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Thesootr Prime: डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने हाल ही में यह बयान दिया है कि भारत में ब्राह्मण रूसी तेल खरीदकर भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफा कमा रहे हैं।
दरअसल, यह बयान उन्होंने फॉक्स न्यूज के एक इंटरव्यू और सोशल मीडिया पोस्ट्स में दिया, जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को "मोदी का युद्ध" तक कह डाला और भारत की नीतियों को वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बताया।
नवारो ने दावा किया कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे रिफाइन करता है और फिर यूरोप, अफ्रीका, और एशिया में ऊंची कीमत पर निर्यात करता है।
इस मुनाफे को उन्होंने विशेष रूप से "ब्राह्मण" समुदाय से जोड़ दिया। Thesootr Prime में हम इस बेतुके बयान की सच्चाई का विश्लेषण करेंगे और उपलब्ध डेटा के आधार पर समझेंगे कि हकीकत क्या है।
जाति के आधार पर नहीं बनती अमीरों की सूची
भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में ब्राह्मण समुदाय से संबंधित लोगों को अलग से चिह्नित करने के लिए कोई आधिकारिक या विश्वसनीय डेटा नहीं है।
फोर्ब्स या हुरुन जैसी संस्थाएं अमीरों की सूची तो जारी करती हैं, लेकिन जाति या समुदाय के आधार पर डेटा नहीं देतीं। फिर भी, कुछ आईटी और स्टार्टअप क्षेत्र से जुड़े नाम ऐसे हैं जिन्हें ब्राह्मण मूल से जोड़ा जाता है। तो चलिए 2025 की फोर्ब्स की सूची में शामिल हुए भारतीयों पर एक नजर डालते हैं-
रैंक | नाम | कुल संपत्ति (USD) | कुल संपत्ति (₹ रुपये में अनुमानित) | उम्र | मुख्य बिजनेस सेक्टर |
---|---|---|---|---|---|
1 | मुकेश अंबानी | $92.5 बिलियन | ₹8,166,000 करोड़ | 68 | तेल, गैस, रिटेल, टेलीकॉम |
2 | गौतम अडानी | $56.3 बिलियन | ₹4,970,000 करोड़ | 63 | इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा |
3 | शिव नाडार | $35.5 बिलियन | ₹3,132,000 करोड़ | 79 | सूचना प्रौद्योगिकी (IT) |
4 | सावित्री जिंदल एवं परिवार | $34.5 बिलियन | ₹3,043,500 करोड़ | 75 | स्टील, पावर |
5 | दिलीप शांगवी | $24.9 बिलियन | ₹2,197,000 करोड़ | 69 | Pharmaceuticals |
6 | साइरस पूनावाला | $23.1 बिलियन | ₹2,039,730 करोड़ | 84 | वैक्सीन निर्माण |
7 | कुमार मंगलम बिड़ला | $20.9 बिलियन | ₹1,845,470 करोड़ | 58 | समेकित उद्योग (Birla Group) |
8 | लक्ष्मी मित्तल | $19.2 बिलियन | ₹1,695,360 करोड़ | 75 | स्टील |
9 | राधाकिशन दमानी | $15.4 बिलियन | ₹1,359,620 करोड़ | 70 | रिटेल (DMart) |
10 | कुशल पाल सिंह | $14.5 बिलियन | ₹1,279,350 करोड़ | 93 | रियल एस्टेट (DLF |
यानी फोर्ब्स की सूची में से सिर्फ शिव नाडार ही एकमात्र ब्राह्मण हैं, लेकिन उनका व्यापार भी IT से जुड़ा हुआ है। अब एक नजर हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट 2025 (Hurun Global Rich List 2025) पर भी डालते हैं।
नाम | स्थिति / रैंक (वैश्विक) | अनुमानित संपत्ति (₹ करोड़ में) | प्रमुख व्यवसाय क्षेत्र |
---|---|---|---|
मुकेश अंबानी | 17 वाँ | ₹8.6 लाख करोड़ | तेल, गैस, रिटेल, टेलीकॉम |
गौतम अडानी | 18 वाँ | ₹8.4 लाख करोड़ | इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, पोर्ट, मीडिया |
रोशनी नाडार | 36 वाँ | ₹3.5 लाख करोड़ | सूचना प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स |
दिलीप सांघवी | भारत में 5 वाँ | ₹2.5 लाख करोड़ | फार्मास्यूटिकल्स |
शशांक कुमार | युवा अरबपति | ₹8,638 करोड़ | टेक स्टार्टअप (Razorpay सह-संस्थापक) |
हर्षिल माथुर | युवा अरबपति | ₹8,638 करोड़ | टेक स्टार्टअप (Razorpay सह-संस्थापक) |
भारत में कुल अरबपतियों की संख्या:284
वैश्विक में प्रभाव: भारत तीसरे नंबर पर है अरबपतियों की संख्या में।
भारत के युवा अरबपति: 7 ऐसे अरबपति हैं जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम है, जिनमें से शशांक कुमार और हर्षिल माथुर सबसे युवा (34 वर्ष) हैं।
आइए जानते हैं कुछ अमीर ब्राह्मणों के बारे में…
शिव नाडार सबसे अमीर ब्राह्मण
भारत के अमीर ब्राह्मणों की सूची में सबसे ऊपर नाम है शिव नाडार का, जिनकी नेटवर्थ फोर्ब्स के मुताबिक करीब ₹2,62,400 करोड़ है। वे HCL टेक्नोलॉजीज के संस्थापक हैं और भारत के शीर्ष 4-5 अमीरों में शामिल हैं।
तमिलनाडु के ब्राह्मण समुदाय से आने वाले शिव नाडार की कंपनी दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनियों जैसे सिस्को और माइक्रोसॉफ्ट के साथ काम कर रही है। 2008 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से नवाजा था।
इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हैं नंदन नीलेकणी, जिनकी संपत्ति करीब ₹27,060 करोड़ है। वे इंफोसिस के सह-संस्थापक और UIDAI (आधार प्राधिकरण) के अध्यक्ष रहे हैं। उनकी तकनीकी पहल से करोड़ों भारतीय लाभान्वित हुए हैं।
भारत के सॉफ़्टवेयर क्षेत्र में सृधर वेम्बू (ZOHO Corp) की पहचान बेहद मजबूत है। उनकी कुल संपत्ति लगभग ₹30,750 करोड़ आंकी गई है। देसी नवाचार और वैश्विक विस्तार में उनकी कंपनी अग्रिम पंक्ति में है।
इसी फेहरिस्त में इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति का नाम भी गर्व से लिया जाता है। इनकी संपत्ति 2024 के आंकड़ों के अनुसार करीब ₹37,000–40,000 करोड़ बताई जाती है। उन्होंने भारत को डिजिटल युग में नेतृत्व देने के लिए अपनी दूरदर्शिता और मूल्यों का इस्तेमाल किया।
फिनटेक और लीडरशिप से जुड़े नाम
विजय शेखर शर्मा का नाम आधुनिक भारत की फिनटेक क्रांति (फिनटेक कंपनी) में आता है। पेटीएम के संस्थापक विजय की कुल संपत्ति करीब ₹9,020 करोड़ है। उन्होंने डिजिटल भुगतान का चेहरा बदल दिया।
इंदिरा नूई PepsiCo जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी की पूर्व CEO रहीं। वे अरबपतियों की सूची में नहीं आतीं, लेकिन वैश्विक स्तर पर भारतीय मूल की महिलाओं में उनकी गिनती प्रेरणादायक लीडरों में होती है।
एन. चंद्रशेखरन, टाटा सन्स के चेयरमैन हैं, जो कॉर्पोरेट इंडिया की महत्वपूर्ण नेतृत्व शख्सियतों में गिने जाते हैं। वे भी अरबपति नहीं हैं, लेकिन बिज़नेस निर्णयों में उनकी भूमिका बेहद अहम है।
यह सभी शख्सियतें शिक्षा, मेहनत और नेतृत्व का प्रतीक हैं और भारतीय समाज की सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती हैं।
की फैक्ट्स
भारत के सबसे बड़े अरबपति घराने जैसे मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, या सावित्री जिंदल ब्राह्मण समुदाय से नहीं हैं।
ब्राह्मण अरबपतियों की आर्थिक ताकत मुख्य रूप से आईटी, इंजीनियरिंग, स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री से आती है।
भारत के सबसे अमीर ब्राह्मण (2024-25 के मुताबिक)
नाम | अनुमानित संपत्ति (करोड़ रुपए) | मुख्य व्यवसाय/पद | क्षेत्र |
नारायण मूर्ति | 37,000 | सह-संस्थापक, इंफोसिस | आईटी |
नंदन नीलेकणी | 27,000 | सह-संस्थापक, इंफोसिस | आईटी |
सृधर वेम्बू | 33,000 | संस्थापक, ZOHO Corp | सॉफ्टवेयर |
विजय शेखर शर्मा | 9,700 | संस्थापक, पेटीएम | फिनटेक |
सुधा मूर्ति | 775 | समाजसेविका, लेखिका | परोपकार |
इंदिरा नूई | 2,800 | पूर्व CEO, PepsiCo | मल्टीनेशनल |
एन. चंद्रशेखरन | 850 | चेयरमैन, टाटा सन्स | उद्योग |
सत्य नडेला | 5,500 | CEO, माइक्रोसॉफ्ट | टेक्नोलॉजी |
( नोट: यह अनुमानित आंकड़े हैं। जातिगत आधार पर किसी संस्थागत एजेंसी की ऐसी सूची उपलब्ध नहीं है। यह लेख फोर्ब्स और हुरुन रिच लिस्ट 2024-25 के आधार पर तैयार किया गया है।)
अब बात करते हैं पीटर नवारो के दावे की
रूसी तेल खरीदने से मुनाफा किसे होता है
- भारत ने 2022 के बाद से रूस से तेल आयात में भारी वृद्धि की है।
- युद्ध से पहले रूस का हिस्सा 1% से कम था, जो 2024-25 में बढ़कर लगभग 35% (करीब 15 लाख बैरल प्रतिदिन) हो गया।
- यह तेल रिलायंस, नायरा एनर्जी और सरकारी कंपनियां (BPCL, HPCL, IOC) खरीदकर रिफाइन करती हैं और निर्यात भी करती हैं।
- इससे कंपनियों (रूस से भारत का तेल व्यापार) को मुनाफा होता है, लेकिन यह मुनाफा किसी एक जाति तक सीमित नहीं है।
ब्राह्मण और मुनाफाखोरी का दावा पूरी तरह गलत
- नवारो का "ब्राह्मण" शब्द का उपयोग भारत के संदर्भ में पूरी तरह गलत है।
- अमेरिकी संदर्भ में इसका मतलब "एलीट वर्ग" हो सकता है, लेकिन भारत में यह एक जाति की ओर इशारा करता है।
- भारत के तेल उद्योग का स्वामित्व अलग-अलग समुदायों और कंपनियों के पास है। जैसे कि रिलायंस इंडस्ट्रीज मुकेश अंबानी (गुजराती बनिया) के स्वामित्व में है।
- इसलिए ब्राह्मण विशेष रूप से मुनाफा कमा रहे हैं, इस दावे का कोई सबूत नहीं है।
भारतीय जनता को नुकसान का दावा
- नवारो का यह कहना कि यह मुनाफा "भारतीय जनता की कीमत पर" हो रहा है, तथ्यात्मक रूप से गलत है।
- वास्तव में रूस से सस्ता तेल खरीदने से भारत की ऊर्जा लागत कम हुई है, जिससे डीजल-पेट्रोल की कीमतें नियंत्रित रहीं।
- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी साफ कहा कि इस नीति से न केवल भारत को बल्कि वैश्विक बाजार को भी स्थिर रखने में मदद मिली है।
नवारो की बयानबाजी की आलोचना
- नवारो के बेतुके बयानों की उनके अपने देश में भी आलोचना हुई।
- अमेरिकी नीति विशेषज्ञ इवान फेगेनबाम ने नवारो को "बेलगाम तोप" कहा और बताया कि इस तरह की बयानबाजी भारत-अमेरिका संबंधों के लिए हानिकारक है।
- भारतीय अधिकारियों ने भी पलटवार करते हुए कहा कि भारत का रूस से तेल व्यापार वैश्विक नियमों के मुताबिक है।
- उल्टा, पश्चिमी देश भी अभी तक रूसी गैस और यूरेनियम खरीद रहे हैं, जिस पर नवारो कुछ नहीं बोलते।
नवारो का यह दावा कि "ब्राह्मण भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफा कमा रहे हैं" तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है।
भारत का रूस से तेल खरीदना वैश्विक ढांचे के अनुरूप है और इससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं बल्कि फायदा हुआ है।
नवारो का "ब्राह्मण" वाला एंगल एक भड़काऊ टिप्पणी है, जिसके पीछे भारत पर दबाव बनाने की अमेरिकी रणनीति छिपी है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने 140 करोड़ लोगों के आर्थिक हितों से समझौता नहीं करेगा।
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