Adolescence टीवी सीरियल नहीं आपके घर की भी समस्या है, Unicef की रिपोर्ट Adolescent Mental Health in India आपको हिला सकती है

भारत के किशोर मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे हैं। उनमें अवसाद, चिंता, डिजिटल लत और नशे की लत प्रमुख हैं। यूनीसेफ ने इस पर एक रिपोर्ट जारी है। thesootr Prime में आज इसी पर बात करेंगे

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इसी साल की शुरुआत में Netflix पर आई Adolescence सीरीज ने पूरी दुनिया में एक बहस को जन्म दे दिया था- किशोरों के मन को समझने वाला कौन है? मगर यह समस्या सिर्फ टीवी की नहीं है, भारत में भी किशोर मानसिक स्वास्थ्य (Adolescent Mental Health) एक गंभीर चिंता बनता जा रहा है। पढ़ाई का दबाव, डिजिटल लत, आत्म-सम्मान की कमी, पारिवारिक व सामाजिक स्ट्रेस, और रिश्तों में तनाव—इन सभी ने मुद्दे को और जटिल बना दिया है। 

Unicef ने किशोरों के  मानसिक स्वास्थ्य पर फोकस करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की है-  Adolescent Mental Health. यह रिपोर्ट कई गंभीर खुलासे करती है। रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में 13 से 17 वर्ष के 7.3 फीसदी किशोर मानसिक परेशानियों से जूझते थे, मगर 2021 में यह आंकड़ा 10-19 वर्ष हो गया है और मानसिक परेशानियों के शिकार होने का परसेंट भी बढ़कर 14 फीसदी हो गया है। यानी न सिर्फ न्यूनतम- अधिकतम उम्र का दायरा बढ़ा है, बल्कि तनाव में रहने वाले किशोरों का नंबर भी लगभग दोगुना हो गया है। 

Netflix पर आई सीरीज के बारे में नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ें

Adolescence: इंटरनेट कैसे निगल रहा किशोरावस्था की मासूमियत को, Netflix की ये सीरीज जरूर देखें

बढ़ रहीं मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं

किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में 13-17 वर्ष के किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की व्यापकता 7.3% थी, जो 2021 में बढ़कर 14% हो गई। इस बढ़ोतरी में अवसाद (Depression), चिंता (Anxiety), और व्यवहार संबंधी समस्याएं (Behavioral Issues) मुख्य कारण बने हैं। इसके अलावा, आत्महत्या और आत्म-क्षति की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। एक अध्ययन के अनुसार, 1997 से 2020 तक छात्रों की आत्महत्या की दर में निरंतर वृद्धि देखी गई है, जो 2020 तक 13,500 वार्षिक आत्महत्याओं तक पहुंच गई।

रिपोर्टेड लक्षण

  • 81% किशोर विद्यार्थियों में पढ़ाई/ परीक्षा/ परिणाम से जुड़ी चिंता
  • 45% किशोर अपने शरीर की बनावट से असंतुष्ट
  • 43% को बार-बार मूड में बदलाव
  • 51% को ऑनलाइन शिक्षा में सीखने में कठिनाई
  • 28% सवाल पूछने में हिचकिचाहट

छात्र आत्महत्या दर में भी वृद्धि (1997–2020)

  • निरंतर बढ़ोतरी; 2020 तक 13,500 वर्षिक आत्महत्याएँ
  • कारण: पारिवारिक समस्याएँ (30%), परीक्षा में असफलता (14%), मानसिक बीमारी (8%), लव अफेयर (8%), अन्य (21%)

cause of sucide

किशोरों में प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं

  • अवसाद (Depression): सबसे आम समस्या; विशेषकर शहरी, स्कूली किशोरों में।
  • चिंता और तनाव (Anxiety and Stress): पढ़ाई, परीक्षा व सामाजिक दबाव से संबंधित।
  • नशे की लत (Substance Abuse): शराब और मादक द्रव्यों का बढ़ता दुरुपयोग, विशेषकर कोविड के बाद।
  • भावनात्मक व व्यवहारिक समस्याएं (Emotional & Behavioral Problems): आत्म-हानि, चिड़चिड़ापन व सामाजिक अलगाव।
  • अन्य समस्याएं: इंटरनेट की लत, साइबरबुलिंग, सीखने में कठिनाई, आत्महत्या के प्रयास व फोबिया।

इन बीमारियों से जूझ रहे हमारे बच्चे

बीमारी

अधिकता (किशोरों में)

प्रमुख लक्षण

अवसाद (Depression)

किशोरियों में अधिक

उदासी, रुचि में कमी

स्किजोफ्रेनिया (Schizophrenia)

किशोर और युवा

भ्रम, सोच में गड़बड़ी

चिंता विकार (Anxiety disorders)

दोनों में, लड़कियों में ज्यादा

डर, बेचैनी, अनिद्रा

द्विध्रुवी विकार (Bipolar)

युवाओं में

मूड में तीव्र बदलाव

ईटिंग डिसऑर्डर (Eating disorders)

किशोरियों में

भोजन से जुड़ी समस्याएँ

                                 स्त्रोत: The Lancet, 2020; GBD Study 1990-2017

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण और संकेत

किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं आमतौर पर अवसाद, चिंता, आत्म-सम्मान की कमी, और नशे की लत के रूप में सामने आती हैं। शहरी किशोरों में अवसाद के लक्षण अधिक देखे जाते हैं, जैसे उदासी, रुचियों में कमी, और नकारात्मक सोच। इसके साथ ही, आत्म-सम्मान की कमी और ऑनलाइन शिक्षा में समस्याओं का सामना भी उनके मानसिक तनाव को बढ़ाता है। किशोरों में नशे की लत, विशेषकर मादक पदार्थों का दुरुपयोग, कोविड-19 महामारी के बाद बढ़ी है।

सरकारी नीतियां और कार्यक्रम

रिपोर्ट बताती है कि भारत सरकार ने किशोर मानसिक स्वास्थ्य के लिए कई नीतियां और कार्यक्रम लागू किए हैं। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति 2014, मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017, और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (RKSK) जैसे कार्यक्रम किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत हैं। इन नीतियों का उद्देश्य किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को पहचानने, उपचार करने और जागरूकता फैलाने पर केंद्रित है।

चलाए जा रहे अभियान

इसके अतिरिक्त, शैक्षिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। जीवन कौशल शिक्षा (Life Skills Education) का समावेश किया जा रहा है ताकि किशोरों को मानसिक तनाव को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक उपकरण और रणनीतियाँ मिल सकें। इसके साथ ही, किशोर अनुकूल स्वास्थ्य क्लीनिक्स (AFHCs) भी स्थापित किए गए हैं, जो किशोरों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करते हैं।

सुधार के उपाय और सुझाव

किशोर मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के समाधान के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय सुझाए गए हैं। सबसे पहले, स्कूलों और समुदायों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की जल्दी पहचान और जागरूकता सुनिश्चित की जानी चाहिए। काउंसलिंग सेवाओं को आसान और सुलभ बनाया जाना चाहिए, ताकि किशोरों को समय रहते सहायता मिल सके। माता-पिता और शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि वे किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रारंभिक संकेतों को पहचान सकें। इसके अलावा, पीयर सपोर्ट ग्रुप्स को मजबूत करना चाहिए ताकि किशोर एक-दूसरे की मदद कर सकें।

संदर्भ:

  •  National Mental Health Survey 2015-16
  • Global Burden of Diseases 2021;
  • India mp unicef | unicef child proctection | UNICEF Madhya Pradesh | UNICEF report | Adolescent Mental Health in India |

unicef report Adolescent Mental Health in India की रिपोर्ट यहां से डाउनलोड कर सकते हैं

FAQ

भारत में किशोर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कौन-कौन सी हैं?
चिंता, अवसाद, डिजिटल लत, कम आत्म-सम्मान, आत्महत्या की प्रवृत्ति और संबंधों में तनाव प्रमुख समस्याएँ हैं।
किशोरों में मानसिक तनाव के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर: परिवार व सामाजिक दबाव, शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा, डिजिटल लत, संबंधों में असंतोष, और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भ्रांतियाँ।
मानसिक स्वास्थ्य के संरक्षण के लिए कौन से कदम लिए गए हैं?
उत्तर: मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, राष्ट्रीय कार्यक्रम, स्कूल में जागरूकता अभियान, टेलीमेडिसिन, काउंसलिंग, RKSK इत्यादि।

 

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