोलो इटली 13वीं सदी दक्षिण भारत यात्रा, व्यापारिक विवरण
अब्दुर रज्जाक फारस (ईरान) 1440 के आसपास विजयनगर साम्राज्य का वर्णन
निकोलो कोंटी इटली 1395-1469 दक्षिण भारत यात्रा
अफानासी निकितिन रूस 15वीं सदी दक्षिण भारत यात्रा
डोमिंगो पेस पुर्तगाल 1520 विजयनगर साम्राज्य का विवरण
फरनाओ नूनिज पुर्तगाल 1535-1537 तुलुव वंश का विवरण
वास्को डी गामा पुर्तगाल 1497, 1502 समुद्री मार्ग से भारत आगमन

भारत के अध्यात्म से प्रेरित होकर दुनियाभर से आईं प्रसिद्ध हस्तियां

भारत की अध्यात्म िकता और दर्शन ने सदियों से दुनियाभर के लोगों को आकर्षित किया है। अनेक प्रसिद्ध विदेशी हस्तियां भारत आईं। यहां के संतों-गुरुओं से दीक्षा ली या मार्गदर्शन प्राप्त किया।

Steve Jobs

स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) और नीम करौली बाबा (Neem Karoli Baba)

स्टीव जॉब्स (Apple के सह-संस्थापक)
गुरु: नीम करौली बाबा

स्टीव जॉब्स, एप्पल के सह-संस्थापक, ने 1974 में 19 वर्ष की उम्र में अध्यात्मिक खोज के लिए भारत की यात्रा की। उनकी तलाश थी- “मैं कौन हूं?” उनके मित्र रॉबर्ट फ्रीडलैंड (Robert Friedland) ने उन्हें नीम करौली बाबा के बारे में बताया। जिनका आश्रम उत्तराखंड (Uttarakhand) के कैंची धाम (Kainchi Dham) में था। हालांकि बाबा का 1973 में निधन हो चुका था, लेकिन जॉब्स पर वहां की शांति, साधना और बाबा के उपदेशों से गहरा असर हुआ।

ध्यान-साधना (Meditative Practice) में बिताए सात महीने

भारत में बिताए लगभग सात महीनों के दौरान जॉब्स ने ध्यान, साधना और भारतीय संस्कृति को अपनाया, जिससे उनके जीवन में सादगी, स्पष्टता और उद्देश्य की भावना आई। यह अनुभव बाद में एप्पल के प्रोडक्ट की डिजाइन फिलॉसफी में साफ नजर आता है।

एक प्रसिद्ध कथा है कि नीम करौली बाबा को सेब पसंद था, जिसके कारण जॉब्स ने अपनी कंपनी का नाम “एप्पल (Apple)” रखा, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं है।
भारत से लौटने के बाद, जॉब्स का दृष्टिकोण पूरी तरह बदल चुका था और उन्होंने एप्पल की स्थापना कर तकनीकी क्षेत्र में क्रांति ला दी। नीम करौली बाबा की शिक्षाएं अन्य वैश्विक हस्तियों जैसे मार्क जकरबर्ग (Mark Zuckerberg) और जैक डोर्सी (Jack Dorsey) को भी प्रेरित कर चुकी हैं।

बीटल्स (The Beatles) और महर्षि महेश योगी (Maharishi Mahesh Yogi)

The Beatles

बीटल्स (John Lennon, Paul McCartney, George Harrison, Ringo Starr)
गुरु: महर्षि महेश योगी

1968 में बीटल्स भारत आए और ऋषिकेश (Rishikesh) में महर्षि महेश योगी के आश्रम में ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (Transcendental Meditation) सीखा। इस अनुभव ने न केवल उनकी संगीत यात्रा को बदला, बल्कि पश्चिम में ध्यान और योग की लोकप्रियता भी बढ़ाई।

जूलिया रॉबर्ट्स (Julia Roberts) और हिंदू धर्म (Hinduism)

Julia Roberts in india

जूलिया रॉबर्ट्स (हॉलीवुड अभिनेत्री)
गुरु: भारत के योग और अध्यात्म से प्रभावित

फिल्म 'Eat Pray Love' की शूटिंग के दौरान जूलिया रॉबर्ट्स भारत आईं और हिंदू धर्म को अपनाया। उन्होंने भारतीय गुरु-परंपरा और ध्यान-साधना को अपने जीवन का हिस्सा बनाया।

रिचर्ड गेरे (Richard Gere) और दलाई लामा (Dalai Lama)

Richard Gere and Dalai Lama

रिचर्ड गेरे (हॉलीवुड अभिनेता)
गुरु: दलाई लामा (भारत में निर्वासित तिब्बती बौद्ध गुरु)

रिचर्ड गेरे ने बौद्ध धर्म (Buddhism) अपनाया और दलाई लामा को अपना अध्यात्म कि गुरु माना। वे अक्सर भारत आते रहे हैं और बौद्ध ध्यान-साधना में भाग लेते हैं।

एलिजाबेथ गिल्बर्ट (Elizabeth Gilbert) और भारतीय गुरु

Elizabeth Gilbert

एलिजाबेथ गिल्बर्ट (लेखिका, Eat Pray Love)
गुरु: गुरुमाई चिद्विलासानंद (Gurumayi Chidvilasananda) (सिद्ध योग आश्रम, गणेशपुरी)

एलिजाबेथ गिल्बर्ट ने अपनी आत्मिक यात्रा के दौरान भारत में साधना की और गुरुमाई चिद्विलासानंद से मार्गदर्शन प्राप्त किया।

निष्कर्ष (Conclusion)

भारत के अध्यात्म, योग, और दर्शन ने दुनियाभर की हस्तियों को न केवल आकर्षित किया, बल्कि उनके जीवन और सोच को भी गहराई से प्रभावित किया है। इन हस्तियों ने विभिन्न भारतीय संतों, गुरुओं या परंपराओं से प्रेरणा ली और उसे अपने जीवन में उतारा। 

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